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Parali Pollution Problem : पराली जलाने में पंजाब आगे, हरियाणा छूटा काफी पीछे, दिल्ली-एनसीआर में आखिर क्यों घुट रहा लोगों का दम ?

Parali Pollution Problem : सर्दियों के मौसम की आमद के साथ ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता चला जाता है. इसके लिए अकसर पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. लेकिन क्या कहते हैं दोनों राज्यों के असल आंकड़े और क्या वाकई हरियाणा पंजाब में जलाई जाने वाली पराली देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा को ज़हरीला कर रही है. ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले पर स्पेशल रिपोर्टिंग की है, जो आपको आज बताएगी कि प्रदूषण का आखिर कौन है गुनहगार ?

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दिल्ली-एनसीआर में आखिर क्यों घुट रहा लोगों का दम ?
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 27, 2023, 6:55 PM IST

Updated : Oct 27, 2023, 7:45 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में आखिर क्यों घुट रहा लोगों का दम ?

चंडीगढ़ : ठंड आने के साथ ही सबसे ज्यादा जो शब्द सुर्खियों में आने लग जाते हैं, वो है प्रदूषण और पराली. ठंड की आहट के साथ ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर तेज़ी से बढ़ने लग जाता है.

प्रदूषण भारी, सियासत जारी : प्रदूषण बढ़ने के साथ ही इसके बाद यहां की सरकारें प्रदूषण को काबू करने के लिए अलग-अलग कोशिशें शुरू कर देती हैं और साथ ही इस पूरे मामले पर सियासत भी का काफी तेज़ हो जाती है. साथ ही इस बीच राज्यों और सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप होने लगते हैं.

प्रदूषण का पराली पर ठीकरा : दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए अकसर हरियाणा, पंजाब में जलाए जाने वाले पराली को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. कहा जाता है कि इन दोनों राज्यों के किसान जो पराली जलाते हैं, उसके जरिए होने वाले प्रदूषण का असर दिल्ली एनसीआर के शहरों पर नज़र आता है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की धुंध छा जाती है और लोगों का सांस लेना तक दूभर हो जाता है.

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खेतों में जलती पराली

ये भी पढ़ें : How do you manage Parali: इन मशीनों के जरिए किसान कर सकते हैं पराली का स्मार्ट प्रबंधन, एक क्लिक में जानें कैसे ?

ईटीवी भारत ने की सच की पड़ताल : लेकिन क्या दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए पराली को ही पूरा दोष दिया जा सकता है या प्रदूषण की कुछ अलग वजह है. ईटीवी भारत ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों की पड़ताल की. साथ ही ये भी जानने की कोशिश की है कि आखिर दिल्ली-एनसीआर में छाए रहने वाले प्रदूषण की चादर के लिए कौन जिम्मेदार है ?

पराली जलाने के पंजाब में कितने मामले ? : सबसे पहले जानते हैं कि आखिर हरियाणा, पंजाब में पराली जलाने के कितने मामले सामने आए हैं. बात पंजाब की तो यहां 26 अक्टूबर को पराली जलाने के 589 मामले सामने आए हैं, जो कि इस सीज़न में 1 दिन में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले हैं. इसके साथ ही पंजाब में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3293 पहुंच गई है. बीते साल की बात करें तो इस वक्त तक पंजाब में पराली जलाने के आंकड़े डबल थे. मतलब कि पंजाब में पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम पराली जलाई गई है.

पराली को लेकर क्या है हरियाणा के आंकड़े ? : अगर हम पराली जलाने को लेकर रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा में 26 अक्टूबर को पराली जलाने के सिर्फ 67 मामले सामने आए थे, जबकि इस सीज़न में पराली जलाने के अब तक कुल 938 मामले सामने आए हैं. वहीं अगर इसी समय में पिछले साल 24 अक्टूबर के आंकड़ों को देखें तो कुल मामले 1360 थे जिससे साफ है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट देखने को मिली है.

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रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े

ये भी पढ़ें : Haryana Stubble Burning 2023: पराली नहीं जलाई तो किसानों को मिलेगा इनाम, जानें कैसे उठा सकते हैं फायदा, चाय के कप से लेकर मिलेंगे शानदार उपहार

यूपी, एमपी, राजस्थान का क्या है हाल ? : वहीं अगर पराली जलाने के रियल टाइम मॉनिटरिंग आंकड़े की बात करें तो पंजाब के बाद मध्यप्रदेश कुल 1581 के आंकड़े के साथ सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले में दूसरे नंबर पर है, जबकि यूपी कुल 706 आंकड़े के साथ चौथे नंबर पर, वहीं राजस्थान पराली जलाने के मामले में कुल 616 आंकड़े के साथ 5वें नंबर पर है.

सैटेलाइट तस्वीरों में दर्ज सच : बताया जा रहा है कि हरियाणा के मुकाबले पंजाब में पराली जलाने के मामलों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले एक सप्ताह में हरियाणा के मुकाबले पंजाब में करीब पांच गुना ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं दशहरे के बाद से पंजाब में पराली जलाने के मामलों को लेकर 25 और 26 अक्टूबर की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई है, जो कि साबित करती हैं कि दशहरे के बाद से पंजाब में पराली जलाने के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

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सैटेलाइट तस्वीरों में दर्ज सच

ये भी पढ़ें : Super Seeder Machine: किसानों के लिए वरदान से कम नहीं सुपर सीडर मशीन, पैसा और समय दोनों की होती है बचत, जानें कैसे करती है काम

क्या कहते हैं पीजीआई के प्रोफेसर ? : जब हरियाणा और पंजाब में बीते साल के मुकाबले पराली पचास फीसदी कम जली है तो फिर दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर क्यों ऊपर जा रहा है, क्या जो पराली हरियाणा और पंजाब में अभी जल रही है, प्रदूषण बढ़ाने में क्या वो जिम्मेदार है ? इस पूरे मामले को लेकर हमने बात की पीजीआई के पब्लिक हेल्थ और इन्वायरनमेंट हेल्थ विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल से. उनके मुताबिक किसी भी शहर के प्रदूषण को बढ़ाने में मुख्य भूमिका वहीं के एमिशन होते हैं, चाहे वो गाड़ी का धुआं हो, वेस्ट बर्निंग हो या फिर कोई और वजह. उन्होंने बताया कि शहर के पॉल्यूशन में पराली कितना कंट्रीब्यूट करेगा, ये हवाओं के साथ बाकी वेदर कंडीशन पर निर्भर करेगा. दिल्ली में रात का तापमान नीचे गिरा है. वातावरण में दबाव के हालात है जिसके चलते वहां प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.

प्रदूषण में पराली का कितना योगदान ? : प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल के मुताबिक प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 40 प्रतिशत तक हो सकता है. अभी जब इसका योगदान ही इतना कम है तो ऐसी सूरत में ये कहना कि पराली के चलते प्रदूषण हो रहा है, ये कहना गलत होगा. ये जो प्रदूषण नज़र आ रहा है, वो दरअसल शहरों का अपना प्रदूषण है और ठंड के साथ वेदर कंडीशन्स में आए परिवर्तन का नतीजा है. उन्होंने बताया कि पराली जलाने के मामलों में पिछले सालों के मुकाबले काफी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. सरकार, एनजीओ, किसान मिलकर जो कोशिशें कर रहे हैं, उससे सफलता मिल रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी पराली जलाने के मामलों में और ज्यादा गिरावट आएगी .

दिल्ली-एनसीआर में आखिर क्यों घुट रहा लोगों का दम ?

चंडीगढ़ : ठंड आने के साथ ही सबसे ज्यादा जो शब्द सुर्खियों में आने लग जाते हैं, वो है प्रदूषण और पराली. ठंड की आहट के साथ ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर तेज़ी से बढ़ने लग जाता है.

प्रदूषण भारी, सियासत जारी : प्रदूषण बढ़ने के साथ ही इसके बाद यहां की सरकारें प्रदूषण को काबू करने के लिए अलग-अलग कोशिशें शुरू कर देती हैं और साथ ही इस पूरे मामले पर सियासत भी का काफी तेज़ हो जाती है. साथ ही इस बीच राज्यों और सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप होने लगते हैं.

प्रदूषण का पराली पर ठीकरा : दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए अकसर हरियाणा, पंजाब में जलाए जाने वाले पराली को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. कहा जाता है कि इन दोनों राज्यों के किसान जो पराली जलाते हैं, उसके जरिए होने वाले प्रदूषण का असर दिल्ली एनसीआर के शहरों पर नज़र आता है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की धुंध छा जाती है और लोगों का सांस लेना तक दूभर हो जाता है.

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खेतों में जलती पराली

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ईटीवी भारत ने की सच की पड़ताल : लेकिन क्या दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए पराली को ही पूरा दोष दिया जा सकता है या प्रदूषण की कुछ अलग वजह है. ईटीवी भारत ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों की पड़ताल की. साथ ही ये भी जानने की कोशिश की है कि आखिर दिल्ली-एनसीआर में छाए रहने वाले प्रदूषण की चादर के लिए कौन जिम्मेदार है ?

पराली जलाने के पंजाब में कितने मामले ? : सबसे पहले जानते हैं कि आखिर हरियाणा, पंजाब में पराली जलाने के कितने मामले सामने आए हैं. बात पंजाब की तो यहां 26 अक्टूबर को पराली जलाने के 589 मामले सामने आए हैं, जो कि इस सीज़न में 1 दिन में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले हैं. इसके साथ ही पंजाब में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3293 पहुंच गई है. बीते साल की बात करें तो इस वक्त तक पंजाब में पराली जलाने के आंकड़े डबल थे. मतलब कि पंजाब में पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम पराली जलाई गई है.

पराली को लेकर क्या है हरियाणा के आंकड़े ? : अगर हम पराली जलाने को लेकर रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा में 26 अक्टूबर को पराली जलाने के सिर्फ 67 मामले सामने आए थे, जबकि इस सीज़न में पराली जलाने के अब तक कुल 938 मामले सामने आए हैं. वहीं अगर इसी समय में पिछले साल 24 अक्टूबर के आंकड़ों को देखें तो कुल मामले 1360 थे जिससे साफ है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट देखने को मिली है.

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रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े

ये भी पढ़ें : Haryana Stubble Burning 2023: पराली नहीं जलाई तो किसानों को मिलेगा इनाम, जानें कैसे उठा सकते हैं फायदा, चाय के कप से लेकर मिलेंगे शानदार उपहार

यूपी, एमपी, राजस्थान का क्या है हाल ? : वहीं अगर पराली जलाने के रियल टाइम मॉनिटरिंग आंकड़े की बात करें तो पंजाब के बाद मध्यप्रदेश कुल 1581 के आंकड़े के साथ सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले में दूसरे नंबर पर है, जबकि यूपी कुल 706 आंकड़े के साथ चौथे नंबर पर, वहीं राजस्थान पराली जलाने के मामले में कुल 616 आंकड़े के साथ 5वें नंबर पर है.

सैटेलाइट तस्वीरों में दर्ज सच : बताया जा रहा है कि हरियाणा के मुकाबले पंजाब में पराली जलाने के मामलों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले एक सप्ताह में हरियाणा के मुकाबले पंजाब में करीब पांच गुना ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं दशहरे के बाद से पंजाब में पराली जलाने के मामलों को लेकर 25 और 26 अक्टूबर की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई है, जो कि साबित करती हैं कि दशहरे के बाद से पंजाब में पराली जलाने के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

Parali Pollution Problem Haryana  Punjab farmers stubble burning cases reported New Delhi City NCR Delhi AQI Air Pollution Dussehra  air quality index Poisonous  Air
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ये भी पढ़ें : Super Seeder Machine: किसानों के लिए वरदान से कम नहीं सुपर सीडर मशीन, पैसा और समय दोनों की होती है बचत, जानें कैसे करती है काम

क्या कहते हैं पीजीआई के प्रोफेसर ? : जब हरियाणा और पंजाब में बीते साल के मुकाबले पराली पचास फीसदी कम जली है तो फिर दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर क्यों ऊपर जा रहा है, क्या जो पराली हरियाणा और पंजाब में अभी जल रही है, प्रदूषण बढ़ाने में क्या वो जिम्मेदार है ? इस पूरे मामले को लेकर हमने बात की पीजीआई के पब्लिक हेल्थ और इन्वायरनमेंट हेल्थ विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल से. उनके मुताबिक किसी भी शहर के प्रदूषण को बढ़ाने में मुख्य भूमिका वहीं के एमिशन होते हैं, चाहे वो गाड़ी का धुआं हो, वेस्ट बर्निंग हो या फिर कोई और वजह. उन्होंने बताया कि शहर के पॉल्यूशन में पराली कितना कंट्रीब्यूट करेगा, ये हवाओं के साथ बाकी वेदर कंडीशन पर निर्भर करेगा. दिल्ली में रात का तापमान नीचे गिरा है. वातावरण में दबाव के हालात है जिसके चलते वहां प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.

प्रदूषण में पराली का कितना योगदान ? : प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल के मुताबिक प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 40 प्रतिशत तक हो सकता है. अभी जब इसका योगदान ही इतना कम है तो ऐसी सूरत में ये कहना कि पराली के चलते प्रदूषण हो रहा है, ये कहना गलत होगा. ये जो प्रदूषण नज़र आ रहा है, वो दरअसल शहरों का अपना प्रदूषण है और ठंड के साथ वेदर कंडीशन्स में आए परिवर्तन का नतीजा है. उन्होंने बताया कि पराली जलाने के मामलों में पिछले सालों के मुकाबले काफी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. सरकार, एनजीओ, किसान मिलकर जो कोशिशें कर रहे हैं, उससे सफलता मिल रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी पराली जलाने के मामलों में और ज्यादा गिरावट आएगी .

Last Updated : Oct 27, 2023, 7:45 PM IST
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