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ई टेंडरिंग पर पंचायत मंत्री का बड़ा बयान: प्रदर्शन कर रहे सरपंच नहीं माने तो पंचों को दी जाएगी विकास कार्य करवाने की शक्तियां

पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने ई टेंडरिंग को लेकर हरियाणा में प्रदर्शन कर रहे सरपंचों को कड़े लहजे में कहा है कि अगर सरपंच 15 से 20 दिन में काम पर नहीं लौटे, तो पंचों को गांवों का विकास कराने की शक्तियां दे दी जाएगी.

panchayat minister devendra babli
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Published : Feb 16, 2023, 6:41 PM IST

ई टेंडरिंग पर पंचायत मंत्री का बड़ा बयान: प्रदर्शन कर रहे सरपंच नहीं माने तो पंचों को दी जाएगी विकास कार्य करवाने की शक्तियां

चंडीगढ़: ई टेंडरिंग को लेकर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने बड़ा बयान दिया. है. ई टेंडरिंग के विरोध में प्रदर्शन कर रहे सरपंचों के सवाल पर पंचायत मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास ना रुके, इसके लिए पंचों को जल्द विकास कार्यों की शक्तियां दे दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी इस बारे में निर्देश दे दिए हैं कि अगर सरपंच नहीं मानते, तो फिर सरपंच की जगह पंचों को विकास कार्यों की शक्तियां दे दें.

उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रावधान पंचायती राज व्यवस्था में है. उन्होंने कहा कि सरकार अगले 15 से 20 दिन तक ये देखेगी कि जो सरपंच विरोध कर रहे हैं. वो काम पर लौटते हैं या नहीं. अगर वो काम नहीं करते तो सरकार पंचों को माध्यम से ग्रामीण विकास को करेगी. गांव के विकास को सरपंचों के विरोध को देखते हुए नहीं रोका जाएगा. आपको बता दें कि हरियाणा के सरपंच इस प्रक्रिया को लेकर विरोध कर रहे हैं.

ई टेंडरिंग क्या है? हरियाणा सरकार के मुताबिक पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार कम हो, इसलिए उन्होंने ई टेंडरिंग प्रक्रिया बनाई है. इसके तहत 2 लाख रुपये से ज्यादा के कामों के लिए टेंडर जारी किया जाएगा, फिर अधिकारी ठेकेदार के द्वारा गांव के विकास कार्य करवाएंगे. इससे पहले सरपंच सरकार को गांव के विकास कार्यों का ब्योरा देगा. जिसके बाद सरकार ठेकेदार से ई टेंडरिंग के जरिए गांव के विकास कार्य करवाएगी. सरकार का दावा है कि इस ई टेंडरिंग प्रक्रिया से भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी.

ये भी पढ़ें- क्या है ई टेंडरिंग और पंचायत मंत्री की सरपंच को चेतावनी का विवाद? आंदोलन की तैयारी में हरियाणा के सरपंच

सरपंच क्यों कर रहे विरोध? सरपंचों का कहना है कि सरकार की ये स्कीम हरियाणा के सरपंचों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से गांव का अच्छे से विकास नहीं हो पाएगा. अगर सरपंचों को विकास कार्यों के लिए पैसा सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा, तो ठेकेदार और अधिकारी मनमर्जी से गांव में विकास कार्य करवाएंगे. इस तरह से सरपंचों का गांव के विकास में कोई भी हाथ नहीं रह जाएगा. इसी को लेकर सरपंच इस स्कीम का विरोध कर रहे हैं.

ई टेंडरिंग पर पंचायत मंत्री का बड़ा बयान: प्रदर्शन कर रहे सरपंच नहीं माने तो पंचों को दी जाएगी विकास कार्य करवाने की शक्तियां

चंडीगढ़: ई टेंडरिंग को लेकर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने बड़ा बयान दिया. है. ई टेंडरिंग के विरोध में प्रदर्शन कर रहे सरपंचों के सवाल पर पंचायत मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास ना रुके, इसके लिए पंचों को जल्द विकास कार्यों की शक्तियां दे दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी इस बारे में निर्देश दे दिए हैं कि अगर सरपंच नहीं मानते, तो फिर सरपंच की जगह पंचों को विकास कार्यों की शक्तियां दे दें.

उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रावधान पंचायती राज व्यवस्था में है. उन्होंने कहा कि सरकार अगले 15 से 20 दिन तक ये देखेगी कि जो सरपंच विरोध कर रहे हैं. वो काम पर लौटते हैं या नहीं. अगर वो काम नहीं करते तो सरकार पंचों को माध्यम से ग्रामीण विकास को करेगी. गांव के विकास को सरपंचों के विरोध को देखते हुए नहीं रोका जाएगा. आपको बता दें कि हरियाणा के सरपंच इस प्रक्रिया को लेकर विरोध कर रहे हैं.

ई टेंडरिंग क्या है? हरियाणा सरकार के मुताबिक पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार कम हो, इसलिए उन्होंने ई टेंडरिंग प्रक्रिया बनाई है. इसके तहत 2 लाख रुपये से ज्यादा के कामों के लिए टेंडर जारी किया जाएगा, फिर अधिकारी ठेकेदार के द्वारा गांव के विकास कार्य करवाएंगे. इससे पहले सरपंच सरकार को गांव के विकास कार्यों का ब्योरा देगा. जिसके बाद सरकार ठेकेदार से ई टेंडरिंग के जरिए गांव के विकास कार्य करवाएगी. सरकार का दावा है कि इस ई टेंडरिंग प्रक्रिया से भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी.

ये भी पढ़ें- क्या है ई टेंडरिंग और पंचायत मंत्री की सरपंच को चेतावनी का विवाद? आंदोलन की तैयारी में हरियाणा के सरपंच

सरपंच क्यों कर रहे विरोध? सरपंचों का कहना है कि सरकार की ये स्कीम हरियाणा के सरपंचों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से गांव का अच्छे से विकास नहीं हो पाएगा. अगर सरपंचों को विकास कार्यों के लिए पैसा सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा, तो ठेकेदार और अधिकारी मनमर्जी से गांव में विकास कार्य करवाएंगे. इस तरह से सरपंचों का गांव के विकास में कोई भी हाथ नहीं रह जाएगा. इसी को लेकर सरपंच इस स्कीम का विरोध कर रहे हैं.

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