चंडीगढ़ : पद्मश्री वीरेंद्र सिंह (Padma Shri Awardee Virendra Singh) उर्फ गूंगा पहलवान ने पंचकूला में खेल निदेशक आईपीएस पंकज नैन से (wrestler virender singh Met Pankaj Nain) मुलाकात की. गूंगा पहलवान ने स्पोर्ट्स डायरेक्टर के सामने कैश अवार्ड में अनदेखी मामले को लेकर अपनी तमाम समस्याओं को रखा. बताया जा रहा है कि दोनों के बीच हुई बातचीत सार्थक रही है.
मुलाकात के बाद खेल महानिदेशक ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि गूंगा पहलवान की समस्याओं को लेकर बातचीत सार्थक रही है. इनकी मांग है कि पैरा खिलाड़ियों की तर्ज पर उन्हें भी कैश अवार्ड दिया जाए. इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया है जो पूरे मामले की समीक्षा करेगी. वहीं गूंगा पहलवान के भाई रामवीर ने बताया कि खेल निदेशक की ओर से आश्वासन दिया गया कि उनकी मांग को पूरा किया जाएगा. अगर सरकार उनका सहयोग करती है तो वह भी सरकार का पूरा सहयोग करेंगे.
बता दें कि 9 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गूंगा पहलवान को पद्म श्री के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.राष्ट्रपति से अवॉर्ड मिलने के बाद वे घर नहीं गए बल्कि हरियाणा भवन पहुंच गए. यहां गूंगा पहलवान दिल्ली के हरियाणा भवन के सामने धरने पर बैठ गए. हालांकि सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिए उन्हें बधाई दी.
इसके बाद ट्विटर पर विरेंद्र सिंह ने अपनी तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी आपके आवास दिल्ली, हरियाणा भवन के फुटपाथ पर बैठा हूं और यहां से जब तक नहीं हटूंगा जब तक आप हम मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा खिलाड़ियों के समान अधिकार नहीं देंगे. उन्होने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि जब केंद्र हमें समान अधिकार देती है तो आप क्यों नहीं?. हालांकि देर शाम को हरियाणा के खेल निदेशक पंकज नैन ने फोन कर इस मसले पर गूंगा पहलवान से बात की. तब जाकर उन्होंने अपना धरना खत्म कर दिया.
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क्या है गूंगा पहलवान की मांग : दरअसल झज्जर के गांव सासरौली के वीरेंद्र सिंह की मांग है कि डेफ को भी पैरा ओलंपिक के बराबर सम्मान दिया जाना चाहिए. इनकी मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि एक कमेटी बनाई जाए. जिसमें नॉर्मल एबल्ड बोड्रेड ओलंपियन को भी शामिल करें. पैरा और डेफ ओलंपियन को भी इसमें शामिल करें. अन्य अधिकारियों को भी शामिल करें, और एक नतीजे पर आएं कि क्या ऐसा करने से किसी को कोई विरोध तो नहीं है. या जो भी कमेटी फैसला लेगी, उसके मुताबिक आगे कहीं इसमें बदलाव की जरूरत है तो वो कर देंगे.
वहीं गूंगा पहलवान को लेकर हरियाणा के खेल निदेशक पंकज नैन ने कहा कि हरियाणा सरकार की जो खेल की पॉलिसी है उसके मुताबिक उसमें एक नौकरी देने की और एक कैश अवार्ड देने की बात है. ओलंपिक और पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर 6 करोड़ कैश देने का प्रावधान है. डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ बीस लाख का कैश अवार्ड है, जो कि पूरे देश में सबसे ज्यादा है, और इसी पॉलिसी के तहत गूंगा पहलवान को 2016 में गोल्ड जीतने के 2018 में एक करोड़ 20 लाख रुपए दे दिए गए थे.
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नौकरी की जहां तक बात है, पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर या डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर क्लास बी में नौकरी का प्रावधान है. नौकरी में दोनों को लेकर एक ही प्रावधान है. जबकि पैरा ओलंपिक में 6 करोड़ और डेफ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ 20 लाख का प्रावधान है. जो कि इनको मिल चुके हैं और मैं बताना चाहूंगा कि यह देश में पहला राज्य है जहां इतने बड़ी इनामी राशि दी जाती है.हालांकि उन्होंने कहा कि सेंट्रल गवर्नमेंट 75 रूपये लाख देती है.
पंकज नैन ने कहा कि गूंगा पहलवान खेल विभाग में कोच के पद पर तैनात हैं. अभी यह करनाल में पोस्टेड हैं. वहीं लगातार प्रैक्टिस भी कर रहे हैं. इसके लिए उनको परमिशन भी दी गई है. साथ में ये विभाग के ही खिलाड़ी हैं और कोच की भी नौकरी कर रहे हैं. इसके साथ ही खेल निदेशक कि उनके साथ बात हो गई है और उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देश के बारे में जानकारी दे दी गई है.
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