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Padma Shri Award 2023: हरियाणा के डॉ. बख्शी राम और डॉ. सुकामा को मिला पद्मश्री सम्मान - Dr Bakshi ram received Padma Shri award

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा के विश्ववारा कन्या गुरुकुल रुड़की (रोहतक) की आचार्य डॉ. सुकामा और डॉ. बख्शी राम को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है. (padma shri award 2023)

padma shri award 2023
हरियाणा के डॉ. बख्शी और डॉ. सुकामा को मिला पद्मश्री सम्मान
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Published : Apr 5, 2023, 9:50 PM IST

डॉ. बख्शी राम और डॉ. सुकामा को मिला पद्मश्री सम्मान

चंडीगढ़: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज कई क्षेत्रों नामचीन हस्तियों को पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभीषण से सम्मानित किया. इसी क्रम में राष्ट्रपति ने विश्ववारा कन्या गुरुकुल रुड़की (रोहतक) की आचार्य डॉ. सुकामा को भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा राष्ट्रपति ने हिसार में प्रधान वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. बख्शी राम को भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है.

कौन हैं डॉ. सुकामा?: डॉ. सुकामा को अध्यात्म के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिला है. डॉ. सुकामा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम योगदान दे रही हैं. डॉ. सुकामा गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बढावा दिए जाने पर जोर देती रही हैं. डॉ. सुकामा का मानना है कि कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं. डॉ. सुकामा के अनुसार राष्ट्र को वैदिक संस्कृति की बदौलत ही सही दिशा दी जा सकती है. यही वजह है कि वो इस पद्धति पर आए दिन जोर दे रही हैं. डॉ. सुकामा का मकसद गुरुकुल पद्धति से लड़कियों को शिक्षा और संस्कार देते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.

साल 1988 में डॉ. सुकामा ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में आचार्य डॉ. सुमेधा के साथ श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा की स्थापना की थी. डॉ. सुकामा ने साल 2017 तक इस महाविद्यालय का संचालन भी किया. वहीं, साल 2018 में रोहतक के रुड़की में विश्ववारा कन्या गुरुकुल की स्थापना की. बता दें कि इस गुरुकुल में लगभग 150 लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.

कौन हैं और डॉ. बख्शी?: डॉ. बख्शी राम के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है. डॉ. बख्शी राम दिल्ली नजफगढ़ के पास पंडवाला खुर्द गांव के रहने वाले हैं. साल 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद से वे गुरुग्राम में रह रहे हैं. डॉ. बख्शी राम ने अपनी पढ़ाई हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से की है. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से ही उन्होंने PhD की. इसके बाद साल 1984 से 1986 तक हिसार यूनिवर्सिटी में ही उन्होंने अपनी सेवाएं दी. उसके बाद डॉ. बख्शी गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान करनाल और कोयंबटूर में भी रहे.

बता दें कि डॉ.बख्शी राम को गन्ना क्रांति का पुरोधा भी माना जाता है. डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में करीब 24 सालों तक बतौर प्रधान वैज्ञानिक काम किया. इसके बाद अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बन गए. डॉ. बख्शी राम की अगुवाई वाली टीम ने देश को गन्ने की कई प्रजातियां दी. जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया. CO-0238 इन जातियों में ऐसी प्रजाति है, जिसे उत्तर भारत में अधिकांश किसानों ने अपनाया.

ये भी पढ़ें: Haryana Cabinet Meeting: कर्मचारी रोजगार सृजन सब्सिडी में बढ़ोतरी के साथ कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी

डॉ. बख्शी राम और डॉ. सुकामा को मिला पद्मश्री सम्मान

चंडीगढ़: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज कई क्षेत्रों नामचीन हस्तियों को पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभीषण से सम्मानित किया. इसी क्रम में राष्ट्रपति ने विश्ववारा कन्या गुरुकुल रुड़की (रोहतक) की आचार्य डॉ. सुकामा को भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा राष्ट्रपति ने हिसार में प्रधान वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. बख्शी राम को भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है.

कौन हैं डॉ. सुकामा?: डॉ. सुकामा को अध्यात्म के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिला है. डॉ. सुकामा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम योगदान दे रही हैं. डॉ. सुकामा गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बढावा दिए जाने पर जोर देती रही हैं. डॉ. सुकामा का मानना है कि कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं. डॉ. सुकामा के अनुसार राष्ट्र को वैदिक संस्कृति की बदौलत ही सही दिशा दी जा सकती है. यही वजह है कि वो इस पद्धति पर आए दिन जोर दे रही हैं. डॉ. सुकामा का मकसद गुरुकुल पद्धति से लड़कियों को शिक्षा और संस्कार देते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.

साल 1988 में डॉ. सुकामा ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में आचार्य डॉ. सुमेधा के साथ श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा की स्थापना की थी. डॉ. सुकामा ने साल 2017 तक इस महाविद्यालय का संचालन भी किया. वहीं, साल 2018 में रोहतक के रुड़की में विश्ववारा कन्या गुरुकुल की स्थापना की. बता दें कि इस गुरुकुल में लगभग 150 लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.

कौन हैं और डॉ. बख्शी?: डॉ. बख्शी राम के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है. डॉ. बख्शी राम दिल्ली नजफगढ़ के पास पंडवाला खुर्द गांव के रहने वाले हैं. साल 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद से वे गुरुग्राम में रह रहे हैं. डॉ. बख्शी राम ने अपनी पढ़ाई हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से की है. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से ही उन्होंने PhD की. इसके बाद साल 1984 से 1986 तक हिसार यूनिवर्सिटी में ही उन्होंने अपनी सेवाएं दी. उसके बाद डॉ. बख्शी गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान करनाल और कोयंबटूर में भी रहे.

बता दें कि डॉ.बख्शी राम को गन्ना क्रांति का पुरोधा भी माना जाता है. डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में करीब 24 सालों तक बतौर प्रधान वैज्ञानिक काम किया. इसके बाद अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बन गए. डॉ. बख्शी राम की अगुवाई वाली टीम ने देश को गन्ने की कई प्रजातियां दी. जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया. CO-0238 इन जातियों में ऐसी प्रजाति है, जिसे उत्तर भारत में अधिकांश किसानों ने अपनाया.

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