नई दिल्ली/चंडीगढ़: पानी के मुद्दे पर दिल्ली-हरियाणा के बीच अक्सर विवाद रहता है, लेकिन दिल्ली सरकार ने इन विवादों को हल करने का एक फॉर्मूला ढूंढ निकाला है. केजरीवाल सरकार पानी की अदला-बदली पर विचार कर रही है. यानि दिल्ली कुछ पानी हरियाणा को दे और हरियाणा भी ऐसे ही दिल्ली की पानी की जरूरत पूरा करे.
मॉनसून के दौरान जब यमुना उफान पर होती है तब हरियाणा तय समझौते से अधिक पानी छोड़ कर दिल्ली को मुसीबत में डाल देता है. वहीं जब भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए दिल्ली के लोग तरस रहे होते हैं तब पानी की कम आपूर्ति कर भी हरियाणा परेशान करता है. दिल्ली सरकार अब पानी के संचयन को लेकर जिन योजनाओं पर काम कर रही है, उस योजना को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा से पानी के अदला-बदली करने का प्लान बनाया है. जिससे दोनों राज्यों के लोगों को फायदा होगा.
ओखला में बनने वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 3 साल बाद हर दिन 56 करोड़ लीटर से ज्यादा गंदे पानी को साफ करेगा. इस पानी का क्या इस्तेमाल हो सकता है, इस पर फिलहाल कोई विचार नहीं किया गया है.
केंद्रीय जल मंत्री को भेजेंगे पूरा प्रस्ताव
सीएम केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने इंजीनियर से पूछा तो ये पता चला कि इस पानी को यमुना में बहा दिया जाएगा. लेकिन सरकार एसटीपी प्लांट से निकले पानी को बर्बाद नहीं करना चाहती है. इसे हरियाणा को देकर उसके बदले में हरियाणा से पानी ले सकते हैं. इसके लिए केजरीवाल ने केंद्र सरकार की जल शक्ति मंत्री को पूरा प्रस्ताव भेजने की भी बात कही है.
दिल्ली के पानी से हरियाणा में सिंचाई संकट होगा दूर- केजरीवाल
केजरीवाल की हरियाणा से पानी की अदला-बदली की जो योजना है उसके मुताबिक दिल्ली से सटे हरियाणा के जिन इलाकों में सिंचाई के लिए पानी की बहुत दिक्कत है. वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकला साफ पानी सिंचाई के लिए दिल्ली सरकार देगी. ताकि वहां हरियाणा के किसान सिंचाई के लिए इस पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
बदले में इतना ही पानी हरियाणा दिल्ली के उत्तरी हिस्से में पल्ला में यमुना का पानी छोड़ दे. ताकि दिल्ली वालों को पानी की जो समस्या है वह दूर हो सके. केजरीवाल सरकार की मानें तो इससे दिल्ली और हरियाणा दोनों को ही फायदा होगा.
बता दें कि देश और दुनिया में पानी लगातार कम हो रहा है. जनसंख्या बढ़ती जा रही है पानी पर दबाव बढ़ रहा है. इसीलिए अब पानी की रीसाइक्लिंग और पानी के रिचार्जिंग ही दो विकल्प बचे हुए हैं. दोनों राज्य की सरकार को अब इस मसले पर अगर गंभीर नहीं हुई तो आने वाले समय में देश की राजधानी होने के बावजूद भी पानी की भयंकर किल्लत से लोगों को जूझना पड़ सकता है.