चंडीगढ़: कोरोना लोगों पर काल बनकर टूटा है. इस महामारी के दौर में कई लोग बेघर हुए तो कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इतना ही नहीं जिन लोगों की नौकरी बच भी गई, उन्हें भी आधी सैलरी से ही घर का गुजारा कराना पड़ा. एक-दो महीने की बात होती तो शायद काम चल भी जाता, लेकिन जब महीने बीतने लगे तो लोगों पर आर्थित तंगी का बोझ बढ़ने लगा. ऐसे में पैसों की परेशानी से जूझ रहे लोगों ने पीएफ से पैसा निकाल कर अपनी जरूरतों को पूरा करना शुरू कर दिया. लॉकडाउन और उसके बाद के दौर में देशभर में लोगों ने पीएफ से कुल 30 हजार करोड़ रुपये निकाले.
कोरोना से पहले इतने लोगों ने निकाला पीएफ
अगर बात चंडीगढ़ की करें तो कोरोना से पहले के तीन महीने की तुलना में कोरोना के बाद के तीन महीनों में निकाले गए पीएफ के पैसे में करीब दोगुना है. इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में कुल 1 लाख 12 हजार 978 लोगों ने पीएफ निकालने के लिए आवेदन किया और इन तीन महीनों में करीब 139 करोड़ 64 लाख 19 हजार 536 रुपये निकाले गए.
दूसरी तरफ कोरोना और लॉकडाउन के चार महीने यानि अप्रैल, मई, जून और जुलाई में 1 लाख 53 हजार 583 लोगों ने 2 अरब 23 करोड़ 22 लाख 6 हजार 589 रुपये अपने पीएफ अकाउंट से निकाले. कुल 1 लाख 53 हजार 583 लोगों में से 44 हजार 671 लोगों ने कोरोना क्लेम के तहत पैसे निकाले.
जून-जुलाई में सबसे ज्यादा पीएफ क्लेम
जून और जुलाई महीने में सबसे ज्यादा पीएफ क्लेम आए. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि इस दौरान सबसे ज्यादा लोगों की नौकरी गई और घर का खर्च चलाने के लिए लोगों को पीएफ का सहारा लेना पड़ा हो. कोरोना काल में बढ़ी पीएफ निकालने वालों की संख्या का ये मतलब ये भी लगाया जा रहा है कि कोरोना के चलते बंद हुए उद्योग धंधों से बेरोजगारी बढ़ी है.
ये भी पढ़िए: गेहूं की इन नई किस्मों से होगी बंपर पैदावार, देखिए ये रिपोर्ट
3 से 4 दिन में क्लीयर हुए क्लेम
कोरोना से पहले पीएफ आवेदन को क्लीयर करने में 1 हफ्ते तक का समय लगता था, लेकिन अब EPFO से क्लीयर होने में सिर्फ तीन से चार दिन लग रहे हैं. वजह सिर्फ यही है कि जो पैसा लोगों ने अपने भविष्य के लिए जुटाया था, वो पैसा उन लोगों के बुरे वक्त में काम आ सके