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...ताकि रंग में भंग न पड़े, होली पर ऐसे बनाएं प्राकृतिक रंग

गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं. पानी में केसर या मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है.

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Published : Mar 21, 2019, 8:14 AM IST

Updated : Mar 21, 2019, 9:24 AM IST

चंडीगढ़: रंगों के त्योहार होली में पिचकारियां तो छूटेंगी, गुलाल तो उड़ेंगे, गुबारों के रंगों से सराबोर होने के लिए हम कब से तैयार बैठे हैं, लेकिन इसी दौरान रंग खेलने से ज्यादा रंग छुड़ाने, त्वचा एवं बालों को हुए नुकसान को लेकर चिंतित रहते हैं. इसलिए सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल की पैरवी करती हैं.

वह कहती हैं, "इन दिनों रंगों में माइका, लेड जैसे हानिकारक रासायनिक मिले होते हैं जिससे बाल तथा त्वचा रूखी एवं बेजान हो जाती है. बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं तथा त्वचा में जलन एवं खारिश शुरू हो जाती है. होली में उपयोग किए जाने बाले रंगों से त्वचा में एलर्जी, आंखों में जलन और पेट की अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में सबसे पहले आप यह कोशिश करें कि आप ऑर्गेनिक/हर्बल रंगों से ही होली खेलें लेकिन इन रंगों की पहचान भी जरूरी है."

शहनाज ने कहा, "होली के दौरान बाजारों में इको फ्रेंडली रंगों की भरमार आ जाती है, लेकिन यदि इन रंगों से किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आए या रंग पानी में आसानी से न घुलें तो आप इन्हें कतई न खरीदें, क्योंकि तत्काल पैसा बनाने के चक्कर में लोग अक्सर त्योहारों को ही चुनते हैं. आर्गेनिक रंगों में डार्क शेड में चमकदार कण कतई नहीं होते इसलिए काला, सिल्वर, गहरा पीला रंग कतई न खरीदें."

उन्होंने कहा कि यह कतई जरूरी नहीं है कि नामी गिरामी कंपनियों के बाजार में बिकने बाले महंगे हर्बल रंगों को ही चुनें, बल्कि बेहतर रहेगा अगर आप घर में ही हर्बल रंग बनाएं. आप बेसन में हल्दी मिलाकर पीला हर्बल रंग पा सकते हैं.

वीडियो पर क्लिक कर देखें रिपोर्ट

गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं. पानी में केसर या मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है, इसी प्रकार अनार के दाने पानी में मिलाकर गुलाबी रंग का पानी बन जाता है.

होली का त्योहार ज्यादातर खुले आसमान में खेला जाता है, जिससे सूर्य की गर्मी से भी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. खुले आसमान में हानिकाक यूवी किरणों के साथ-साथ नमी की कमी की वजह से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है. होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है.

सौंदर्य विशेषज्ञ का कहना है कि होली के पावन त्योहार में अपनी त्वचा की रक्षा के लिए होली खेलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर 20 एसपीएफ सनस्क्रीन का लेप कीजिए। यदि आपकी त्वचा पर फोड़़े, फुंसियां आदि हैं तो 20 एससपीएफ से ज्यादा दर्जे की सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए.

ज्यादातर सनस्क्रीन में मॉइस्चराइजर ही मौजूद होता है. यदि आपकी त्वचा अत्यधिक शुष्क है तो पहले सनस्क्रीन लगाने के बाद कुछ समय इंतजार करें, उसके बाद ही त्वचा पर मॉइस्चराइजर का लेप करें. आप अपनी बाजू तथा सभी खुले अंगों पर मॉइस्चराइजर लोशन या क्रीम का उपयोग करें.

चंडीगढ़: रंगों के त्योहार होली में पिचकारियां तो छूटेंगी, गुलाल तो उड़ेंगे, गुबारों के रंगों से सराबोर होने के लिए हम कब से तैयार बैठे हैं, लेकिन इसी दौरान रंग खेलने से ज्यादा रंग छुड़ाने, त्वचा एवं बालों को हुए नुकसान को लेकर चिंतित रहते हैं. इसलिए सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल की पैरवी करती हैं.

वह कहती हैं, "इन दिनों रंगों में माइका, लेड जैसे हानिकारक रासायनिक मिले होते हैं जिससे बाल तथा त्वचा रूखी एवं बेजान हो जाती है. बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं तथा त्वचा में जलन एवं खारिश शुरू हो जाती है. होली में उपयोग किए जाने बाले रंगों से त्वचा में एलर्जी, आंखों में जलन और पेट की अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में सबसे पहले आप यह कोशिश करें कि आप ऑर्गेनिक/हर्बल रंगों से ही होली खेलें लेकिन इन रंगों की पहचान भी जरूरी है."

शहनाज ने कहा, "होली के दौरान बाजारों में इको फ्रेंडली रंगों की भरमार आ जाती है, लेकिन यदि इन रंगों से किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आए या रंग पानी में आसानी से न घुलें तो आप इन्हें कतई न खरीदें, क्योंकि तत्काल पैसा बनाने के चक्कर में लोग अक्सर त्योहारों को ही चुनते हैं. आर्गेनिक रंगों में डार्क शेड में चमकदार कण कतई नहीं होते इसलिए काला, सिल्वर, गहरा पीला रंग कतई न खरीदें."

उन्होंने कहा कि यह कतई जरूरी नहीं है कि नामी गिरामी कंपनियों के बाजार में बिकने बाले महंगे हर्बल रंगों को ही चुनें, बल्कि बेहतर रहेगा अगर आप घर में ही हर्बल रंग बनाएं. आप बेसन में हल्दी मिलाकर पीला हर्बल रंग पा सकते हैं.

वीडियो पर क्लिक कर देखें रिपोर्ट

गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं. पानी में केसर या मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है, इसी प्रकार अनार के दाने पानी में मिलाकर गुलाबी रंग का पानी बन जाता है.

होली का त्योहार ज्यादातर खुले आसमान में खेला जाता है, जिससे सूर्य की गर्मी से भी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. खुले आसमान में हानिकाक यूवी किरणों के साथ-साथ नमी की कमी की वजह से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है. होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है.

सौंदर्य विशेषज्ञ का कहना है कि होली के पावन त्योहार में अपनी त्वचा की रक्षा के लिए होली खेलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर 20 एसपीएफ सनस्क्रीन का लेप कीजिए। यदि आपकी त्वचा पर फोड़़े, फुंसियां आदि हैं तो 20 एससपीएफ से ज्यादा दर्जे की सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए.

ज्यादातर सनस्क्रीन में मॉइस्चराइजर ही मौजूद होता है. यदि आपकी त्वचा अत्यधिक शुष्क है तो पहले सनस्क्रीन लगाने के बाद कुछ समय इंतजार करें, उसके बाद ही त्वचा पर मॉइस्चराइजर का लेप करें. आप अपनी बाजू तथा सभी खुले अंगों पर मॉइस्चराइजर लोशन या क्रीम का उपयोग करें.

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चंडीगढ़: रंगों के त्योहार होली में पिचकारियां तो छूटेंगी, गुलाल तो उड़ेंगे, गुबारों के रंगों से सराबोर होने के लिए हम कब से तैयार बैठे हैं, लेकिन इसी दौरान रंग खेलने से ज्यादा रंग छुड़ाने, त्वचा एवं बालों को हुए नुकसान को लेकर चिंतित रहते हैं. इसलिए सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल की पैरवी करती हैं. 



वह कहती हैं, "इन दिनों रंगों में माइका, लेड जैसे हानिकारक रासायनिक मिले होते हैं जिससे बाल तथा त्वचा रूखी एवं बेजान हो जाती है. बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं तथा त्वचा में जलन एवं खारिश शुरू हो जाती है. होली में उपयोग किए जाने बाले रंगों से त्वचा में एलर्जी, आंखों में जलन और पेट की अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में सबसे पहले आप यह कोशिश करें कि आप ऑर्गेनिक/हर्बल रंगों से ही होली खेलें लेकिन इन रंगों की पहचान भी जरूरी है."



शहनाज ने कहा, "होली के दौरान बाजारों में इको फ्रेंडली रंगों की भरमार आ जाती है, लेकिन यदि इन रंगों से किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आए या रंग पानी में आसानी से न घुलें तो आप इन्हें कतई न खरीदें, क्योंकि तत्काल पैसा बनाने के चक्कर में लोग अक्सर त्योहारों को ही चुनते हैं. आर्गेनिक रंगों में डार्क शेड में चमकदार कण कतई नहीं होते इसलिए काला, सिल्वर, गहरा पीला रंग कतई न खरीदें."



उन्होंने कहा कि यह कतई जरूरी नहीं है कि नामी गिरामी कंपनियों के बाजार में बिकने बाले महंगे हर्बल रंगों को ही चुनें, बल्कि बेहतर रहेगा अगर आप घर में ही हर्बल रंग बनाएं. आप बेसन में हल्दी मिलाकर पीला हर्बल रंग पा सकते हैं.



गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं. पानी में केसर या मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है, इसी प्रकार अनार के दाने पानी में मिलाकर गुलाबी रंग का पानी बन जाता है.



होली का त्योहार ज्यादातर खुले आसमान में खेला जाता है, जिससे सूर्य की गर्मी से भी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. खुले आसमान में हानिकाक यूवी किरणों के साथ-साथ नमी की कमी की वजह से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है. होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है.



सौंदर्य विशेषज्ञ का कहना है कि होली के पावन त्योहार में अपनी त्वचा की रक्षा के लिए होली खेलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर 20 एसपीएफ सनस्क्रीन का लेप कीजिए। यदि आपकी त्वचा पर फोड़़े, फुंसियां आदि हैं तो 20 एससपीएफ से ज्यादा दर्जे की सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए.



ज्यादातर सनस्क्रीन में मॉइस्चराइजर ही मौजूद होता है. यदि आपकी त्वचा अत्यधिक शुष्क है तो पहले सनस्क्रीन लगाने के बाद कुछ समय इंतजार करें, उसके बाद ही त्वचा पर मॉइस्चराइजर का लेप करें. आप अपनी बाजू तथा सभी खुले अंगों पर मॉइस्चराइजर लोशन या क्रीम का उपयोग करें.

 


Conclusion:
Last Updated : Mar 21, 2019, 9:24 AM IST
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