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हरियाणा में कम हुए पराली जलाने के मामले, NASA की रिपोर्ट ने भी लगाई मुहर

फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के प्रयास धरातल पर सफल साबित हो रहे हैं. इसकी पुष्टि अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) द्वारा हाल में उत्तरी भारत में पराली जलाने व आगजनी की घटनाओं की सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों (NASA photo of stubble burning) पर आधारित रिपोर्ट से भी हुई है. नासा के जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 24 घंटे में हरियाणा में पराली जलाने के मामले और भी कम हुए हैं, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब के तीन चौथाई हिस्से पर पराली जलने की लाइव इमेज देखी जा सकती है.

पराली जलाने पर नासा की रिपोर्ट
पराली जलाने पर नासा की रिपोर्ट
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Published : Nov 11, 2022, 10:55 PM IST

चंडीगढ़: नासा की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों (NASA data on stubble burning) में यह स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा में पहले के मुकाबले पराली जलाने के केस कम हुए हैं जबकि पड़ोसी राज्य में आज भी पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में पराली जलाने की बेहद कम घटनाएं दर्ज की गई हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई है जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पराली न जलाने को लेकर हरियाणा सरकार ने न केवल जागरूकता अभियान किसानों के बीच चलाया है बल्कि हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.

अगर किसान करनाल और पानीपत के इथनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. अगर किसान किसी गौशाला में पराली ले जाता है तो उसे 15 सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रुपये तक पुरस्कार देती है. पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था.

हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को 72 हजार से अधिक यंत्र दिए हैं, जिन्हें इस साल 80 हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है. जिससे कि किसान जमीनी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकें. इसके अलावा हरियाणा में ही 24 तरह के उद्योगों ने पराली खरीदने की सहमति सरकार को दी है, जिसके तहत हर जिले में कमांड एरिया खोला जाएगा और उन कमांड एरिया सेंटर के जरिए ही पराली खरीदी जाएगी.

सरकार ने इसके लिए एक नया पोर्टल भी बनाया है जिस पर पराली खरीदने वाले ठेकेदारों और उद्योगों की जानकारी उपलब्ध रहेगी. जो किसान पराली बेचना चाहता है वो पोर्टल के माध्यम से सीधा संपर्क कर सकता है. पिछले साल लगभग 1.75 लाख टन पराली की खरीद बायोगैस प्लांट के द्वारा हरियाणा में की गई. इसी क्रम में हरेडा द्वारा भी बायोमास ऊर्जा प्लांट लगाने का फैसला किया गया है. पराली का उपयोग बिजली बनाने में करने के लिए कुरुक्षेत्र, कैथल,फतेहाबाद एवं जींद में 49.08 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं का काम प्रगति पर है.

ये भी पढ़ें- पराली जलाने के मामले पंजाब में सबसे ज्यादा, पाकिस्तान की पराली भी भारत में प्रदूषण के लिए हो सकती है जिम्मेदार

चंडीगढ़: नासा की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों (NASA data on stubble burning) में यह स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा में पहले के मुकाबले पराली जलाने के केस कम हुए हैं जबकि पड़ोसी राज्य में आज भी पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में पराली जलाने की बेहद कम घटनाएं दर्ज की गई हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई है जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पराली न जलाने को लेकर हरियाणा सरकार ने न केवल जागरूकता अभियान किसानों के बीच चलाया है बल्कि हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.

अगर किसान करनाल और पानीपत के इथनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. अगर किसान किसी गौशाला में पराली ले जाता है तो उसे 15 सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रुपये तक पुरस्कार देती है. पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था.

हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को 72 हजार से अधिक यंत्र दिए हैं, जिन्हें इस साल 80 हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है. जिससे कि किसान जमीनी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकें. इसके अलावा हरियाणा में ही 24 तरह के उद्योगों ने पराली खरीदने की सहमति सरकार को दी है, जिसके तहत हर जिले में कमांड एरिया खोला जाएगा और उन कमांड एरिया सेंटर के जरिए ही पराली खरीदी जाएगी.

सरकार ने इसके लिए एक नया पोर्टल भी बनाया है जिस पर पराली खरीदने वाले ठेकेदारों और उद्योगों की जानकारी उपलब्ध रहेगी. जो किसान पराली बेचना चाहता है वो पोर्टल के माध्यम से सीधा संपर्क कर सकता है. पिछले साल लगभग 1.75 लाख टन पराली की खरीद बायोगैस प्लांट के द्वारा हरियाणा में की गई. इसी क्रम में हरेडा द्वारा भी बायोमास ऊर्जा प्लांट लगाने का फैसला किया गया है. पराली का उपयोग बिजली बनाने में करने के लिए कुरुक्षेत्र, कैथल,फतेहाबाद एवं जींद में 49.08 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं का काम प्रगति पर है.

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