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मुस्लिम महिला बिना तलाक दिए नहीं कर सकती दूसरी शादी- HC

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मेवात (नूंह) के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े ने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है लेकिन लेकिन मुस्लिम महिला पर यह नियम लागू नहीं होगा.

Muslim woman does not have the right to second marriage without divorcing but Muslim man has right punjab haryana high court
मुस्लिम महिला को बिना तलाक दिए दूसरी शादी का अधिकार नहीं, मुस्लिम वयक्ति को अधिकार- हाईकोर्ट
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Published : Feb 9, 2021, 1:59 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दूसरी शादी पर जवाब देते हुए कहा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है. उसे दूसरी शादू करने का अधिकार है. लेकिन मुस्लिम महिला पर यह नियम लागू नहीं होगा.

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर एक मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-हरियाणा में तीन तलाक कानून के तहत दर्ज हुई पहली एफआईआर

बता दें कि हाईकोर्ट की जस्टिस अलका सरीन ने ये फैसला मेवात (नूंह) के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग की याचिका पर यह फैसला सुनाया है. मुस्लिम महिला ने हाई कोर्ट को बताया कि उसकी शादी उसकी इच्छा के खिलाफ की गई थी, इसलिए अब उसने अपने प्रेमी से दूसरी शादी कर ली है.

लेकिन महिला ने अपने पहले पति को तलाक नहीं दिया हैं. हाई कोर्ट को बताया गया कि दोनों के पारिवारिक सदस्य उनकी शादी के खिलाफ हैं और परिवार उन्हें जान से मारने व संपत्ति से बेदखल करने की धमकी दे रहे हैं.

सुनवाई के दौरान प्रेमी जोड़े के वकील ने बताया कि प्रेमी जोड़ा मुस्लिम है और मुस्लिम धर्म के अनुसार उनको एक से ज्यादा विवाह करने की छूट है. इस पर बेंच ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस जोड़े की शादी गैरकानूनी है.

यदि एक महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा. इस अधिनियम के तहत एक मुस्लिम व्यक्ति ही अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है.

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दूसरी शादी पर जवाब देते हुए कहा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है. उसे दूसरी शादू करने का अधिकार है. लेकिन मुस्लिम महिला पर यह नियम लागू नहीं होगा.

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर एक मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-हरियाणा में तीन तलाक कानून के तहत दर्ज हुई पहली एफआईआर

बता दें कि हाईकोर्ट की जस्टिस अलका सरीन ने ये फैसला मेवात (नूंह) के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग की याचिका पर यह फैसला सुनाया है. मुस्लिम महिला ने हाई कोर्ट को बताया कि उसकी शादी उसकी इच्छा के खिलाफ की गई थी, इसलिए अब उसने अपने प्रेमी से दूसरी शादी कर ली है.

लेकिन महिला ने अपने पहले पति को तलाक नहीं दिया हैं. हाई कोर्ट को बताया गया कि दोनों के पारिवारिक सदस्य उनकी शादी के खिलाफ हैं और परिवार उन्हें जान से मारने व संपत्ति से बेदखल करने की धमकी दे रहे हैं.

सुनवाई के दौरान प्रेमी जोड़े के वकील ने बताया कि प्रेमी जोड़ा मुस्लिम है और मुस्लिम धर्म के अनुसार उनको एक से ज्यादा विवाह करने की छूट है. इस पर बेंच ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस जोड़े की शादी गैरकानूनी है.

यदि एक महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा. इस अधिनियम के तहत एक मुस्लिम व्यक्ति ही अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है.

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