चंडीगढ़: आईएससी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में मुस्कान नाम की छात्रा ने ट्राइसिटी में पहला स्थान हासिल किया है. मुस्कान ने नॉन मेडिकल स्ट्रीम में 99.25% अंक हासिल किए हैं. मुस्कान चंडीगढ सेक्टर-26 के स्ट्रॉबेरी हाई स्कूल की छात्रा है. मुस्कान के माता-पिता चंडीगढ़ पीजीआई में बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. मुस्कान के पिता डॉक्टर अक्षय सक्सेना पीजीआई के रेडियोलॉजी और मां डॉक्टर बबीता पीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग में कार्यरत हैं.
ट्राइसिटी की टॉपर से खास बातचीत
ईटीवी भारत की टीम ने इस मौके पर मुस्कान से खास बातचीत की. मुस्कान ने कहा रिजल्ट आने पर उन्हें काफी खुशी मिली है. क्योंकि रिजल्ट लेट होने की वजह से मन में थोड़ी घबराहट जरूर थी, लेकिन इतना अच्छा रिजल्ट आने के बाद वे बेहद खुश हैं. उनके माता-पिता और टीचर भी उन पर गर्व महसूस कर रहे हैं. मुस्कान ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे टॉप करेंगी, लेकिन उनके मन में ये बात थी कि पूरी लगन के साथ मेहनत करनी है और परीक्षाओं में जितना ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर पाए, उतना करेगी.
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि वो पूरे दिन पढ़ाई में ही लगी रहती थी. उन्होंने पढ़ाई के अलावा भी कई काम किए हैं. उन्होंने कई डिबेट में हिस्सा लिया है. पब्लिक स्पीकिंग की है और यूएन के लिए भी काम किया है. क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे काम करना उनको बेहत पसंद है. जिससे उनके व्यक्तित्व में और ज्यादा सुधार आ सके.
मुस्कान ने कहा कि वे इकोनॉमिक्स और डाटा साइंस में जाना चाहती हैं, लेकिन भविष्य में अगर दूसरे विकल्प भी मिलते हैं, तो उनके बारे में भी जरूर सोचेंगी. उन्होंने कहा कि हालांकि उनके माता-पिता दोनों ही डॉक्टर हैं, लेकिन वे मेडिकल में नहीं जाना चाहती थी और उन्हें परिवार की तरफ से कभी मेडिकल में जाने के लिए नहीं कहा गया, उनके माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया.
ये भी पढ़ें:-सोनीपत: इशिका व रितिक ने 500 में से 494 अंक हासिल कर जिले में प्राप्त किया दूसरा स्थान
मुस्कान के पिता ने कहा कि मुस्कान ने जो करना चाहा हमने उसका भरपूर साथ दिया और हमने उसे किसी काम के लिए नहीं रोका. इसी वजह से मुस्कान ये सफलता हासिल कर पाई है. उन्होंने कहा कि जितनी मेहनत मुस्कान ने की है. उतनी मेहनत मुस्कान के टीचर्स ने भी की है. इसलिए उनका भी धन्यवाद करते हैं. वही मुस्कान की मां ने कहा कि मुस्कान ने हमेशा अपने आप ही पढ़ाई की है. उन्होंने कभी मुस्कान को नहीं पढ़ाया और उन्हें ऐसा भी कभी महसूस नहीं हुआ कि अगर मुस्कान मेडिकल क्षेत्र में होती तो शायद वे उसे घर में भी पढ़ा पाते.