चंडीगढ़/दिल्ली: हरियाणा में पड़ोसी राज्यों की धान फर्जी तरीके से बेचने की समस्या काफी गंभीर है. जिसका खामियाजा सूबे के किसानों को उठाना पड़ता है. इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को हिसार लोकसभा क्षेत्र से सांसद बृजेंद्र सिंह ने संसद में उठाया.
बृजेंद्र सिंह ने केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री से गुजारिश की हरियाणा की मंडियों में दूसरे राज्यों से चावल आकर बिक रहे हैं. इस बारे में जांच की जाए और उचित व्यवस्था की जाए ताकि हरियाणा के किसानों के हितों की रक्षा की जाए.
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आज संसद में हरियाणा की मंडियों में दूसरे राज्यों से आकर बिक रहे चावल का मुद्दा उठाया। केन्द्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री से आह्वान है कि इस मामले में गहन जाँच करवाई जाए व ऐसे प्रबन्ध किए जाए की हरियाणा के किसानों के हित सुरक्षित कर उनकी फ़सल का एक एक दाना ख़रीदा जाए। pic.twitter.com/14gYapZfM4
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सांसद बृजेंद्र सिंह ने केन्द्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री से आह्वान किया कि इस मामले में गहन जांच करवाई जाए और ऐसे प्रबन्ध किए जाएं कि हरियाणा के किसानों की फसल का एक एक दाना खरीदा जाए.
समस्या क्या है?
हरियाणा के फतेहाबाद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर जिले जो कि यूपी और पंजाब के सीमावर्ती इलाके हैं. इन जिलों को पैडी बेल्ट के नाम से जाना जाता है, लेकिन बड़ी दिक्कत तब होती है, जब यहां पड़ोसी राज्यों के किसान अपना धान बेच जाते हैं. ऐसे में एजेंसियों के पास भंडारण क्षमता पूरी हो जाती है. एजेंसी फसल खरीदने से मना कर देते हैं. स्थिति ये होती है कि सूबे के किसानों की फसल नहीं बिक पाती.
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सख्ताई के बावजूद असफल रहता है मिशन
प्रदेश के सीमावर्ती पंजाब, उत्तरप्रदेश के जिलों के किसान हरियाणा में धान न बेच सकें, इसके लिए हरियाणा के किसानों को अपना धान बेचने के लिए खसरा और गिरदावरी के दस्तावेज परचेज एजेंसी व मार्केट कमेटी के अधिकारियों को दिखाने होते हैं. इसका मकसद होता है कि हरियाणा के किसानों को धान बेचने में दिक्कत न आए.
इसके अलावा पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में धान की आवक रोकने के लिए स्पेशल बेरियर लगाए जाते हैं. ये पूरी कार्रवाई खुद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की तरफ से और सीमावर्ती जिलों के डीसी, एसपी और डीएफसी की सहायता से की जाती है. इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों के किसान अवैध तरीकों से यहां अपनी फसल बेच जाते हैं.