चंडीगढ़: आईबी से आकर हरियाणा के डीजीपी का पद संभालने वाले मनोज यादव (haryana DGP manoj yadav) ने अब वापस केंद्र में जाने की इच्छा जताई है. हरियाणा में 28 माह से डीजीपी की कमान संभाल रहे मनोज यादव के अनुभव खट्टे मीठे कहे जा सकते हैं. उनका इस कार्यकाल के दौरान कई विवादों से नाता रहा है. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या ये विवाद ही उनके हरियाणा छोड़कर दिल्ली जाने के मुख्य कारण हैं.
डीजीपी से जुड़े हैं कई विवाद
डीजीपी मनोज यादव का हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के साथ विवाद कुछ ही समय पहले सामने आया था. अनिल विज ने सीधे इसको लेकर पत्राचार भी किया था मगर उस मामले के बाद भी सरकार की तरफ से उन्हें सेवा विस्तार दे दिया गया था. इसके बाद आईजी वाईपूर्ण के साथ डीजीपी का विवाद भी चर्चाओं में रहा था.
आईबी में सेवा देने के बाद आए थे हरियाणा
मनोज यादव 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिनको वर्ष 2003 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात किया गया था. मनोज यादव के 16 वर्षों तक आईबी में विभिन्न पदों पर रहने के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें 19 फरवरी 2019 को वापस बुला लिया था और दो साल के लिए पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात किया था.
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कार्यकाल पूरा होने पर विज ने उठाए थे सवाल
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने डीजीपी का दो साल का समय पूरा होने के बाद कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पत्र लिखकर नए डीजीपी का चयन करने की मांग रखी. विज उनके स्थान पर किसी दूसरे अधिकारी को लगाने की मांग कर रहे थे मगर सरकार की तरफ से मनोज यादव को नए आदेशों तक सेवा विस्तार दे दिया गया. इसके बाद इस मामले पर किसी तरह की टिप्पणी मनोज यादव की तरफ से देखने को नहीं मिली.
आईजी वाईपूर्ण से भी रहा है विवाद
इस मामले के ठंडा पड़ते ही अंबाला रेंज के महानिरीक्षक रहे और आईजी होमगार्ड वाईपूर्ण की तरफ से उनकी शिकायत की गई. आईजी वाईपूर्ण ने आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति वर्ग से होने के कारण उन्हें डीजीपी प्रताड़ित कर रहे हैं, इसलिए एससी/एसटी एक्ट के तहत डीजीपी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. इस मामले में आईजी गृह सचिव ने डीजीपी मनोज यादव, वर्तमान आईजी अंबाला और एसपी अंबाला को पत्र लिखकर अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी. इन दोनों मामलों के बाद मनोज यादव ने सभी को चौंकाते हुए खुद ही केंद्र में वापस जाने की इच्छा जाहिर की.
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विज ने एक बार फिर साधा डीजीपी पर निशाना
डीजीपी से जुड़े विवाद यहीं खत्म नहीं हो रहे. जहां एक तरफ डीजीपी का पत्र चर्चाओं में है वहीं गृहमंत्री अनिल विज ने एक बार डीजीपी को लेकर बड़ा बयान दिया है. अनिल विज ने सीधे शब्दों में ये कह डाला है कि उन्हें अभी तक ऐसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ. विज ने कहा कि ये केवल पत्र सोशल मीडिया पर ही चल रहा है.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
हालांकि इससे पहले अनिल विज के साथ हुए विवाद के बीच मनोज यादव ने ऐसी इच्छा जाहिर नहीं की थी. अचानक डीजीपी मनोज यादव का हरियाणा के पुलिस महानिदेशक पद से मोहभंग होने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं. दूसरी तरफ विपक्ष इस मामले में सरकार को घेरते हुए अधिकारियों को मोहरा बनाएं जाने का सवाल उठा रही है. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि ये डीजीपी मनोज यादव का निजी फैसला हो सकता है मगर अधिकरियों को निशाना बनाया जाता है ऐसे में सुशासन की बात कैसे की जा सकती है.
मुख्यमंत्री स्थिति को संभालते आए नजर
कुमारी सैलजा जहां इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधती नजर आई वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्थिति को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि हमारे यहां सब मिलकर काम करते हैं. इस मामले पर मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि डीजीपी जाना चाहते हैं तो विचार कर फैसला लेंगे. सीएम ने कहा कि तीन अधिकारियों का पैनल यूपीएससी को विचार विमर्श के बाद भेजा जाएगा.
ये हो सकते हैं हरियाणा के अगले डीजीपी
बहरहाल यहां बता दें कि हरियाणा में वर्तमान में पांच आईपीएस डीजीपी बनने की दौड़ में हैं. इनमें से किन 3 अधिकरियों का नाम भेजा जाएगा, ये भी देखना होगा. फिलहाल 1990 बैच के शत्रुजीत कपूर और देश राज सिंह, 1988 बैच के पीके अग्रवाल, 1989 बैच के मोहम्मद अकील और आरसी मिश्रा डीजीपी पद पर दावेदार माने जा रहे हैं.
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