ETV Bharat / state

इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा नतीजों का असर?

23 मई को आने वाले चुनाव नतीजे 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दिग्गजों की कद भी तय करेंगे.

मतदान के बाद नतीजों पर नजर, दिग्गजों का बहुत कुछ दांव पर
author img

By

Published : May 13, 2019, 1:40 PM IST

Updated : May 13, 2019, 1:46 PM IST

चंडीगढ़ः देश की 17वीं लोकसभा चुनने के लिए चल रही चुनाव प्रकिया के छठे चरण के तहत 12 मई को हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ. जिसके बाद उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम के कैद हो गई.
जिसके साथ ही कई सियासी सूरमाओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई. अब 23 मई को आने वाले चुनाव नतीजे 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दिग्गजों की कद भी तय करेंगे.

मनोहर लाल
यूं तो बीजेपी पहले ही ये घोषणा कर चुकी है कि अगले विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेगी. लेकिन लोकसभा चुनाव के काफी हद तक उनके कद को प्रभावित करेंगे.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
मनोहर लाल (फाइल फोटो)

2014 में मनोहर लाल पहली बार विधायक बने थे और उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद से मनोहर लाल हरियाणा के तकरीबन सभी नगर निगम बीजेपी के खाते में डाल चुके हैं, जींद में भी विधानसभा के उपचुनाव में मनोहर लाल ने कमान संभाली और बीजेपी को जीत मिली. उसके बाद दिल्ली दरबार में मनोहर लाल का कद काफी मजबूत हुआ और लोकसभा चुनाव के लिए टिकटों के बंटवारे में मुख्यमंत्री की खूब चली.

ऐसे में अगर नतीजे मनोहर लाल के दांवों के बिल्कुल अनुरूप ना होकर उसके आस-पास भी रहे तो केंद्रीय नेतृत्व के सामने उनका कद और बढ़ेगा, जो उन्हें हरियाणा बीजेपी के दूसरे नेताओं से भी बड़ा बनाएगा.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा
सीएम पद के लिए हरियाणा कांग्रेस में घमासान और नेताओं की दावेदारी से हरियाणा की सियासत में दिलचस्पी रखने वाला हर शख्स जरूर परिचित होगा. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोशिशों में लगे हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा को सोनीपत सीट से मैदान में उतार दिया, वहीं रोहतक लोकसभा सीट से उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा चुनाव मैदान में हैं. वहीं करनाल से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी कहे जाने वाले कुलदीप शर्मा कांग्रेस के झंडाबरदार हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)

पार्टी हाईकमान ने हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की कोआर्डिनेशन कमेटी का चेयरमैन भी बनाया है. लिहाजा अपनी और अपने बेटे की लोकसभा सीट के साथ ही हरियाणा की ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत दिलाने की जिम्मेदारी भी हुड्डा पर है. लेकिन रोहतक और सोनीपत लोकसभा सीट पर बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान हुड्डा की खूब घेरेबंदी की है.

ऐसे में अगर हुड्डा बीजेपी की चुनौतियों को पार कर जाते हैं तो कांग्रेस की ओर से सीएम पद के लिए उनकी दावेदारी और मजबूत होगी. लेकिन नतीजे खिलाफ होने पर हुड्डा की राह में मुश्किलें आ सकती हैं.

राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव
केंद्र सरकार में राज्यमंत्री और गुरुग्राम लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह दक्षिण हरियाणा के दिग्गज नेता माने जाते हैं. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से कुछ दिनों पहले तक राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस में थे.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव (डिजाइन फोटो)

लेकिन इस बार कांग्रेस ने उनके सामने हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव को मैदान में उतारा है. कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में बड़े नेता माने जाते हैं. लिहाजा चुनाव के नतीजे दोनों नेताओं के कद को एक बार फिर से मापेंगे.

अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला
चौटाला परिवार में पड़ी दरार और इनेलो में टूट के बाद से चाचा अभय चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला के भविष्य को लेकर लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बहुत कुछ तय हो सकता है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला (डिजाइन फोटो)

ये भी पढ़ेः- इस बार भी नहीं टूटा 1977 का वोटिंग रिकॉर्ड, जानिए तब कितनी हुई थी वोटिंग

टूट के बाद अभय चौटाला की अगुवाई वाली इनेलो अपने अस्तित्व के लिए जूझती नजर आ रही है. वहीं जननायक जनता पार्टी बनाकर दुष्यंत चौटाला ने नई सियासी राह पकड़ ली है.
अब नतीजों से ये साफ होगा की क्या होगा इनेलो का और दुष्यंत की नई सियासी राह उन्हें कहां तक ले जाती है.

चौधरी बीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई
दोनों में एक समानता है, दोनों ने पूरा जोर लगाकर अपने-अपने बेटों के लिए लोकसभा चुनाव में टिकटों का जुगाड़ किया. दोनों के बेटे चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई बीजेपी और कांग्रेस की टिकट पर हिसार से एक-दूसरे के आमने-सामने हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
चौधरी बीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई (डिजाइन फोटो)

ऐसे में बेटों की जीत के साथ दोनों नेताओं की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. चुनाव नतीजे दोनों नेताओं के सियासी कद को तय करेंगे.

अशोक तंवर
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर कांग्रेस पार्टी की ओर से खुद को सीएम की रेस मानते हैं और सिरसा से लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
अशोक तंवर (फाइल फोटो)

ऐसे में सिरसा लोकसभा सीट उनकी जीत और जीत हार के वोटों का अंतर कांग्रेस हाईकमान के सामने उनके कद को तय करेगा.

कुमारी सैलजा
अंबाला लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी कुमारी सैलजा भी प्रदेश कांग्रेस में बड़ी नेता मानी जाती है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
कुमारी सैलजा (फाइल फोटो)

सैलजा ने 2014 में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. लेकिन इस फिर से वो मैदान में हैं और नतीजे हाईकमान के सामने उनकी कद को तय करेंगे.

किरण चौधरी
सीएलपी लीडर किरण चौधरी की प्रतिष्ठा इस बार भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही उनकी बेटी श्रुति चौधरी की हार जीत साथ जुड़ी हुई है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
किरण चौधरी (फाइल फोटो)

श्रुति चौधरी की जीत कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए किरण चौधरी की दावेदारी को मजबूत करेगी. साथ ही हाईकमान के सामने उनका कद भी बढ़ाएगी. किरण चौधरी भी कांग्रेस पार्टी की ओर से खुद को सीएम पद का दावेदार मानती हैं.

ऐसे अगर श्रुति चौधरी अगर हार जाती हैं, तो किरण चौधरी की राह मुश्किल हो सकती है.

चंडीगढ़ः देश की 17वीं लोकसभा चुनने के लिए चल रही चुनाव प्रकिया के छठे चरण के तहत 12 मई को हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ. जिसके बाद उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम के कैद हो गई.
जिसके साथ ही कई सियासी सूरमाओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई. अब 23 मई को आने वाले चुनाव नतीजे 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दिग्गजों की कद भी तय करेंगे.

मनोहर लाल
यूं तो बीजेपी पहले ही ये घोषणा कर चुकी है कि अगले विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेगी. लेकिन लोकसभा चुनाव के काफी हद तक उनके कद को प्रभावित करेंगे.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
मनोहर लाल (फाइल फोटो)

2014 में मनोहर लाल पहली बार विधायक बने थे और उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद से मनोहर लाल हरियाणा के तकरीबन सभी नगर निगम बीजेपी के खाते में डाल चुके हैं, जींद में भी विधानसभा के उपचुनाव में मनोहर लाल ने कमान संभाली और बीजेपी को जीत मिली. उसके बाद दिल्ली दरबार में मनोहर लाल का कद काफी मजबूत हुआ और लोकसभा चुनाव के लिए टिकटों के बंटवारे में मुख्यमंत्री की खूब चली.

ऐसे में अगर नतीजे मनोहर लाल के दांवों के बिल्कुल अनुरूप ना होकर उसके आस-पास भी रहे तो केंद्रीय नेतृत्व के सामने उनका कद और बढ़ेगा, जो उन्हें हरियाणा बीजेपी के दूसरे नेताओं से भी बड़ा बनाएगा.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा
सीएम पद के लिए हरियाणा कांग्रेस में घमासान और नेताओं की दावेदारी से हरियाणा की सियासत में दिलचस्पी रखने वाला हर शख्स जरूर परिचित होगा. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोशिशों में लगे हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा को सोनीपत सीट से मैदान में उतार दिया, वहीं रोहतक लोकसभा सीट से उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा चुनाव मैदान में हैं. वहीं करनाल से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी कहे जाने वाले कुलदीप शर्मा कांग्रेस के झंडाबरदार हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)

पार्टी हाईकमान ने हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की कोआर्डिनेशन कमेटी का चेयरमैन भी बनाया है. लिहाजा अपनी और अपने बेटे की लोकसभा सीट के साथ ही हरियाणा की ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत दिलाने की जिम्मेदारी भी हुड्डा पर है. लेकिन रोहतक और सोनीपत लोकसभा सीट पर बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान हुड्डा की खूब घेरेबंदी की है.

ऐसे में अगर हुड्डा बीजेपी की चुनौतियों को पार कर जाते हैं तो कांग्रेस की ओर से सीएम पद के लिए उनकी दावेदारी और मजबूत होगी. लेकिन नतीजे खिलाफ होने पर हुड्डा की राह में मुश्किलें आ सकती हैं.

राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव
केंद्र सरकार में राज्यमंत्री और गुरुग्राम लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह दक्षिण हरियाणा के दिग्गज नेता माने जाते हैं. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से कुछ दिनों पहले तक राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस में थे.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव (डिजाइन फोटो)

लेकिन इस बार कांग्रेस ने उनके सामने हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव को मैदान में उतारा है. कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में बड़े नेता माने जाते हैं. लिहाजा चुनाव के नतीजे दोनों नेताओं के कद को एक बार फिर से मापेंगे.

अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला
चौटाला परिवार में पड़ी दरार और इनेलो में टूट के बाद से चाचा अभय चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला के भविष्य को लेकर लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बहुत कुछ तय हो सकता है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला (डिजाइन फोटो)

ये भी पढ़ेः- इस बार भी नहीं टूटा 1977 का वोटिंग रिकॉर्ड, जानिए तब कितनी हुई थी वोटिंग

टूट के बाद अभय चौटाला की अगुवाई वाली इनेलो अपने अस्तित्व के लिए जूझती नजर आ रही है. वहीं जननायक जनता पार्टी बनाकर दुष्यंत चौटाला ने नई सियासी राह पकड़ ली है.
अब नतीजों से ये साफ होगा की क्या होगा इनेलो का और दुष्यंत की नई सियासी राह उन्हें कहां तक ले जाती है.

चौधरी बीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई
दोनों में एक समानता है, दोनों ने पूरा जोर लगाकर अपने-अपने बेटों के लिए लोकसभा चुनाव में टिकटों का जुगाड़ किया. दोनों के बेटे चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई बीजेपी और कांग्रेस की टिकट पर हिसार से एक-दूसरे के आमने-सामने हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
चौधरी बीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई (डिजाइन फोटो)

ऐसे में बेटों की जीत के साथ दोनों नेताओं की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. चुनाव नतीजे दोनों नेताओं के सियासी कद को तय करेंगे.

अशोक तंवर
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर कांग्रेस पार्टी की ओर से खुद को सीएम की रेस मानते हैं और सिरसा से लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
अशोक तंवर (फाइल फोटो)

ऐसे में सिरसा लोकसभा सीट उनकी जीत और जीत हार के वोटों का अंतर कांग्रेस हाईकमान के सामने उनके कद को तय करेगा.

कुमारी सैलजा
अंबाला लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी कुमारी सैलजा भी प्रदेश कांग्रेस में बड़ी नेता मानी जाती है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
कुमारी सैलजा (फाइल फोटो)

सैलजा ने 2014 में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. लेकिन इस फिर से वो मैदान में हैं और नतीजे हाईकमान के सामने उनकी कद को तय करेंगे.

किरण चौधरी
सीएलपी लीडर किरण चौधरी की प्रतिष्ठा इस बार भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही उनकी बेटी श्रुति चौधरी की हार जीत साथ जुड़ी हुई है.

Look at the results after voting, a lot of veterans at stake
किरण चौधरी (फाइल फोटो)

श्रुति चौधरी की जीत कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए किरण चौधरी की दावेदारी को मजबूत करेगी. साथ ही हाईकमान के सामने उनका कद भी बढ़ाएगी. किरण चौधरी भी कांग्रेस पार्टी की ओर से खुद को सीएम पद का दावेदार मानती हैं.

ऐसे अगर श्रुति चौधरी अगर हार जाती हैं, तो किरण चौधरी की राह मुश्किल हो सकती है.

Intro:Body:

POLITICS


Conclusion:
Last Updated : May 13, 2019, 1:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.