चंडीगढ़: लंगर बाबा के नाम से प्रसिद्ध जगदीश लाल आहूजा का सोमवार को निधन (Langar Baba died in Chandigarh) हो गया. जगदीश लाल आहूजा लंबे समय से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे. गौरतलब है कि जगदीश लाल आहूजा के समाज भलाई के कार्यों को देखते हुए पिछले साल उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. जगदीश लाल आहूजा बहुत लंबे समय से चंडीगढ़ पीजीआई के बाहर लंगर लगाया करते थे. जिससे वह आने वाले गरीब लोगों का पेट भर सके. इसीलिए जगदीश आहूजा लंगर बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए.
लंगर बाबा (langar baba) का जन्म पटियाला में हुआ था, लेकिन कम उम्र में ही वे घर छोड़कर चंडीगढ़ आ गए थे. यहां पर उन्होंने फल बेचने का काम शुरू किया था. उनका यह काम चल निकला. उन्होंने चंडीगढ़ और आसपास काफी संपत्ति बनाई, लेकिन भूखे लोगों को खाना खिलाने की उनकी इच्छा की वजह से उन्होंने अपनी लगभग सारी संपत्ति बेच दी थी. लंगर बाबा ने अपने बेटे के आठवें जन्मदिन के मौके पर करीब 100 लोगों को खाना खिलाया था. जिसके बाद उन्होंने यह लंगर की सेवा शुरू कर दी थी.
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उन्होंने पहले सेक्टर-23 में 18 सालों तक लंगर चलाया और पिछले 21 सालों से वे पीजीआई के बाहर लंगर चला रहे थे. इतने सालों में एक भी दिन उनका लंगर नहीं रुका. सिर्फ कोरोना काल में 7 दिनों के लिए उनका लंगर बंद हुआ था. वे हर रोज 4 से 5 हजार लोगों को खाना खिलाते थे.
लंगर बाबा का कहना था कि वे किसी भी व्यक्ति को भूखा नहीं देख सकते. इसलिए लंगर की सेवा चलाते हैं. हालांकि लोगों को मुफ्त खाना खिलाने के लिए उन्होंने उम्र भर की कमाई संपत्ति को भी बेच दिया था. कुछ साल पहले उन्हें कैंसर हो गया था. जिस वजह से वे खुद लंगर बांटने के लिए नहीं जा पाते थे, लेकिन इसके बावजूद लंगर की सेवा नहीं रुकी. अपने पूरे जीवन को गरीबों कि सेवा में लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें साल 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी इच्छा थी कि वे पीजीआई में आने वाले गरीब लोगों के लिए एक सराय बनवाएं. इसके लिए उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से जमीन की मांग भी की थी, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी.
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