ETV Bharat / state

किसान आंदोलन में हुई मौतें और केस वापस लेने पर फंसा है पेंच! जानिए क्या है हरियाणा का आंकड़ा और कैसे निकल सकता है समाधान

केंद्र सरकार के द्वारा तीन कृषि कानून निरस्त करने के बाद भी किसान आंदोलन (Farmers protest) जारी है. किसान अपनी अन्य मांगों को लेकर डटे हुए हैं. जिसमें किसानों पर दर्ज केस वापस लेना, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देना जैसी कई मांगें शामिल हैं. इसी बीच ये जानना भी जरूरी है कि हरियाणा के किसानों पर कितने केस दर्ज हैं, और अभी तक हरियाणा के कितने किसानों की आंदोलन में मौत हुई है.

Farmers protest news
Farmers protest news
author img

By

Published : Dec 4, 2021, 10:46 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में तीन कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Farmers protest) के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने, मृतक किसानों को शहीद का दर्जा देने और शहीद स्मारक बनाने जैसी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को हरियाणा के किसान संगठनों के नेताओं ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी, लेकिन वो बैठक बेनतीजा निकली. बैठक क्यों बेनतीजा रही? क्या हुई बैठक में बातचीत? और हरियाणा में किसानों पर कितने केस दर्ज हैं? और अभी तक हरियाणा के कितने किसानों की आंदोलन में मौत (haryana farmers death during agitation) हुई है? ये सब जानना भी जरूरी है.

किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई इस बैठक के दौरान तीन दौर की बातचीत हुई. इस बातचीत को लेकर हर तरफ यही कयास लगाए जा रहे थे कि बैठक के बाद सरकार और किसान नेताओं के बीच कोई ना कोई फैसला जरूर होगा, लेकिन इस बातचीत के बाद बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि बातचीत बेनतीजा रही. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों ओर से माहौल बातचीत के लिए सौहादपूर्ण रहा, लेकिन नतीजा नहीं निकल पाया.

ये भी पढ़ें- Farmer Protest: सरकार से बातचीत के लिए किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी गठित, अगली बैठक 7 दिसंबर को

सूत्रों की मानें तो बैठक में किसान नेताओं ने पहले तो किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा की. जिस पर किसान नेताओं ने कहा कि पूरे हरियाणा में लगभग 48 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज कर रखे हैं. जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उनके पास तो 38 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज होने का रिकॉर्ड है. इसी किसान नेताओं ने कहा कि सभी मुकदमे वापस लिए जाएं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जघन्य अपराध हैं, उनको वापस नहीं लिया जा सकता. आप पहले किसान आंदोलन को खत्म करें उसके बाद हम यह सभी मुकदमे वापस ले लेंगे. जिस पर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई.

सूत्रों के मुताबिक उसके बाद किसान नेताओं ने किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान की बात की तो सरकार ने कहा कि हम इस पर सहमत हैं. इसके बाद किसान नेताओं ने शहीद स्मारक के लिए जमीन देने के लिए सरकार को कहा तो मुख्यमंत्री ने ना कर दी. हालांकि करीब 3 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में यह तय हो चुका था कि मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे, लेकिन उससे पहले किसान आंदोलन को खत्म करना होगा, लेकिन किसान नेता वहां पर पहले मुकदमे वापस लेने की बात पर अड़े रहे. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकालेंगे और मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जल्द से जल्द डाटा इकट्ठा करने के आदेश दिए और इसके बाद मीटिंग से चले गए.

क्या कहते हैं इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार

हरियाणा में आंदोलन के दौरान कितने किसानों की हुई मौत- हरियाणा में तीन कृषि कानूनों के आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई है. इसको लेकर अभी तक कोई पुख्ता आंकड़ा ना किसान नेताओं के पास है ना ही सरकार के पास है. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को 702 किसानों की मौत की सूची सौंपी है.

क्या आंकड़ा केस और मौत का बताते हैं किसान नेता- किसान नेता मनदीप सिंह के मुताबिक उनके पास जो डाटा है उसमें हरियाणा में करीब एफआईआर 191 दर्ज हैं जिसमें लगभग 48 हजार 300 किसानों पर मुकदमे दर्ज हैं. उन्होंने किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की संख्या बताते हुए कहा कि हमारे पास अभी तक हरियाणा से 83 किसानों का डाटा आया है जो इस किसान आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर अपनी जान गंवा चुके हैं. उनका कहना है कि हरियाणा के करीब 100 किसानों ने इस पूरे आंदोलन में अपनी जान गंवाई है.

ये भी पढे़ं- सीएम खट्टर से मुलाकात के बाद बोले किसान नेता, 'नहीं मानी कोई मांग, अब किसान तैयार करेंगे अगली रणनीति'

विधानसभा में कांग्रेस विधायक भारत भूषण बतरा और जगबीर सिंह मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान दर्ज एफआईआर का जिलेवार ब्यौरा मांगा था. विधायकों ने पूछा था कि राजद्रोह के तहत कितने मामले दर्ज हुए, राजद्रोह के तहत दर्ज मामलों का आधार भी बताया जाए. इसके जवाब में सरकार ने बताया था कि कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अब तक 136 मामले दर्ज किए गए हैं.

राजद्रोह की धारा 124ए के तहत दो एफआईआर दर्ज हुई हैं. पहले मामले में 11 जुलाई 2021 को सिरसा में आंदोलनकारी किसानों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के काफिले पर हमला किया था. दूसरे मामले में 15 जनवरी 2021 को झज्जर के बहादुरगढ़ में सुनील के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. वीडियो में उसने कसम खाई थी कि अगर सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों की नहीं सुनी तो वे सरकार के खिलाफ तोप से हमला करेंगे.

ये भी पढ़ें- संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले हरियाणा किसान संगठनों ने की अलग से बैठक

सदन के पटल पर रखे जवाब में किसानों के खिलाफ निम्नलिखित मामले दर्ज किए गए बताया गया था. पंचकूला जिले में 3, अंबाला में 15, कुरुक्षेत्र में 14, यमुनानगर में 5, करनाल में 4, कैथल में 4, पानीपत में 5, रोहतक में 8, सोनीपत में 26, भिवानी में 7, झज्जर में 9, हिसार में 4, हांसी में 2, सिरसा में 12, फतेहाबाद में 7, जींद में 6, रेवाड़ी में 3, और पलवल में 2 मामले किसानों के खिलाफ दर्ज हुए.

क्या कहते हैं इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार- वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेंद्र धीमान का कहना है कि जो मामले किसानों पर दर्ज हुए हैं उनको हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही किसानों पर दर्ज मुकदमों को लेकर सरकार के शीर्ष नेतृत्व की बैठक हुई थी. जिसमें मोटा मोटा खाका तैयार किया गया था कि किस तरह के मामले वापस लिए जा सकते हैं और किस तरह के नहीं. वे कहते हैं कि बैठक के बाद जिस तरीके से किसान नेताओं के बयान आए कि बैठक ना गरम रही ना नरम रही तो उसे साफ है कि जो सामान्य तौर पर मुकदमे किसानों पर दर्ज है उनको वापस लेने में सरकार को कोई हर्ज नहीं है.

ये भी पढ़ें- SKM की बैठक के बाद ईटीवी भारत से बोले राकेश टिकैत, 'जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी, जारी रहेगा आंदोलन'

वे मानते हैं कि जो गंभीर श्रेणी के मामले हैं उनको वापस लेने में मुश्किल हो सकती है. क्योंकि वह मामले कोर्ट में चल रहे हैं और कोर्ट के थ्रू ही उन मामलों को वापस लिया जा सकता है. हालांकि उसमें भी अदालत पर निर्भर करता है कि वह मामले वापस लेने देती है या नहीं. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि कल अगर बातचीत में मामला हल हो भी जाता तो भी सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक इसके लिए अहम थी. वे कहते हैं कि क्योंकि सभी राज्यों में दर्ज मामलों को वापस लेने की किसान संयुक्त मोर्चा की मांग है तो जब वह वापस होंगे या जब उनको लेकर कोई फैसला होगा तभी हरियाणा में भी इसको लेकर आगे बढ़ा जाएगा.

इस बैठक को एक सकारात्मक दिशा में बढ़ा हुआ कदम मान सकते हैं क्योंकि दोनों ओर से किस तरह से आगे बढ़ना है उसको लेकर मोटा मोटा खाका तैयार हो गया है. दूसरे दौर की बातचीत हो जाए, फिर केंद्र की ओर से निर्देश होंगे कि कौन-कौन से मुकदमे राज्य सरकार वापस ले. उसी को ही फिर हरियाणा की सरकार भी मानेगी. उन्होंने कहा कि जहां तक मुकदमे दर्ज होने की बात है तो जो आंकड़े हरियाणा सरकार ने चार-पांच महीने पहले विधानसभा में रखे थे वही सही माने जाएंगे और उसके बाद जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उसका आंकड़ा 200 एफआईआर का हो सकता है. हालांकि जो 45 हजार किसानों पर केस दर्ज होने की बात है, उसे इस तरह देखना चाहिए कि कई मामलों में अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज होते हैं तो वे अलग-अलग मामलों में जोड़कर हजारों की संख्या में बन जाते हैं. हालांकि वे कहते हैं कि नामजद मुकदमा बहुत कम दर्ज हैं उनकी संख्या कम है, लेकिन अन्य जोड़कर यह संख्या ज्यादा हो रही है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv bharat app

चंडीगढ़: हरियाणा में तीन कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Farmers protest) के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने, मृतक किसानों को शहीद का दर्जा देने और शहीद स्मारक बनाने जैसी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को हरियाणा के किसान संगठनों के नेताओं ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी, लेकिन वो बैठक बेनतीजा निकली. बैठक क्यों बेनतीजा रही? क्या हुई बैठक में बातचीत? और हरियाणा में किसानों पर कितने केस दर्ज हैं? और अभी तक हरियाणा के कितने किसानों की आंदोलन में मौत (haryana farmers death during agitation) हुई है? ये सब जानना भी जरूरी है.

किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई इस बैठक के दौरान तीन दौर की बातचीत हुई. इस बातचीत को लेकर हर तरफ यही कयास लगाए जा रहे थे कि बैठक के बाद सरकार और किसान नेताओं के बीच कोई ना कोई फैसला जरूर होगा, लेकिन इस बातचीत के बाद बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि बातचीत बेनतीजा रही. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों ओर से माहौल बातचीत के लिए सौहादपूर्ण रहा, लेकिन नतीजा नहीं निकल पाया.

ये भी पढ़ें- Farmer Protest: सरकार से बातचीत के लिए किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी गठित, अगली बैठक 7 दिसंबर को

सूत्रों की मानें तो बैठक में किसान नेताओं ने पहले तो किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा की. जिस पर किसान नेताओं ने कहा कि पूरे हरियाणा में लगभग 48 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज कर रखे हैं. जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उनके पास तो 38 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज होने का रिकॉर्ड है. इसी किसान नेताओं ने कहा कि सभी मुकदमे वापस लिए जाएं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जघन्य अपराध हैं, उनको वापस नहीं लिया जा सकता. आप पहले किसान आंदोलन को खत्म करें उसके बाद हम यह सभी मुकदमे वापस ले लेंगे. जिस पर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई.

सूत्रों के मुताबिक उसके बाद किसान नेताओं ने किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान की बात की तो सरकार ने कहा कि हम इस पर सहमत हैं. इसके बाद किसान नेताओं ने शहीद स्मारक के लिए जमीन देने के लिए सरकार को कहा तो मुख्यमंत्री ने ना कर दी. हालांकि करीब 3 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में यह तय हो चुका था कि मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे, लेकिन उससे पहले किसान आंदोलन को खत्म करना होगा, लेकिन किसान नेता वहां पर पहले मुकदमे वापस लेने की बात पर अड़े रहे. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकालेंगे और मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जल्द से जल्द डाटा इकट्ठा करने के आदेश दिए और इसके बाद मीटिंग से चले गए.

क्या कहते हैं इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार

हरियाणा में आंदोलन के दौरान कितने किसानों की हुई मौत- हरियाणा में तीन कृषि कानूनों के आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई है. इसको लेकर अभी तक कोई पुख्ता आंकड़ा ना किसान नेताओं के पास है ना ही सरकार के पास है. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को 702 किसानों की मौत की सूची सौंपी है.

क्या आंकड़ा केस और मौत का बताते हैं किसान नेता- किसान नेता मनदीप सिंह के मुताबिक उनके पास जो डाटा है उसमें हरियाणा में करीब एफआईआर 191 दर्ज हैं जिसमें लगभग 48 हजार 300 किसानों पर मुकदमे दर्ज हैं. उन्होंने किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की संख्या बताते हुए कहा कि हमारे पास अभी तक हरियाणा से 83 किसानों का डाटा आया है जो इस किसान आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर अपनी जान गंवा चुके हैं. उनका कहना है कि हरियाणा के करीब 100 किसानों ने इस पूरे आंदोलन में अपनी जान गंवाई है.

ये भी पढे़ं- सीएम खट्टर से मुलाकात के बाद बोले किसान नेता, 'नहीं मानी कोई मांग, अब किसान तैयार करेंगे अगली रणनीति'

विधानसभा में कांग्रेस विधायक भारत भूषण बतरा और जगबीर सिंह मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान दर्ज एफआईआर का जिलेवार ब्यौरा मांगा था. विधायकों ने पूछा था कि राजद्रोह के तहत कितने मामले दर्ज हुए, राजद्रोह के तहत दर्ज मामलों का आधार भी बताया जाए. इसके जवाब में सरकार ने बताया था कि कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अब तक 136 मामले दर्ज किए गए हैं.

राजद्रोह की धारा 124ए के तहत दो एफआईआर दर्ज हुई हैं. पहले मामले में 11 जुलाई 2021 को सिरसा में आंदोलनकारी किसानों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के काफिले पर हमला किया था. दूसरे मामले में 15 जनवरी 2021 को झज्जर के बहादुरगढ़ में सुनील के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. वीडियो में उसने कसम खाई थी कि अगर सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों की नहीं सुनी तो वे सरकार के खिलाफ तोप से हमला करेंगे.

ये भी पढ़ें- संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले हरियाणा किसान संगठनों ने की अलग से बैठक

सदन के पटल पर रखे जवाब में किसानों के खिलाफ निम्नलिखित मामले दर्ज किए गए बताया गया था. पंचकूला जिले में 3, अंबाला में 15, कुरुक्षेत्र में 14, यमुनानगर में 5, करनाल में 4, कैथल में 4, पानीपत में 5, रोहतक में 8, सोनीपत में 26, भिवानी में 7, झज्जर में 9, हिसार में 4, हांसी में 2, सिरसा में 12, फतेहाबाद में 7, जींद में 6, रेवाड़ी में 3, और पलवल में 2 मामले किसानों के खिलाफ दर्ज हुए.

क्या कहते हैं इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार- वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेंद्र धीमान का कहना है कि जो मामले किसानों पर दर्ज हुए हैं उनको हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही किसानों पर दर्ज मुकदमों को लेकर सरकार के शीर्ष नेतृत्व की बैठक हुई थी. जिसमें मोटा मोटा खाका तैयार किया गया था कि किस तरह के मामले वापस लिए जा सकते हैं और किस तरह के नहीं. वे कहते हैं कि बैठक के बाद जिस तरीके से किसान नेताओं के बयान आए कि बैठक ना गरम रही ना नरम रही तो उसे साफ है कि जो सामान्य तौर पर मुकदमे किसानों पर दर्ज है उनको वापस लेने में सरकार को कोई हर्ज नहीं है.

ये भी पढ़ें- SKM की बैठक के बाद ईटीवी भारत से बोले राकेश टिकैत, 'जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी, जारी रहेगा आंदोलन'

वे मानते हैं कि जो गंभीर श्रेणी के मामले हैं उनको वापस लेने में मुश्किल हो सकती है. क्योंकि वह मामले कोर्ट में चल रहे हैं और कोर्ट के थ्रू ही उन मामलों को वापस लिया जा सकता है. हालांकि उसमें भी अदालत पर निर्भर करता है कि वह मामले वापस लेने देती है या नहीं. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि कल अगर बातचीत में मामला हल हो भी जाता तो भी सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक इसके लिए अहम थी. वे कहते हैं कि क्योंकि सभी राज्यों में दर्ज मामलों को वापस लेने की किसान संयुक्त मोर्चा की मांग है तो जब वह वापस होंगे या जब उनको लेकर कोई फैसला होगा तभी हरियाणा में भी इसको लेकर आगे बढ़ा जाएगा.

इस बैठक को एक सकारात्मक दिशा में बढ़ा हुआ कदम मान सकते हैं क्योंकि दोनों ओर से किस तरह से आगे बढ़ना है उसको लेकर मोटा मोटा खाका तैयार हो गया है. दूसरे दौर की बातचीत हो जाए, फिर केंद्र की ओर से निर्देश होंगे कि कौन-कौन से मुकदमे राज्य सरकार वापस ले. उसी को ही फिर हरियाणा की सरकार भी मानेगी. उन्होंने कहा कि जहां तक मुकदमे दर्ज होने की बात है तो जो आंकड़े हरियाणा सरकार ने चार-पांच महीने पहले विधानसभा में रखे थे वही सही माने जाएंगे और उसके बाद जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उसका आंकड़ा 200 एफआईआर का हो सकता है. हालांकि जो 45 हजार किसानों पर केस दर्ज होने की बात है, उसे इस तरह देखना चाहिए कि कई मामलों में अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज होते हैं तो वे अलग-अलग मामलों में जोड़कर हजारों की संख्या में बन जाते हैं. हालांकि वे कहते हैं कि नामजद मुकदमा बहुत कम दर्ज हैं उनकी संख्या कम है, लेकिन अन्य जोड़कर यह संख्या ज्यादा हो रही है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv bharat app

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.