चंडीगढ़: देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसका जिम्मेदार कोरोना के नए यूके स्ट्रेन को माना जा रहा है, लेकिन अब इंडियन स्ट्रेन के मामले भी सामने आने लगे हैं. इंडियन स्ट्रेन को भी यूके स्ट्रेन की तरह घातक माना जा रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर जगतराम से बात की.
प्रोफेसर जगतराम ने बताया यूके स्ट्रेन आने के बाद कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. अब इंडियन स्ट्रेन के मामले भी सामने आने लगे हैं. देश में कोरोना के मामले बढ़ने का यह एक बड़ा कारण है. इसके अलावा लोगों की लापरवाही भी मुख्य कारण है, क्योंकि अगर लापरवाही ना बरतें तो केसों में होने वाले इजाफे को रोका जा सकता है. लोगों की वजह से ही दिन-प्रतिदिन घातक होता जा रहा है.
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कोरोना एयरबोर्न इंफेक्शन है- डॉ. जगत राम
साल 2020 तक नहीं माना जाता था की करोना एक ड्रॉपलेट इनफेक्शन है. जबकि नई रिसर्च में सामने आया है कि यह एयरबोर्न इंफेक्शन है. यानी एक बंद कमरे में अगर कई लोग मौजूद हो तो सभी लोगों में यह आसानी से फैल सकता है.
डॉक्टर जगत राम ने कहा कि लॉक डाउन लगाना आसान नहीं है, क्योंकि इसका असर बहुत से लोगों पर पड़ता है. पिछले साल हम लॉकडाउन को देख चुके हैं. अगर लोग अनुशासन में रहें और निर्देशों का गंभीरता से पालन करें तो लॉकडाउन लगाने से बचा जा सकता है, लेकिन लोग ऐसा नहीं करते हैं और लगातार लापरवाही बरतते हैं, तो लॉकडाउन लगाना ही विकल्प बचता है.
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हम कोरोना के पीक तक पहुंच चुके हैं- डॉ. जगत राम
डॉक्टर जगत राम के मुताबिक आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि हम कोरोना की पीक तक पहुंच चुके हैं. भविष्य में मामले कम होंगे और आने वाले दो हफ्तों में मामलों में काफी कमी आएगी. डॉ. जगत राम ने कहा कि अगर चंडीगढ़ पीजीआई की बात की जाए तो यहां पर मरीजों का दबाव काफी ज्यादा है.
हालांकि पीजीआई में बेड ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी नहीं है. यहां पर सभी उपकरण आवश्यक मात्रा में मौजूद है, लेकिन पीजीआई में चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों से भी मरीज आ रहे हैं. जिस वजह से यहां पर मरीजों का बोझ काफी बढ़ गया है.
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