चंडीगढ़: पीजीआईएमईआर में शुक्रवार को नेफ्रोलॉजी विभाग में अत्याधुनिक "किडनी रोग अनुसंधान प्रयोगशाला" की शुरुआत की (Kidney disease laboratory Inaugurated in Haryana) गई. प्रयोगशाला की शुरुआत होने से क्षेत्र में किडनी से जुड़े आधुनिक तरीकों से आसानी से रिसर्च की जा सकेगी. जिसमें नियमित क्लीनिकल जांच के अलावा प्रयोगशाला उन्नत निदान और अनुसंधान के लिए सुविधाएं दी जाएंगी.
वहीं किडनी की बीमारी (kidney disease) वाले रोगियों के जैविक नमूनों को इकट्ठा करने वाला एक बड़ा बायो-बैंक स्थापित किया गया है. विभाग क्रोनिक किडनी रोग और विभिन्न ग्लोमेरुलर रोगों के देशव्यापी समूह के केंद्रीय बायो-बैंक का घर है. वहीं इस प्रयोगशाला को न सिर्फ पीजीआई के बायोटेक्नॉजी विभाग बल्कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की मदद से स्थापित किया गया है.
इन विभागों कई विशेषज्ञों में भारतीय एलायंस (बायोटेक्नॉजी विभाग, भारत सरकार और वेलकम ट्रस्ट, यूके) क्लिनिकल और पब्लिक हेल्थ ग्रांट्स का भी मेजबान है, जिसके माध्यम से यह नैदानिक अनुसंधान के लिए विभिन्न केंद्रों की नेटवर्किंग स्थापित कर रहा है. भारत में एकमात्र ऐसा यह स्थान है, जहां आयहेक्सोल के प्लाज्मा क्लीयरेंस द्वारा किडनी के कार्य (ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट) के मापन के लिए एक समर्पित सुविधा स्थापित की गई है.
प्रो. एचएस कोहली और पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा ने यह प्रयोगशाला (Kidney disease research laboratory) न सिर्फ आम मरीजों को बेहतरीन इलाज देगी बल्कि फैकल्टी और छात्रों को भी आधुनिक इलाज का अनुभव देगी. ऐसी सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करने और प्रयोगशाला के आदर्श वाक्य "अनुसंधान और स्वास्थ्य के बीच एक पुल" की दिशा में काम करने का अपील की.
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संस्थान के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल व अन्य सीनियर डॉक्टरों की ओर से किडनी की नई प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख प्रो. एचएस कोहली और विभाग के पूर्व संकाय सदस्य प्रो. विनय सखूजा, प्रो. केएल गुप्ता और प्रो. विवेकानंद झा भी मौजूद रहे.