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'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस: प्रदेशभर से किसानों का जत्था राजभवन घेराव के लिए रवाना

आज देशभर में किसान 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस मना रहे हैं. इसी कड़ी में हरियाणा के किसान भी चंडीगढ़ में राजभवन का घेराव करेंगे, जिसके लिए किसान प्रदेश के अलग-अलग जिलों से जत्थों में चंडीगढ़ के लिए रवाना हो रहे हैं.

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प्रदेशभर से किसानों का जत्था राजभवन घेराव के लिए रवाना
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Published : Jun 26, 2021, 10:45 AM IST

चंडीगढ़: कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन के सात महीने पूरे हो गए. किसान आज पूरे भारत मे 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' (save agriculture save democracy day) दिवस मना रहे हैं. इस दौरान किसान राज्यपाल आवास का घेराव करेंगे. ऐसे में हरियाणा के अलग-अलग जिलों से किसान चंडीगढ़ के लिए निकल पड़े हैं.

जिला पंचकूला के नाडा साहिब में गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसान चंडीगढ़ के लिए कूच करेंगे. किसान पहले नाडा साहिब गुरुद्वारा में इकट्ठा होंगे. फिर बैठक कर चंडीगढ़ के लिए रवाना होंगे. किसानों की योजना है कि वो पहले राजभवन के लिए कूच करेंगे, इसके बाद हरियाणा विधुत सदन के घेराव के लिए जाएंगे.

ये पढ़ें- किसान मना रहे, 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के मुताबिक 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' आपातकाल की घोषणा की 46 वीं वर्षगांठ और 1975 और 1977 के बीच भारत के आपातकाल के काले दिनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी है, यह एक ऐसा समय था जब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर बेरहमी से अंकुश लगाया गया था.

चंडीगढ़: कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन के सात महीने पूरे हो गए. किसान आज पूरे भारत मे 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' (save agriculture save democracy day) दिवस मना रहे हैं. इस दौरान किसान राज्यपाल आवास का घेराव करेंगे. ऐसे में हरियाणा के अलग-अलग जिलों से किसान चंडीगढ़ के लिए निकल पड़े हैं.

जिला पंचकूला के नाडा साहिब में गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसान चंडीगढ़ के लिए कूच करेंगे. किसान पहले नाडा साहिब गुरुद्वारा में इकट्ठा होंगे. फिर बैठक कर चंडीगढ़ के लिए रवाना होंगे. किसानों की योजना है कि वो पहले राजभवन के लिए कूच करेंगे, इसके बाद हरियाणा विधुत सदन के घेराव के लिए जाएंगे.

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संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के मुताबिक 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' आपातकाल की घोषणा की 46 वीं वर्षगांठ और 1975 और 1977 के बीच भारत के आपातकाल के काले दिनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी है, यह एक ऐसा समय था जब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर बेरहमी से अंकुश लगाया गया था.

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