चंडीगढ़: हरियाणा में 20 साल पुराने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले (JBT Recruitment Scam) में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) की सजा पूरी हो गई है. साल 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दिल्ली की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी.
रोहिणी स्थित विशेष सीबीआई जज विनोद कुमार ने 308 पेज के अपने फैसले में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद वर्ष 1999-2000 में राज्य में जेबीटी टीचर की भर्ती निकाली गई. चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी (हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन) से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं.
3206 जेबीटी टीचर्स की नियुक्ति में घोटाला
चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर्स की नियुक्ति (JBT Recruitment) में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला (Om prakash and ajay chautala) ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था. नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था. उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए.
दो आईएएस का किया तबादला
घोटाले के लिए चौटाला ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद से दो आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था. कोर्ट ने फैसले में कहा कि आईएएस अफसर आरपी चंद्रशेखर (तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक) ने अप्रैल 2000 में योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद अगले ही दिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया.
कोर्ट ने कहा कि इसके बाद 1986 बैच की आईएसएस अधिकारी रजनी शेखर सिब्बल शिक्षा विभाग की निदेशक बनाया गया. जब उन्होंने इस नियुक्तियों की सूची में बदलाव करने से इनकार कर दिया तो उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद साल 1985 बैच के अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया. मामले में आरपी चंद्रशेखर और रजनी शेखर सिब्बल गवाह बने.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था. मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे. जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला और शेर सिंह बडशामी ने संजीव कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कहा. यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया.
खुद को ठगा महसूस होने पर संजीव कुमार 2003 में सुप्रीम कोर्ट गए, उन्होंने याचिका दायर करके योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की दो सूचियां पेश कीं. सूत्रों के मुताबिक जब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी तो संजीव कुमार के कार्यालय में आग लग गई और उसमें उम्मीदवारों की सूची सहित जेबीटी भर्ती का काफी रिकॉर्ड जल गया. याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. हालांकि मामले का खुलासा करने वाले संजीव कुमार सीबीआई जांच में खुद भी दोषी पाए गए.
इन धाराओं के तहत दोषी
अदालत ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 418 (छल करके हानि पहुंचाना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति का फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेज का असली की तरह इस्तेमाल) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(डी) के तहत दोषी करार दिया.
कोर्ट ने 55 लोगों को ठहराया था दोषी
ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला के अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्या धर और दिल्ली कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बाड़शामी को दोषी ठहराया. कोर्ट ने माना कि ओपी चौटाला के इशारे पर ही आरोपियों ने पूरे घोटाले को अंजाम दिया. चौटाला ने संजीव कुमार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त करते हुए उनसे नियुक्तियों की पहले से तैयार सूची को बदलकर दूसरी सूची तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया था. जिनमें 16 महिलाएं शामिल थीं. कुल मिलाकर मामले में 62 आरोपी थे, 6 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हुई और एक को अदालत ने बरी कर दिया.
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अभय चौटाला ने संजीव कुमार पर फोड़ा था ठीकरा
ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने कोर्ट के फैसले के बाद अपने पिता और भाई को पाक साफ करार दिया. अभय ने घोटाले का पूरा ठीकरा आईएएस अधिकारी संजीव कुमार पर फोड़ते हुए कहा कि ये सब उन्हीं किया धरा है और वो पहले भी कई घोटालों में लिप्त रहे हैं. उन्हें हरियाणा सरकार ने निलंबित भी किया था. अभय ने ये भी कहा कि जेबीटी टीचर्स की भर्तियों की प्रक्रिया तो चौटाला सरकार से पूर्व की सरकार में ही पूरी कर ली गई थी.