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हुडा पर बड़ा आरोप, याचिकाकर्ता ने कहा- एक ही परिवार को एक से अधिक प्लाट की अलॉटमेंट की गई

हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के डिस्क्रिशनरी कोटे से एक मामला सामने आया हैं. जहां कोटे के तहत एक ही परिवार में एक से अधिक प्लाट की अलॉटमेंट देकर केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियों को आरोप लगाया गया है.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट. फाइल फोटो
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Published : Mar 8, 2019, 2:14 PM IST

चंडीगढ़: हुडा के डिस्क्रिशनरी कोटे से एक संगीन मामला सामने आया है. जहां 892 फाइलों में से कुछ की जांच करने के बाद पता चला है कि केटेगरी में बदलाव कर एक ही परिवार को एक से अधिक प्लाट अलॉट किया गया है. केटेगरी में बदलाव करने पर हुडा ने स्क्रूटनी में कोई आपत्ति नहीं उठाई है. आपकों बता दें कि कई मामलों में नाम बदले गए हैं और कुछ के पन्ने गायब किये गए हैं.हाई कोर्ट ने मामले की जानकारी मिलने के बाद हरियाणा सरकार और हुडा से जवाब तलब किया है.

इस मामले की जानकारी याचिकाकर्ता के एडवोकेट एचसीसेठी ने वीरवार को हाई कोर्ट को दी है.उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी उन्होंने केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियां की हैं. सेठी ने कहा कि इनमे से कई मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है,लेकिन मामलों की जांच कर रहे एएसआई ने जब इस बारे में हुडा से आगे जानकारी मांगी तो अभी तक हुडा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

एच सी सेठी, याचिकाकर्ता, वकील

सेठी ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर सरकार और हुडा इस मामले में रसूखदारों को बचाने की कोशिश कर रही है.जस्टिस दया चौधरी ने इस जानकारी पर हरियाणा सरकार और हुडा को 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई पर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. साथ हीकहा कि आरोप है कि जिन अलॉटियों को गुरुग्राम के विभिन्न सेकटरों में सामान्य वर्ग में दिखाया गया था, वह असल में आरक्षित वर्ग के थे. इन 892 फाइलों में किसी पर भी नोटिंग नहीं है कि यह सामान्य वर्ग में क्यों हैं और कब और कैसे इनकी केटेगरी में बदलाव किया गया.

हुडा का दावा है कि विभिन्न सेक्टरों में डबल और मल्टिपल अलॉटमेंट की जाँच के लिए स्क्रूटिनी कमेटी का गठन किया था और उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले पर हुडा की ओर से बयान आया कि ये आरोप बिलकुल गलत है क्योंकि इन 892 फाइलों की जांच के बाद पाया गया कि इनमे से महज 20 फाइलों की ही स्क्रूटनी कमेटी ने जांच की है क्योंकि अन्य में किसी पर भी कोई नोटिंग ही नहीं है.

चंडीगढ़: हुडा के डिस्क्रिशनरी कोटे से एक संगीन मामला सामने आया है. जहां 892 फाइलों में से कुछ की जांच करने के बाद पता चला है कि केटेगरी में बदलाव कर एक ही परिवार को एक से अधिक प्लाट अलॉट किया गया है. केटेगरी में बदलाव करने पर हुडा ने स्क्रूटनी में कोई आपत्ति नहीं उठाई है. आपकों बता दें कि कई मामलों में नाम बदले गए हैं और कुछ के पन्ने गायब किये गए हैं.हाई कोर्ट ने मामले की जानकारी मिलने के बाद हरियाणा सरकार और हुडा से जवाब तलब किया है.

इस मामले की जानकारी याचिकाकर्ता के एडवोकेट एचसीसेठी ने वीरवार को हाई कोर्ट को दी है.उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी उन्होंने केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियां की हैं. सेठी ने कहा कि इनमे से कई मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है,लेकिन मामलों की जांच कर रहे एएसआई ने जब इस बारे में हुडा से आगे जानकारी मांगी तो अभी तक हुडा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

एच सी सेठी, याचिकाकर्ता, वकील

सेठी ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर सरकार और हुडा इस मामले में रसूखदारों को बचाने की कोशिश कर रही है.जस्टिस दया चौधरी ने इस जानकारी पर हरियाणा सरकार और हुडा को 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई पर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. साथ हीकहा कि आरोप है कि जिन अलॉटियों को गुरुग्राम के विभिन्न सेकटरों में सामान्य वर्ग में दिखाया गया था, वह असल में आरक्षित वर्ग के थे. इन 892 फाइलों में किसी पर भी नोटिंग नहीं है कि यह सामान्य वर्ग में क्यों हैं और कब और कैसे इनकी केटेगरी में बदलाव किया गया.

हुडा का दावा है कि विभिन्न सेक्टरों में डबल और मल्टिपल अलॉटमेंट की जाँच के लिए स्क्रूटिनी कमेटी का गठन किया था और उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले पर हुडा की ओर से बयान आया कि ये आरोप बिलकुल गलत है क्योंकि इन 892 फाइलों की जांच के बाद पाया गया कि इनमे से महज 20 फाइलों की ही स्क्रूटनी कमेटी ने जांच की है क्योंकि अन्य में किसी पर भी कोई नोटिंग ही नहीं है.

Intro:हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के डिस्क्रिशनरी कोटे के तहत एक ही परिवार में एक से अधिक प्लाट की अलॉटमेंट जिनमे केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियों की गई हैं से जुडी 892 फाइलों में से कुछ की जाँच करने के बाद सामने आया है कि केटेगरी में बदलाव करने पर हुडा ने स्क्रूटनी में कोई आपत्ति नहीं उठाई  कई में नाम बदले गए हैं और कुछ के पन्ने गायब किये गए हैं  हाई कोर्ट ने मामले में हरियाणा सरकार और हुडा से जवाब मांग लिया है 


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यह जानकारी याचिकाकर्ता के एडवोकेट एच.सी.सेठी ने वीरवार को हाई कोर्ट को दी है  उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों पर उन्होंने केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियों की गई हैं से जुडी 892 फाइलों में कुछ की जाँच कर यह पाया है  सेठी ने कहा कि इनमे से कई मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है  लेकिन मामलों की जाँच कर रहे ए.एस.आई. ने जब इस बारे में हुडा आगे जानकारी मांगी तो वह अभी तक हुडा की ओर से नहीं दी गई है  सेठी ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर सरकार और हुडा इस मामले में रसूखदारों को बचाने की कोशिश कर रही है  जस्टिस दया चौधरी ने इस जानकारी पर हरियाणा सरकार और हुडा को 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई पर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं 


सेठी ने कहा कि यह आरोप कि आरोप कि जिन अलॉटियों को गुरुग्राम के विभिन्न सेकटरों में सामान्य वर्ग में दिखाया गया था वह असल में आरक्षित वर्ग के थे हैं सही है  इन 892 फाइलों में किसी पर भी नोटिंग नहीं है कि यह सामान्य वर्ग में क्यों हैं और कब और कैसे इनकी केटेगरी में बदलाव किया गया  हुडा का दावा कि विभिन्न सेक्टरों में डबल और मल्टिपल अलॉटमेंट की जाँच के लिए स्क्रूटिनी कमेटी का गठन किया था और उसके बाद ही एफ.आई.आर. दर्ज की गई पूरी तरह से गलत है  क्योंकि इन 892 फाइलों की जाँच के बाद पाया गया कि इनमे से महज 20 फाइलों की ही स्क्रूटिनी कमेटी ने जाँच की है क्योंकि अन्य में किसी पर भी कोई नोटिंग ही नहीं है  यह सब रसूखदारों को बचाने के लिए ही किया गया है वकील HS सेठी के मुताबिक , पूर्व mp धर्मपाल मालिक, sg सुंदरम आईएएस, पूर्व मंत्री सुभाष कत्याल, हसन mohamad,  हजार चंद कंबोज के अलावा टेक राम कम्बोज और पूर्व डीजीपी केपीएस गिल, हरियाणा के आईपीएस आर एस दून,  दिल्ली के पूर्व राज्यपाल नवाब आलम जंग, जस्टिस अजय लाम्बा के नाम दिये गए है।

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