चंडीगढ़: हुडा के डिस्क्रिशनरी कोटे से एक संगीन मामला सामने आया है. जहां 892 फाइलों में से कुछ की जांच करने के बाद पता चला है कि केटेगरी में बदलाव कर एक ही परिवार को एक से अधिक प्लाट अलॉट किया गया है. केटेगरी में बदलाव करने पर हुडा ने स्क्रूटनी में कोई आपत्ति नहीं उठाई है. आपकों बता दें कि कई मामलों में नाम बदले गए हैं और कुछ के पन्ने गायब किये गए हैं.हाई कोर्ट ने मामले की जानकारी मिलने के बाद हरियाणा सरकार और हुडा से जवाब तलब किया है.
इस मामले की जानकारी याचिकाकर्ता के एडवोकेट एचसीसेठी ने वीरवार को हाई कोर्ट को दी है.उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी उन्होंने केटेगरी में बदलाव कर गड़बड़ियां की हैं. सेठी ने कहा कि इनमे से कई मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है,लेकिन मामलों की जांच कर रहे एएसआई ने जब इस बारे में हुडा से आगे जानकारी मांगी तो अभी तक हुडा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
सेठी ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर सरकार और हुडा इस मामले में रसूखदारों को बचाने की कोशिश कर रही है.जस्टिस दया चौधरी ने इस जानकारी पर हरियाणा सरकार और हुडा को 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई पर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं. साथ हीकहा कि आरोप है कि जिन अलॉटियों को गुरुग्राम के विभिन्न सेकटरों में सामान्य वर्ग में दिखाया गया था, वह असल में आरक्षित वर्ग के थे. इन 892 फाइलों में किसी पर भी नोटिंग नहीं है कि यह सामान्य वर्ग में क्यों हैं और कब और कैसे इनकी केटेगरी में बदलाव किया गया.
हुडा का दावा है कि विभिन्न सेक्टरों में डबल और मल्टिपल अलॉटमेंट की जाँच के लिए स्क्रूटिनी कमेटी का गठन किया था और उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले पर हुडा की ओर से बयान आया कि ये आरोप बिलकुल गलत है क्योंकि इन 892 फाइलों की जांच के बाद पाया गया कि इनमे से महज 20 फाइलों की ही स्क्रूटनी कमेटी ने जांच की है क्योंकि अन्य में किसी पर भी कोई नोटिंग ही नहीं है.