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किस तरह होता है PPE किट का निष्पादन? पीजीआई डॉक्टर्स से जानिए पूरी प्रक्रिया

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Published : Jun 8, 2020, 7:42 PM IST

Updated : Jun 8, 2020, 7:54 PM IST

ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई जाकर जाना कि आखिर पीपीई किट को डॉक्टर्स कैसे उतारते हैं और कैसे अस्पताल से पीपीई किट को निष्पादन के लिए भेजा जाता है.

how ppt kit is decomposed in plants
किस तरह से होता है PPE किट का निष्पादन?

चंडीगढ़: कोरोना वायरस से देश की जंग लगातार जारी है. इस जंग में सबसे अहम भूमिका देश के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ निभा रहे हैं. मेडिकल स्टाफ दिन रात कोरोना मरीजों के बीच रहते हैं, ऐसे में उनकी बॉडी तक कोरोना संक्रमण ना पहुंचे इसके लिए उन्हें पीपीई किट पहनाई जाती है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि पीपीई किट देखने में जितनी जटिल दिखाई देती है, उससे कहीं ज्यादा जटिल उसका निष्पादन है.

अगर पीपीई किट का सही तरीके से निष्पादन नहीं किया जाए तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा दोगुना हो जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई जाकर जाना कि आखिर पीपीई किट को डॉक्टर्स कैसे उतारते हैं और केसे अस्पताल से पीपीई किट को निष्पादन के लिए भेजा जाता है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

चंडीगढ़ पीजीआई डॉक्टर पारुल ने बताया कि पीपीई कोट को उतारने के कई चरण होते हैं. इसके लिए पीजीआई में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जब कोई कर्मचारी पीपीई किट को उतारने के लिए पहुंचता है तब सीसीटीवी कैमरे और माइक की सहायता से एक टीम उसे लगातार निर्देशित करती है कि उसे पीपीई किट का कौन सा हिस्सा पहले उतारना है और कौन सा हिस्सा बाद में उतारना है.

उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान लापरवाही बरती जाए तो स्वास्थ्य कर्मी करोना की चपेट में आ सकता है, इसलिए उसे लगातार निर्देशित किया जाता है. वो उन निर्देशों के पालन करते हुए पीपीई किट को उतारता है.

इसके अलावा चंडीगढ़ पीजीआई के प्रबंधन विभाग के डॉक्टर रश्मि रंजन गुरु ने बताया पीपीपी किट को उतारने के बाद किस तरह से उसे पैक किया जाता है और निष्पादन के लिए भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि पीपीपी किट में दो तरह के समान होता हैं. एक तो वो जिसे हम दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकते और दूसरा वो जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जाता है.

उन्होंने बताया कि फेस शील्ड और चश्मे को हम दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं. इन दोनों चीजों को सैनिटाइज करने के बाद पूरी तरह से वायरस मुक्त कर दिया जाता है. जिसके बाद इन्हें फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पीपीई किट के जो दूसरे हिस्से होते हैं. जैसे दस्ताने, मास्क, कैप, आउटर गाउन, इनर सूट इन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इनका निष्पादन किया जाता है.

ये भी पढ़िए: खुल गया चंडीगढ़ का एलांते मॉल, इन शर्तों के साथ मिलेगी एंट्री

जिन चीजों को दोबारा इस्तेमाल हो सकता है, उन्हें लाल बैग में पैक किया जाता है. वहीं जिनका इस्तेमाल दोबारा नहीं हो सकता, उन्हें पीले रंग के बैग में पैक किया जाता है. जो लोग इन चीजों को पैक करते हैं वो खुद भी पीपीई किट पहनते हैं. इसके बाद एक खास गाड़ी में पीले बैग के सामानों को डाल दिया जाता है. वो गाड़ी अगले प्लांट तक जाती है, जहां पर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है.

चंडीगढ़: कोरोना वायरस से देश की जंग लगातार जारी है. इस जंग में सबसे अहम भूमिका देश के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ निभा रहे हैं. मेडिकल स्टाफ दिन रात कोरोना मरीजों के बीच रहते हैं, ऐसे में उनकी बॉडी तक कोरोना संक्रमण ना पहुंचे इसके लिए उन्हें पीपीई किट पहनाई जाती है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि पीपीई किट देखने में जितनी जटिल दिखाई देती है, उससे कहीं ज्यादा जटिल उसका निष्पादन है.

अगर पीपीई किट का सही तरीके से निष्पादन नहीं किया जाए तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा दोगुना हो जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई जाकर जाना कि आखिर पीपीई किट को डॉक्टर्स कैसे उतारते हैं और केसे अस्पताल से पीपीई किट को निष्पादन के लिए भेजा जाता है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

चंडीगढ़ पीजीआई डॉक्टर पारुल ने बताया कि पीपीई कोट को उतारने के कई चरण होते हैं. इसके लिए पीजीआई में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जब कोई कर्मचारी पीपीई किट को उतारने के लिए पहुंचता है तब सीसीटीवी कैमरे और माइक की सहायता से एक टीम उसे लगातार निर्देशित करती है कि उसे पीपीई किट का कौन सा हिस्सा पहले उतारना है और कौन सा हिस्सा बाद में उतारना है.

उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान लापरवाही बरती जाए तो स्वास्थ्य कर्मी करोना की चपेट में आ सकता है, इसलिए उसे लगातार निर्देशित किया जाता है. वो उन निर्देशों के पालन करते हुए पीपीई किट को उतारता है.

इसके अलावा चंडीगढ़ पीजीआई के प्रबंधन विभाग के डॉक्टर रश्मि रंजन गुरु ने बताया पीपीपी किट को उतारने के बाद किस तरह से उसे पैक किया जाता है और निष्पादन के लिए भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि पीपीपी किट में दो तरह के समान होता हैं. एक तो वो जिसे हम दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकते और दूसरा वो जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जाता है.

उन्होंने बताया कि फेस शील्ड और चश्मे को हम दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं. इन दोनों चीजों को सैनिटाइज करने के बाद पूरी तरह से वायरस मुक्त कर दिया जाता है. जिसके बाद इन्हें फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पीपीई किट के जो दूसरे हिस्से होते हैं. जैसे दस्ताने, मास्क, कैप, आउटर गाउन, इनर सूट इन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इनका निष्पादन किया जाता है.

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जिन चीजों को दोबारा इस्तेमाल हो सकता है, उन्हें लाल बैग में पैक किया जाता है. वहीं जिनका इस्तेमाल दोबारा नहीं हो सकता, उन्हें पीले रंग के बैग में पैक किया जाता है. जो लोग इन चीजों को पैक करते हैं वो खुद भी पीपीई किट पहनते हैं. इसके बाद एक खास गाड़ी में पीले बैग के सामानों को डाल दिया जाता है. वो गाड़ी अगले प्लांट तक जाती है, जहां पर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है.

Last Updated : Jun 8, 2020, 7:54 PM IST
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