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हुड्डा ने अभी हार नहीं मानी ! - minister

माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए हुड्डा ने शक्ति प्रदर्शन किया और कांग्रेस आलाकमान के साथ-साथ पार्टी में अपने विरोधियों और दूसरी पार्टियों के विरोधी नेताओं को भी संदेश दिया कि उन्हें अभी हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

हुड्डा ने अभी हार नहीं मानी
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Published : Jun 10, 2019, 3:33 PM IST

चंडीगढ़ः कहा जाता है राजनीति में ना कोई लड़ाई अंतिम होती है और ना कोई चुनाव आखिरी होता है. शायद ये बाद हरियाणा के सियासत के धुरंधर और दस साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गांठ बांध ली है.

अभी पिछले ही लोकसभा चुनाव में सोनीपत लोकसभी सीट पर करारी पटखनी खाने और रोहतक में बेटे दीपेंद्र की सीट के रूप में अपना किला हारने के बावजूद अब विधानसभा चुनाव की सियासी दंगल के लिए मजबूती से ताल ठोक रहे हैं. हुड्डा इसके लिए अपने समर्थकों की हौसला अफजाई भी कर रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को दिल्ली में अपने निवास पर अपने समर्थक विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक की और विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाई. हुड्डा की बैठक में प्रदेश के कांग्रेस के 13 विधायक, छह पूर्व सांसद और कई पूर्व मंत्री शामिल हुए.

बैठक में हुड्डा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छद्म राष्ट्रवाद और मोदी लहर के सहारे जीत गई. लेकिन विधानसभा चुनाव में मुद्दे अलग होंगे और चुनाव स्थानीय मुद्दों पर और मौजूदा सरकार की नाकामियों पर लड़ा जाएगा.

माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शक्ति प्रदर्शन किया और कांग्रेस आलाकमान के साथ-साथ पार्टी में अपने विरोधियों और दूसरी पार्टियों के विरोधी नेताओं को भी संदेश दिया कि उन्हें अभी हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

2015 के दिल्ली चुनाव और 2009 के हरियाणा चुनाव का दिया हवाला

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए परिस्थितियां अलग-अलग होती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटें जीती थी. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई. वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन उसी साल के विधानसभा चुनाव में इनेलो के 32 विधायक जीत गए.

चंडीगढ़ः कहा जाता है राजनीति में ना कोई लड़ाई अंतिम होती है और ना कोई चुनाव आखिरी होता है. शायद ये बाद हरियाणा के सियासत के धुरंधर और दस साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गांठ बांध ली है.

अभी पिछले ही लोकसभा चुनाव में सोनीपत लोकसभी सीट पर करारी पटखनी खाने और रोहतक में बेटे दीपेंद्र की सीट के रूप में अपना किला हारने के बावजूद अब विधानसभा चुनाव की सियासी दंगल के लिए मजबूती से ताल ठोक रहे हैं. हुड्डा इसके लिए अपने समर्थकों की हौसला अफजाई भी कर रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को दिल्ली में अपने निवास पर अपने समर्थक विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक की और विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाई. हुड्डा की बैठक में प्रदेश के कांग्रेस के 13 विधायक, छह पूर्व सांसद और कई पूर्व मंत्री शामिल हुए.

बैठक में हुड्डा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छद्म राष्ट्रवाद और मोदी लहर के सहारे जीत गई. लेकिन विधानसभा चुनाव में मुद्दे अलग होंगे और चुनाव स्थानीय मुद्दों पर और मौजूदा सरकार की नाकामियों पर लड़ा जाएगा.

माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शक्ति प्रदर्शन किया और कांग्रेस आलाकमान के साथ-साथ पार्टी में अपने विरोधियों और दूसरी पार्टियों के विरोधी नेताओं को भी संदेश दिया कि उन्हें अभी हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

2015 के दिल्ली चुनाव और 2009 के हरियाणा चुनाव का दिया हवाला

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए परिस्थितियां अलग-अलग होती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटें जीती थी. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई. वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन उसी साल के विधानसभा चुनाव में इनेलो के 32 विधायक जीत गए.

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