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HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक - हाई कोर्ट सुनवाई पंचकूला कॉलेज जमीन मामला

हाई कोर्ट ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले पर हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस भी जारी किया है.

HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक
HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक
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Published : Jan 13, 2021, 1:33 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पंचकूला के सरकारी कॉलेज की दो एकड़ जमीन को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) और लोकायुक्त कार्यालय बनाने के लिए देने के हरियाणा सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही हरियाणा सरकार सहित दूसरे प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है.

कॉलेज की आधी जमीन पर पहले से ही है कब्जा
दरअसल, पंचकूला के सरकारी कॉलेज की छात्रा प्रियंका रानी ने हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष और शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल के सहयोग से ये याचिका दाखिल की है. याचिका के जरिए प्रियंका ने हरियाणा सरकार द्वारा 18 सितंबर 2020 को जारी इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसके तहत ग्रामीण कॉलेज पंचकूला की 1.77 एकड़ जमीन रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी और लोकायुक्त कार्यालय के निर्माण के लिए जारी करने का निर्णय लिया गया था.

HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक
HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक

याची ने कोर्ट को बताया कि कॉलेज स्थापित करने के लिए 1985- 86 में 14.88 एकड़ जमीन अलॉट की गई थी, जबकि राज्य सरकार की शिक्षा नीति के तहत कॉलेज के लिए न्यूनतम 15 एकड़ जमीन होनी जरूरी है. नियमों के तहत कॉलेज के पास पहले ही कम जमीन है. इतना ही नहीं कॉलेज की 2.88 एकड़ जमीन पर पहले ही अतिक्रमण है. कुछ जमीन पर एसीपी कार्यालय और कुछ पर एक निजी मंदिर ने कब्जा किया हुआ है.

जमीन की कटौती को लेकर सरकार को लिखा पत्र
याचिका में मांग की गई है कि अवैध अतिक्रमण हटाने और कॉलेज की जमीन का उचित सीमांकन किया जाए. छात्रा ने अपनी याचिका में बताया कि शिक्षण स्टाफ और प्राचार्य ने सरकार और विभाग से कॉलेज की भूमि में कटौती नहीं करने का अनुरोध किया. कई बार पत्र भी लिखे गए कि कॉलेज के पास जमीन कम है और स्टाफ और छात्र बढ़ रहे हैं. ऐसे में जमीन कम करने का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा.

हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी

याचिकाकर्ता छात्रा ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण रिहायशी क्षेत्र में प्लॉट बेचकर पैसे कमा रहा है, लेकिन सरकारी कार्यालय के लिए कॉलेज की जमीन को हस्तांतरण करवा रहा है. छात्रा ने हाई कोर्ट से सरकार के इस निर्णय पर रोक और अतिक्रमण जमीन को खाली करवाने की मांग की.

ये भी पढ़िए: पानीपत सामान्य अस्पताल की बड़ी लापरवाही, 5 घंटे खुले में पड़ा रहा लावारिस शव

याचिका में हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के प्रधान सचिव, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक, चीफ टाउन प्लानर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पंचकूला प्रधान सचिव उच्च शिक्षा विभाग, प्रिंसिपल गवर्मेंट कॉलेज पंचकूला रजिस्ट्रार, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी रजिस्ट्रार, लोकायुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है. वहीं हाई कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

चंडीगढ़: पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पंचकूला के सरकारी कॉलेज की दो एकड़ जमीन को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) और लोकायुक्त कार्यालय बनाने के लिए देने के हरियाणा सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही हरियाणा सरकार सहित दूसरे प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है.

कॉलेज की आधी जमीन पर पहले से ही है कब्जा
दरअसल, पंचकूला के सरकारी कॉलेज की छात्रा प्रियंका रानी ने हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष और शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल के सहयोग से ये याचिका दाखिल की है. याचिका के जरिए प्रियंका ने हरियाणा सरकार द्वारा 18 सितंबर 2020 को जारी इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसके तहत ग्रामीण कॉलेज पंचकूला की 1.77 एकड़ जमीन रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी और लोकायुक्त कार्यालय के निर्माण के लिए जारी करने का निर्णय लिया गया था.

HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक
HC ने पंचकूला सरकारी कॉलेज की जमीन लोकायुक्त और रेरा कार्यालय को देने पर लगाई रोक

याची ने कोर्ट को बताया कि कॉलेज स्थापित करने के लिए 1985- 86 में 14.88 एकड़ जमीन अलॉट की गई थी, जबकि राज्य सरकार की शिक्षा नीति के तहत कॉलेज के लिए न्यूनतम 15 एकड़ जमीन होनी जरूरी है. नियमों के तहत कॉलेज के पास पहले ही कम जमीन है. इतना ही नहीं कॉलेज की 2.88 एकड़ जमीन पर पहले ही अतिक्रमण है. कुछ जमीन पर एसीपी कार्यालय और कुछ पर एक निजी मंदिर ने कब्जा किया हुआ है.

जमीन की कटौती को लेकर सरकार को लिखा पत्र
याचिका में मांग की गई है कि अवैध अतिक्रमण हटाने और कॉलेज की जमीन का उचित सीमांकन किया जाए. छात्रा ने अपनी याचिका में बताया कि शिक्षण स्टाफ और प्राचार्य ने सरकार और विभाग से कॉलेज की भूमि में कटौती नहीं करने का अनुरोध किया. कई बार पत्र भी लिखे गए कि कॉलेज के पास जमीन कम है और स्टाफ और छात्र बढ़ रहे हैं. ऐसे में जमीन कम करने का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा.

हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी

याचिकाकर्ता छात्रा ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण रिहायशी क्षेत्र में प्लॉट बेचकर पैसे कमा रहा है, लेकिन सरकारी कार्यालय के लिए कॉलेज की जमीन को हस्तांतरण करवा रहा है. छात्रा ने हाई कोर्ट से सरकार के इस निर्णय पर रोक और अतिक्रमण जमीन को खाली करवाने की मांग की.

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याचिका में हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के प्रधान सचिव, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक, चीफ टाउन प्लानर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पंचकूला प्रधान सचिव उच्च शिक्षा विभाग, प्रिंसिपल गवर्मेंट कॉलेज पंचकूला रजिस्ट्रार, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी रजिस्ट्रार, लोकायुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है. वहीं हाई कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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