चंडीगढ़: नूंह हिंसा मामले में पंजाब अंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आज मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है. इस मामले की अगली सुनवाई चीफ जस्टिस के समक्ष होगी. हाईकोर्ट में जवाब देने के लिए हरियाणा सरकार के एडिशनल AG दीपक सबरवाल पेश हुए थे. हरियाणा सरकार के एडिशनल एजी दीपक सबरवाल ने कहा कि, आज सरकार की तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया गया.
नूह में बुलडोजर अभियान के विरुद्ध जीवी चंडीगढ़ हाईकोर्ट में आज जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंड पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जस्टिस अरुण पल्ली ने कहा कि चैप्टर 2 रूल 9 के तहत जब किसी मामले पर अदालत स्वतः संज्ञान लेती है तो उस मामले को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है. ऐसे में उनके आदेश पर केस को रोस्टर के अनुसार 3 दिन में किसी बेंच को विचारार्थ भेजा जाता है, लेकिन आज चीफ जस्टिस की बेंच नहीं है. इसलिए केस की सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित की गई है.
इस मामले की सुनवाई आज न्यायमूर्ति अरुण पल्ली और जगमोहन बंसल की कोर्ट में हुई. अब यह सुनवाई चीफ जस्टिस की कोर्ट में होगी. दीपक सबरवाल ने कहा कि, चीफ जस्टिस के सामने ही मामले की सुनवाई 16 अगस्त को हो सकती है. जहां पर जवाब दायर किया जाएगा. दीपक सबरवाल ने कहा कि जो बुलडोजर की कार्रवाई हुई थी, वह कानून के तहत ही हुई थी और हाईकोर्ट ने उस पर कोई रोक नहीं लगाई थी.
उन्होंने कहा कि, नूंह और गुरुग्राम में कानून के तहत और नियमों के मद्देनजर रखते हुए कार्रवाई की गई थी. उन्होंने कहा कि, बुलडोजर कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. बुलडोजर की कार्रवाई के दौरान धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार अवैध निर्माण पर बुलडोजर की कार्रवाई करती रहेगी.
बता दें कि, नूंह में 31 जुलाई को ब्रज मंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा के बाद जिले में सरकार ने कई घरों पर बुलडोजर चलाया था. वहीं, इस मामले को लेकर स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद समेत कई लोगों ने इसे बिना नोटिस घर तोड़ने की कार्रवाई बताते हुए विरोध किया था. इस मामले में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी शब्दों में इसकी आलोचना करते हुए बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद इस मामले में सरकार को नोटिस जारी करते हुए आज इसकी सुनवाई तय की गई थी. आज सरकार की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जवाब दिए जाने थे.
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि हिंसा के बाद पिछले 2 सप्ताह में नूंह और गुरुग्राम में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं. साथ ही यह भी पूछा गया है कि क्या तोड़फोड़ से पहले कोई नोटिस जारी किया गया था या नहीं.
बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार, 7 अगस्त को हरियाणा सरकार की नूंह में बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की आलोचना की थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि, नूंह हिंसा के बाद तोड़फोड़ कार्रवाई में विशेष वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है. कोर्ट ने कहा था कि नोटिस जारी किए बगैर निर्माण गिराना नियमों के खिलाफ नहीं है. इसके साथ ही कहा गया था कि यह कार्रवाई लोगों के अधिकारों का हनन है, इस पर फौरन रोक लगनी चाहिए.
इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने जब इस मामले की सुनवाई की थी तो कड़े शब्दों में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के बयानों पर भी सवाल उठाए थे. हालांकि उनके इन बयानों के बाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ तो कोई नोटिस जारी नहीं किया, लेकिन हरियाणा सरकार के खिलाफ नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब तलब किया गया.
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गौर रहे कि, नूंह में हिंसा के बाद भले ही स्थिति सामान्य है, लेकिन एहतियात के तौर पर जिले में आज तक इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा जिले में अभी कर्फ्यू लागू है. हालांकि लोगों को अधिक परेशानी का सामना ना करना पड़े इसको ध्यान में रखते हुए कर्फ्यू में ढील दी गई है.
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