चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से हरियाणा के जिला पानीपत से शुरू किए गए राष्ट्र स्तरीय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए किए गए हस्तक्षेप और कुशल मार्गदर्शन से 5 सालों में 923 के अद्भुत लिंगानुपात को प्राप्त कर लिया है. हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश गुप्ता ने ये जानकारी दी.
5 वर्षों में 25 हजार बेटियों को बचाया गया
उन्होंने बताया कि इस अभियान के शुभारंभ के समय साल 2015 में प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था जो वर्ष 2019 में बढ़कर 923 हो गया है जोकि लिंगानुपात में 52 अंकों की वृद्धि दर्शाता है और ये अपने आप में अभूतपूर्व उपलब्धि है. कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध चलाए गए इस अभियान के माध्यम से पिछले 5 वर्षों के दौरान हरियाणा में लगभग 25,000 लड़कियों को बचाया जा सका है.
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हरियाणा में लिंगानुपात में 52 अंकों की ये वृद्धि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के दिशानिर्देशों के तहत भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए वार्षिक लक्ष्य से भी अधिक है. इस प्रकार हरियाणा लिंगानुपात के मामले में 1000 पुरुषों पर 950 महिलाओं के बैंचमार्क को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है.
हर जिले का लिंगानुपात
पंचकूला में लिंगानुपात 963, अम्बाला में 959, पानीपत में 939, जींद में 938, यमुनानगर में 936, हिसार में 932, पलवल में 930, कुरुक्षेत्र में 929, फतेहाबाद में 922, नूंह में 921, फरीदाबाद में 921, सिरसा में 920, कैथल में 919, रेवाड़ी में 919, महेन्द्रगढ़ में 917, झज्जर में 914, सोनीपत में 911, रोहतक में 911, गुरुग्राम में 910, करनाल में 908 है जबकि इस सूची में भिवानी 894 के साथ रहा है.
वर्ष 2019 के दौरान प्रदेश में कुल 5,18,725 जन्म पंजीकृत किए गए, जिनमें 2,48,950 बालिकाएं और 2,69,775 बालक शामिल हैं. ऐसे जिले जहां दशकों से लिंगानुपात 900 से कम रहा है, वहां भी अब लिंगानुपात 920 से अधिक हो गया है. दो जिलों पंचकूला और अंबाला ने लिंगानुपात में 950 से अधिक का आंकड़ा प्राप्त किया है, जोकि जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार एक आदर्श लिंगानुपात है.
2014 में 870 था लिंगानुपात
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के ऐतिहासिक जिला पानीपत से कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्घ राष्टीय स्तर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारम्भ किया था. उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस अभियान को एक चुनौती के रूप में लिया, क्योंकि वर्ष 2014 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था.