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आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हरियाणा रोडवेज! सरकार फैसले पर कायम, क्या होगा परिणाम?

हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी और रोडवेज कर्मचारियों के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है. इस बार भी हरियाणा रोडवेज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. उनका कहना है कि अघर सरकार ने किलोमीटर स्कीम पर रोक नहीं लगाई तो आंदोलन होगा.

haryana roadways strike
आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हरियाणा रोडवेज!
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Published : Jan 4, 2020, 8:21 PM IST

चंडीगढ़ः हरियाणा में अक्सर रोडवेज कर्मचारी नेता और सरकार के बीच तनातनी देखने को मिलती रही है. पिछले समय में हरियाणा में मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्राइवेट रूट परमिट दिए जाने को लेकर विवाद देखने को मिला था. अब एक बार फिर वो विवाद तूल पकड़ता नजर आने लगा है. एक ओर जहां मुख्यमंत्री ने प्राइवेट रूट परमिट को वापस लेने से इंकार कर दिया है तो वहीं रोडवेज कर्मचारियों ने भी आर पार की लड़ाई की चेतावनी दे डाली है.

पहले भी हो चुकी है 18 दिन की लंबी हड़ताल
हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी और रोडवेज कर्मचारियों के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में 3519 रूट परमिटों को लेकर कई बार सरकार और रोडवेज कर्मचारी आमने-सामने हुए और बढ़ा टकराव भी देखने को मिला. वहीं हरियाणा के मनोहर सरकार पार्ट वन के दौरान 710 प्राइवेट रूट परमिट को लेकर सरकार और कर्मचारी आमने सामने आए हैं और हरियाणा में रोडवेज की 18 दिन लंबी हड़ताल देखने को मिली.

आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हरियाणा रोडवेज!

निजीकरण बर्दाश्त नहीं - रोडवेज कर्मचारी
मनोहर सरकार पार्ट टू के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट रूट परमिट वापस नहीं होंगे यानी कि सरकार की रोडवेज पॉलिसी के तहत मुख्यमंत्री अपनी बात पर अटल नजर आ रहे हैं. वहीं रोडवेज कर्मचारी नेताओं का दावा है किसी भी हाल में निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री की तरफ से दिए गए बयान को उन्होंने चिंताजनक बताया है.

किसी के दबाव में नहीं आने वाले कर्मचारी- रोडवेज नेता
रोडवेज कर्मचारी नेताओं बलवीर जाखड़ ने कहा है कि एस्मा जैसे काले कानून लगाकर सरकार कर्मचारियों की आवाज को दबाने का काम करती है, लेकिन इस बार कर्मचारी किसी भी तरह के दबाव में आने वाले नहीं हैं. कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार के पास धन की कमी है तो उस पर भी कर्मचारी नेता और सभी कर्मचारी अपने 1 महीने का वेतन नई बसों के लिए देने को तैयार हैं. ऐसे में सरकार अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ेंः रादौर: बाइक रेहड़ी को बंद करवाने की मांग, टेम्पो यूनियन ने किया प्रदर्शन

हड़ताल पर कर्मचारियों से बातचीत जारी- सीएम
गौरतलब है कि एक तरफ जहां कर्मचारी नेता सरकार को चेतावनी देते नजर आ रही हैं वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि हरियाणा वासियों का हित सबसे पहले है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी तरह की हड़ताल होती है तो उसके लिए वैसी व्यवस्था की जाएगी जैसी पहले की गई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 दिन से कर्मचारी नेताओं से हड़ताल पर बातचीत चल रही है. हालांकि इन बयानों के बाद भी सरकार और कर्मचारी आमने-सामने नजर आ रहे हैं.

चंडीगढ़ः हरियाणा में अक्सर रोडवेज कर्मचारी नेता और सरकार के बीच तनातनी देखने को मिलती रही है. पिछले समय में हरियाणा में मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्राइवेट रूट परमिट दिए जाने को लेकर विवाद देखने को मिला था. अब एक बार फिर वो विवाद तूल पकड़ता नजर आने लगा है. एक ओर जहां मुख्यमंत्री ने प्राइवेट रूट परमिट को वापस लेने से इंकार कर दिया है तो वहीं रोडवेज कर्मचारियों ने भी आर पार की लड़ाई की चेतावनी दे डाली है.

पहले भी हो चुकी है 18 दिन की लंबी हड़ताल
हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी और रोडवेज कर्मचारियों के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में 3519 रूट परमिटों को लेकर कई बार सरकार और रोडवेज कर्मचारी आमने-सामने हुए और बढ़ा टकराव भी देखने को मिला. वहीं हरियाणा के मनोहर सरकार पार्ट वन के दौरान 710 प्राइवेट रूट परमिट को लेकर सरकार और कर्मचारी आमने सामने आए हैं और हरियाणा में रोडवेज की 18 दिन लंबी हड़ताल देखने को मिली.

आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हरियाणा रोडवेज!

निजीकरण बर्दाश्त नहीं - रोडवेज कर्मचारी
मनोहर सरकार पार्ट टू के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट रूट परमिट वापस नहीं होंगे यानी कि सरकार की रोडवेज पॉलिसी के तहत मुख्यमंत्री अपनी बात पर अटल नजर आ रहे हैं. वहीं रोडवेज कर्मचारी नेताओं का दावा है किसी भी हाल में निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री की तरफ से दिए गए बयान को उन्होंने चिंताजनक बताया है.

किसी के दबाव में नहीं आने वाले कर्मचारी- रोडवेज नेता
रोडवेज कर्मचारी नेताओं बलवीर जाखड़ ने कहा है कि एस्मा जैसे काले कानून लगाकर सरकार कर्मचारियों की आवाज को दबाने का काम करती है, लेकिन इस बार कर्मचारी किसी भी तरह के दबाव में आने वाले नहीं हैं. कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार के पास धन की कमी है तो उस पर भी कर्मचारी नेता और सभी कर्मचारी अपने 1 महीने का वेतन नई बसों के लिए देने को तैयार हैं. ऐसे में सरकार अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ेंः रादौर: बाइक रेहड़ी को बंद करवाने की मांग, टेम्पो यूनियन ने किया प्रदर्शन

हड़ताल पर कर्मचारियों से बातचीत जारी- सीएम
गौरतलब है कि एक तरफ जहां कर्मचारी नेता सरकार को चेतावनी देते नजर आ रही हैं वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि हरियाणा वासियों का हित सबसे पहले है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी तरह की हड़ताल होती है तो उसके लिए वैसी व्यवस्था की जाएगी जैसी पहले की गई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 दिन से कर्मचारी नेताओं से हड़ताल पर बातचीत चल रही है. हालांकि इन बयानों के बाद भी सरकार और कर्मचारी आमने-सामने नजर आ रहे हैं.

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हरियाणा में अक्सर सत्ताधारी दल और रोडवेज कर्मचारियों के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में 3519 रूट परमिटो को लेकर कई बार सरकार और रोडवेज कर्मचारी आमने-सामने हुए और बढ़ा टकराव भी देखने को मिला । हरियाणा के मनोहर सरकार पार्ट वन के दौरान 710 प्राइवेट रूट परमिट को लेकर सरकार और कर्मचारी आमने सामने आए हैं और हरियाणा में रोडवेज की 18 दिन लंबी हड़ताल देखने को मिली । मनोहर सरकार पार्ट टू के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट रूट परमिट वापिस नहीं होंगे ऐसे में अब रोडवेज कर्मचारी नेताओं ने भी आर पार की लड़ाई की चेतावनी दे डाली है । हालांकि मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों के लिए सुविधाओं का हवाला दे रहे हैं तो वहीं रोडवेज कर्मचारी नेता भी दावा करते नजर आ रहे हैं कि सभी वर्ग हरियाणा रोडवेज के साथ हैं । Body:हरियाणा में अक्सर रोडवेज कर्मचारी नेता और सरकार के बीच तनातनी देखने को मिलती ही रही है पिछले समय में हरियाणा में मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्राइवेट रूट परमिट दिए जाने को लेकर विवाद देखने को मिला था । एक बार फिर वह विवाद हवा पकड़ता नजर आने लगा है हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्राइवेट रूट परमिट वापस नहीं होंगे यानी कि सरकार की रोडवेज पॉलिसी के तहत मुख्यमंत्री अपनी बात पर अटल नजर आ रहे हैं । हालांकि इन रूट पर मेट्रो को लेकर पहले सरकार और रोडवेज यूनियने आमने सामने आ चुके हैं । रोडवेज कर्मचारी नेताओं का दावा है किसी भी हाल में निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री की तरफ से दिए गए बयान को उन्होंने चिंताजनक बताया है । रोडवेज कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि एस्मा जैसे काले कानून लगाकर सरकार कर्मचारियों की आवाज को दबाने का काम करती है , मगर इस बार कर्मचारी किसी भी तरह के दबाव में आने वाले नहीं हैं । कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार के पास धन की कमी है तो उस पर भी कर्मचारी नेता और सभी कर्मचारी अपने 1 महीने का वेतन नई बसों के लिए देने को तैयार हैं ऐसे में सरकार अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है ।
बाइट - बलवीर जाखड़ , रोडवेज नेताConclusion:एक तरफ जहां कर्मचारी नेता सरकार को चेतावनी देते नजर आ रही हैं वही हरियाणा के मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि हरियाणा वासियों का हित सर्वोपरि है और अगर किसी भी तरह की हड़ताल होती है तो उसके लिए वैसी व्यवस्था की जाएगी जैसे की व्यवस्था पहले की गई है । मुख्यमंत्री 2 दिन के कर्मचारी नेताओं की हड़ताल पर कहते नजर आए कि कर्मचारी नेताओं के साथ बातचीत चल रही है । हालांकि इन बयानों के बाद फिर सरकार और कर्मचारी आमने-सामने नजर आने लगे हैं आने वाले समय में सरकार अगर अपने स्टैंड पर कायम रहती है तो टकराव देखने को मिल सकता है हालांकि मुख्यमंत्री इस पर हाईकोर्ट का भी हवाला देते नजर आ रहे है ।
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