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सरपंचों के विरोध के बीच पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का बड़ा बयान, पंचों को दी जा सकती हैं विकास कार्य की शक्तियां

हरियाणा में सरकार के खिलाफ सरपंचों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली (Panchayat Minister Devender Babli on E-tendering) ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य न रुके इसके लिए पंचों को आने वाले दिनों में विकास कार्य की शक्तियां दी जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि ई टेंडरिंग के माध्यम से जवाबदेही बढ़ेगी और एक समय के भीतर सब काम होंगे.

Haryana Panchayat Minister Devender Babli
हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली
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Published : Feb 17, 2023, 10:03 AM IST

हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली.

चंडीगढ़: हरियाणा में बने सरपंच लगातार सरकार द्वारा शुरू की गई ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल का विरोध कर रहे हैं. वे लगातार सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन अब इसको लेकर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली सख्त हो गए हैं. उनका कहना है कि उन्होंने ग्रामीण विकास न रुके इसके लिए पंचों को शक्तियां देने की अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं. सरपंचों की लगातार विरोध को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली से बातचीत की.
सवाल: हरियाणा सरपंच एसोसिएशन द्वारा साफ तौर पर धमकी दी गई है कि अगर उनकी आवाज बजट सत्र में नहीं उठाई गई और ई टेंडरिंग के साथ-साथ राइट टू रिकॉल वापस नहीं लिया गया तो वे किसी भी विधायक को गांव में नहीं घुसने देंगे. आप इस चुनौती को कैसे देखते हैं और सरकार का इस को लेकर क्या स्टैंड है?

जवाब: सरकार का इस मामले को लेकर क्लियर स्टैंड है. सरकार यह जो ईटेंडरिंग व्यवस्था लाई है पहले जा काम मैनुअली होते थे अब वे सॉफ्टवेयर के माध्यम से होंगे. इस प्रणाली के माध्यम से जवाबदेही बढ़ेगी और एक समय के भीतर सब काम होंगे. उनका कहना है कि इस प्रणाली के जरिए काम में गुणवत्ता भी आएगी, सरपंचों को इसमें प्रदेश के विकास और गांव के विकास में सरकार का सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका विरोध करके कुछ लोग अपने पर्सनल इंटरेस्ट को साधना चाहते हैं. उनका कहना है कि 3000 से ज्यादा सरपंच अपने काम में लग गए हैं और हमारे पास रोजाना सिस्टम में उनके प्रस्ताव आ रहे हैं.

उनका कहना है कि, कुछ लोग उन पर भी दबाव बना रहे हैं कि वह इस सिस्टम से बाहर आए. उनका कहना है कि हरियाणा सरपंच एसोसिएशन नाम की कोई चीज नहीं है, कुछ लोग खड़े हो गए हैं. यह ऐसे लोग हैं जो आंदोलन के नाम ने चंदे की उगाही करेंगे. यह लोग आंदोलन के नाम पर इस तरीके के काम करते हैं चाहे इनका बैकग्राउंड चेक कर लीजिए. उनका कहना है कि आम आदमी विकास जाता है भ्रष्टाचार मुक्त काम चाहता, गांव का विकास चाहता है.

उन्होंने कि उनकी सरकार की प्राथमिकता भी ग्रामीण क्षेत्रों का विकास है पहले की सरकारों की तरह सिर्फ नाली और गली बनाने का काम नहीं करना है. बल्कि गांव का विकास शहर की तर्ज पर करना है. उनका कहना है कि पंचायतों के विकास के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है. उनको विकास कार्यों में सहयोग करना चाहिए. उनका कहना है कि अगर उन्हें किसी भी तरह के काम में दिक्कत आती है तो उनके लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं लेकिन ताकत के दम पर अगर वे डराने धमकाने का काम करते हैं तो फिर हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करेंगे.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के लोगों और पंच साथियों को कहना चाहूंगा कि अगर सरपंच गांव के विकास में बाधा बन रहा है तो पंचायती राज अधिनियम में इसका भी प्रावधान है कि अगर मेजोरिटी के साथ मेंबर आते हैं तो काम करने की पावर उनको भी दी जा सकती है, तो वे अपने गांव के विकास का काम का प्रस्ताव डालकर करवा सकते हैं.

सवाल: इसका मतलब यह हुआ कि सरपंच जो विरोध कर रहे हैं, उसकी वजह से गांव का विकास ना रुके उसका भी आपने प्रावधान कर लिया है?

जवाब: बिल्कुल हमने कल अपने पंचायती राज विभाग के एसीएस, एसडीओ, बीडीपीओ और अन्य अधिकारी मौजूद थे उनको अपनी निर्देश जारी कर दिए हैं कि आप सरपंचों को भी लाइए और उनके साथ बैठक कीजिए. जहां पर सरपंच विरोध कर रहे हैं वहां पर पंचों को गांव के विकास कार्यों की पावर दीजिए. ताकि गांव का विकास ना रुक सके और विकास कार्य आगे जारी रहे.

सवाल: अभी तक आपकी सरपंचों के साथ कोई बैठक हुई है वार्ता हुई है और जो उनका ई टेंडरिंग को लेकर एक डर है, वह क्या है? क्या यह साफ हो गया है?

जवाब: मुझे खुद इस बात की समझ नहीं आ रही है कि आखिर हुए ऐसा क्यों कर रहे हैं मैं उनके बीच कई बार गया हूं. उनकी जो दिक्कत है थी उनका भी समाधान कर लिया. ज्यादातर की टेंडर में 21 दिनों की प्रॉसेस की सीमा कम करने की मांग थी मैं यह बात खुद मानता हूं कि यह सीमा कम होनी चाहिए थी हमने वह सीमा भी सात दी कर दी. जो फाइलें पहले सरकार के पास चंडीगढ़ आती थी उनमें से 25 लाख तक की फाइल ब्लॉक से बाहर ही नहीं आएगी. करोड़ों रुपए की फाइल अब जिले में ही प्रोसेस हो जाएंगी. पहली बार हमारी सरकार ने जो शक्तियां सरकार के पास होती थी वह ब्लॉक लेवल और ग्रामीण लेवल तक पहुंचाई है. इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वह अपने काम में लग जाएं ताकि गांवों का विकास ना रुके. हमें इनके सहयोग की जरूरत है ना कि प्रदेश के विकास में बाधा बनने की.

सवाल: क्या आपको लगता है कि इस मामले में अब राजनीति ज्यादा हो रही है?

जवाब: इस सवाल के जवाब में पंचायत मंत्री ने कहा है कि, बिल्कुल इस मामले में अब राजनीति हो रही है विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. हमारे विपक्ष के कई साथी पढ़े-लिखे होकर इन को भड़काने में लगे हैं. उनकी कोशिश है कि किसी भी तरह प्रदेश में अव्यवस्था फैले. विकास इनका एजेंडा नहीं है. विपक्ष को भी कई साल लोगों ने सत्ता में बैठाए रखा लेकिन वह कभी गली और नाली से बाहर नहीं निकले. हम ग्रामीण क्षेत्रों में ईलाइब्रेरी देने जा रहे हैं जिनकी सुविधा देने जा रहे हैं इसके साथ ही कई अन्य तरह की सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ा रहे हैं. हमने ग्रामीण क्षेत्र को शहरी क्षेत्र बनाने की शुरुआत की है मैं यह नहीं कहता कि हम अगले 2 साल में ही सारे काम कर लेंगे, लेकिन शहरीकरण की ओर ग्रामीण क्षेत्र को बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया है.

ये भी पढ़ें: देवेंद्र बबली के बयान पर सरपंच एसोसिएशन हरियाणा की प्रतिक्रिया, बोले- देश कानून से चलता है, पंचायत मंत्री की मर्जी से नहीं

हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली.

चंडीगढ़: हरियाणा में बने सरपंच लगातार सरकार द्वारा शुरू की गई ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल का विरोध कर रहे हैं. वे लगातार सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन अब इसको लेकर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली सख्त हो गए हैं. उनका कहना है कि उन्होंने ग्रामीण विकास न रुके इसके लिए पंचों को शक्तियां देने की अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं. सरपंचों की लगातार विरोध को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली से बातचीत की.
सवाल: हरियाणा सरपंच एसोसिएशन द्वारा साफ तौर पर धमकी दी गई है कि अगर उनकी आवाज बजट सत्र में नहीं उठाई गई और ई टेंडरिंग के साथ-साथ राइट टू रिकॉल वापस नहीं लिया गया तो वे किसी भी विधायक को गांव में नहीं घुसने देंगे. आप इस चुनौती को कैसे देखते हैं और सरकार का इस को लेकर क्या स्टैंड है?

जवाब: सरकार का इस मामले को लेकर क्लियर स्टैंड है. सरकार यह जो ईटेंडरिंग व्यवस्था लाई है पहले जा काम मैनुअली होते थे अब वे सॉफ्टवेयर के माध्यम से होंगे. इस प्रणाली के माध्यम से जवाबदेही बढ़ेगी और एक समय के भीतर सब काम होंगे. उनका कहना है कि इस प्रणाली के जरिए काम में गुणवत्ता भी आएगी, सरपंचों को इसमें प्रदेश के विकास और गांव के विकास में सरकार का सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका विरोध करके कुछ लोग अपने पर्सनल इंटरेस्ट को साधना चाहते हैं. उनका कहना है कि 3000 से ज्यादा सरपंच अपने काम में लग गए हैं और हमारे पास रोजाना सिस्टम में उनके प्रस्ताव आ रहे हैं.

उनका कहना है कि, कुछ लोग उन पर भी दबाव बना रहे हैं कि वह इस सिस्टम से बाहर आए. उनका कहना है कि हरियाणा सरपंच एसोसिएशन नाम की कोई चीज नहीं है, कुछ लोग खड़े हो गए हैं. यह ऐसे लोग हैं जो आंदोलन के नाम ने चंदे की उगाही करेंगे. यह लोग आंदोलन के नाम पर इस तरीके के काम करते हैं चाहे इनका बैकग्राउंड चेक कर लीजिए. उनका कहना है कि आम आदमी विकास जाता है भ्रष्टाचार मुक्त काम चाहता, गांव का विकास चाहता है.

उन्होंने कि उनकी सरकार की प्राथमिकता भी ग्रामीण क्षेत्रों का विकास है पहले की सरकारों की तरह सिर्फ नाली और गली बनाने का काम नहीं करना है. बल्कि गांव का विकास शहर की तर्ज पर करना है. उनका कहना है कि पंचायतों के विकास के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है. उनको विकास कार्यों में सहयोग करना चाहिए. उनका कहना है कि अगर उन्हें किसी भी तरह के काम में दिक्कत आती है तो उनके लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं लेकिन ताकत के दम पर अगर वे डराने धमकाने का काम करते हैं तो फिर हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करेंगे.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के लोगों और पंच साथियों को कहना चाहूंगा कि अगर सरपंच गांव के विकास में बाधा बन रहा है तो पंचायती राज अधिनियम में इसका भी प्रावधान है कि अगर मेजोरिटी के साथ मेंबर आते हैं तो काम करने की पावर उनको भी दी जा सकती है, तो वे अपने गांव के विकास का काम का प्रस्ताव डालकर करवा सकते हैं.

सवाल: इसका मतलब यह हुआ कि सरपंच जो विरोध कर रहे हैं, उसकी वजह से गांव का विकास ना रुके उसका भी आपने प्रावधान कर लिया है?

जवाब: बिल्कुल हमने कल अपने पंचायती राज विभाग के एसीएस, एसडीओ, बीडीपीओ और अन्य अधिकारी मौजूद थे उनको अपनी निर्देश जारी कर दिए हैं कि आप सरपंचों को भी लाइए और उनके साथ बैठक कीजिए. जहां पर सरपंच विरोध कर रहे हैं वहां पर पंचों को गांव के विकास कार्यों की पावर दीजिए. ताकि गांव का विकास ना रुक सके और विकास कार्य आगे जारी रहे.

सवाल: अभी तक आपकी सरपंचों के साथ कोई बैठक हुई है वार्ता हुई है और जो उनका ई टेंडरिंग को लेकर एक डर है, वह क्या है? क्या यह साफ हो गया है?

जवाब: मुझे खुद इस बात की समझ नहीं आ रही है कि आखिर हुए ऐसा क्यों कर रहे हैं मैं उनके बीच कई बार गया हूं. उनकी जो दिक्कत है थी उनका भी समाधान कर लिया. ज्यादातर की टेंडर में 21 दिनों की प्रॉसेस की सीमा कम करने की मांग थी मैं यह बात खुद मानता हूं कि यह सीमा कम होनी चाहिए थी हमने वह सीमा भी सात दी कर दी. जो फाइलें पहले सरकार के पास चंडीगढ़ आती थी उनमें से 25 लाख तक की फाइल ब्लॉक से बाहर ही नहीं आएगी. करोड़ों रुपए की फाइल अब जिले में ही प्रोसेस हो जाएंगी. पहली बार हमारी सरकार ने जो शक्तियां सरकार के पास होती थी वह ब्लॉक लेवल और ग्रामीण लेवल तक पहुंचाई है. इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वह अपने काम में लग जाएं ताकि गांवों का विकास ना रुके. हमें इनके सहयोग की जरूरत है ना कि प्रदेश के विकास में बाधा बनने की.

सवाल: क्या आपको लगता है कि इस मामले में अब राजनीति ज्यादा हो रही है?

जवाब: इस सवाल के जवाब में पंचायत मंत्री ने कहा है कि, बिल्कुल इस मामले में अब राजनीति हो रही है विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. हमारे विपक्ष के कई साथी पढ़े-लिखे होकर इन को भड़काने में लगे हैं. उनकी कोशिश है कि किसी भी तरह प्रदेश में अव्यवस्था फैले. विकास इनका एजेंडा नहीं है. विपक्ष को भी कई साल लोगों ने सत्ता में बैठाए रखा लेकिन वह कभी गली और नाली से बाहर नहीं निकले. हम ग्रामीण क्षेत्रों में ईलाइब्रेरी देने जा रहे हैं जिनकी सुविधा देने जा रहे हैं इसके साथ ही कई अन्य तरह की सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ा रहे हैं. हमने ग्रामीण क्षेत्र को शहरी क्षेत्र बनाने की शुरुआत की है मैं यह नहीं कहता कि हम अगले 2 साल में ही सारे काम कर लेंगे, लेकिन शहरीकरण की ओर ग्रामीण क्षेत्र को बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया है.

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