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दिग्गजों के गढ़ में बंपर वोट, किस करवट बैठेगा ऊंट ?

हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनाव में ताऊ देवीलाल, बंसीलाल और भजन लाल के साथ ही पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में भी अधिक मतदान हुआ है, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गढ़ में सबसे कम मतदान हुआ है.

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Published : May 14, 2019, 9:42 AM IST

चंडीगढ़ः ताऊ देवीलाल, बंसीलाल और भजन लाल के साथ ही पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में इस बार सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. ये अधिक मतदान किस करवट में बैठेगा, इसे लेकर सियासी गलियारों में कयासबाजी शुरू हो गई है. फिलहाल तो इंतजार 23 मई का है जब ईवीएम खुलने के बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी. अभी तो जाट बहुल के साथ ही एससी सीट सिरसा पर ज्यादा मतदान किसके पक्ष में रहेगा, इसका हिसाब किताब राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं.

सिरसा में हुआ सबसे ज्यादा मतदान
हिसार, सिरसा और रोहतक को तो 2014 में कांग्रेस और इनेलो ने मोदी लहर में बचा लिए थे. उस समय देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी. चुनाव में प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर जमकर मतदान हुआ था, जिसमें सिरसा मतदान प्रतिशत में टॉप पर था. उसके बाद हिसार, कुरुक्षेत्र, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, भिवानी-महेंद्रगढ़, सोनीपत, रोहतक और फरीदाबाद का नंबर था. इस बार सिरसा फिर मतदान प्रतिशत को लेकर अव्वल है, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना लगभग छह फीसदी वोट कम पड़े हैं.

राजनीतिक दलों को किसी चमत्कार की आस
इस बार जाट बहुल सीटों रोहतक, सोनीपत, हिसार, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ में करनाल, अंबाला, फरीदाबाद और सोनीपत की तुलना अच्छी-खासी वोटिंग हुई है. सीएम सिटी करनाल में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है. गुरुग्राम और फरीदाबाद ने भी मतदान में निराश किया है. पिछली बार गुरुग्राम में मतदान प्रतिशत 72 पार तो फरीदाबाद में 65 फीसदी से अधिक था. इस बार ये दोनों शहर 65 फीसदी से नीचे हैं. जाट बहुल सीटों पर अधिक मतदान होने से कांग्रेस को जहां वापसी की उम्मीद जगी हैं, वहीं भाजपा अबकी बार ऐतिहासिक प्रदर्शन का दावा कर रही है. इनेलो और जेजेपी को भी चमत्कार की आस हैं.

खुद को साबित करने में जुटे इनेलो और जेजेपी
इनेलो और चौटाला परिवार के दो फाड़ होने के बाद जहां इनेलो को सिरसा तो जींद उपचुनाव से पहले अस्तित्व में आई जेजेपी को हिसार सीट बचानी होगी. वहीं इनेलो की प्रतिष्ठा कुरुक्षेत्र और जेजेपी की सोनीपत में भी दांव पर है. कुरुक्षेत्र में अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला मैदान में हैं तो सोनीपत से अजय चौटाला के बेटे दिग्विजय चुनाव लड़ रहे हैं.

भाजपा को अपनी जीत पर पूरा भरोसा !
2014 की तुलना कम मतदान को भाजपा अपने पक्ष में मानकर चल रही है. पार्टी थिंक टैंक का मानना है कि इस बार सत्ता विरोधी लहर नहीं थी. कांग्रेस और अन्य पार्टियों के मुकाबले भाजपा का मतदाता बूथ पर वोट डालने ज्यादा पहुंचा है. लोगों ने मोदी के नाम पर वोट दिया है, जिससे कांग्रेस और इनेलो के गढ़ भी भाजपा जीतेगी.

2009 की जीत दोहराएगी कांग्रेस ?
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से जनता तंग आ चुकी थी. मतदाताओं ने घर से निकलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है. कांग्रेस इस चुनाव में 2009 का प्रदर्शन दोहराने की ओर बढ़ चुकी है.

चंडीगढ़ः ताऊ देवीलाल, बंसीलाल और भजन लाल के साथ ही पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में इस बार सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. ये अधिक मतदान किस करवट में बैठेगा, इसे लेकर सियासी गलियारों में कयासबाजी शुरू हो गई है. फिलहाल तो इंतजार 23 मई का है जब ईवीएम खुलने के बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी. अभी तो जाट बहुल के साथ ही एससी सीट सिरसा पर ज्यादा मतदान किसके पक्ष में रहेगा, इसका हिसाब किताब राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं.

सिरसा में हुआ सबसे ज्यादा मतदान
हिसार, सिरसा और रोहतक को तो 2014 में कांग्रेस और इनेलो ने मोदी लहर में बचा लिए थे. उस समय देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी. चुनाव में प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर जमकर मतदान हुआ था, जिसमें सिरसा मतदान प्रतिशत में टॉप पर था. उसके बाद हिसार, कुरुक्षेत्र, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, भिवानी-महेंद्रगढ़, सोनीपत, रोहतक और फरीदाबाद का नंबर था. इस बार सिरसा फिर मतदान प्रतिशत को लेकर अव्वल है, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना लगभग छह फीसदी वोट कम पड़े हैं.

राजनीतिक दलों को किसी चमत्कार की आस
इस बार जाट बहुल सीटों रोहतक, सोनीपत, हिसार, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ में करनाल, अंबाला, फरीदाबाद और सोनीपत की तुलना अच्छी-खासी वोटिंग हुई है. सीएम सिटी करनाल में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है. गुरुग्राम और फरीदाबाद ने भी मतदान में निराश किया है. पिछली बार गुरुग्राम में मतदान प्रतिशत 72 पार तो फरीदाबाद में 65 फीसदी से अधिक था. इस बार ये दोनों शहर 65 फीसदी से नीचे हैं. जाट बहुल सीटों पर अधिक मतदान होने से कांग्रेस को जहां वापसी की उम्मीद जगी हैं, वहीं भाजपा अबकी बार ऐतिहासिक प्रदर्शन का दावा कर रही है. इनेलो और जेजेपी को भी चमत्कार की आस हैं.

खुद को साबित करने में जुटे इनेलो और जेजेपी
इनेलो और चौटाला परिवार के दो फाड़ होने के बाद जहां इनेलो को सिरसा तो जींद उपचुनाव से पहले अस्तित्व में आई जेजेपी को हिसार सीट बचानी होगी. वहीं इनेलो की प्रतिष्ठा कुरुक्षेत्र और जेजेपी की सोनीपत में भी दांव पर है. कुरुक्षेत्र में अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला मैदान में हैं तो सोनीपत से अजय चौटाला के बेटे दिग्विजय चुनाव लड़ रहे हैं.

भाजपा को अपनी जीत पर पूरा भरोसा !
2014 की तुलना कम मतदान को भाजपा अपने पक्ष में मानकर चल रही है. पार्टी थिंक टैंक का मानना है कि इस बार सत्ता विरोधी लहर नहीं थी. कांग्रेस और अन्य पार्टियों के मुकाबले भाजपा का मतदाता बूथ पर वोट डालने ज्यादा पहुंचा है. लोगों ने मोदी के नाम पर वोट दिया है, जिससे कांग्रेस और इनेलो के गढ़ भी भाजपा जीतेगी.

2009 की जीत दोहराएगी कांग्रेस ?
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से जनता तंग आ चुकी थी. मतदाताओं ने घर से निकलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है. कांग्रेस इस चुनाव में 2009 का प्रदर्शन दोहराने की ओर बढ़ चुकी है.

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manish


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