चंडीगढ़: कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते हरियाणा सरकार को वित्तीय तौर पर बड़ा नुकसान पहुंच रहा है. अकेले मार्च महीने में सरकार को 3 हजार करोड़ रुपये के राजस्व की चपत लगी है. तीन महीने में सरकार को अनुमानित 12 से 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने मार्च, अप्रैल और मई. इन तीन महीनों में विभिन्न बैंकों से लोन भी लिया है.
2020-21 के वितीय बजट के तहत हरियाणा सरकार को 1 लाख 98 हजार करोड़ का ऋण चुकाना है. अब लॉकडाउन की वजह से हुए आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए सरकार ने नया कर्ज लिया है. मार्च महीने में हरियाणा सरकार ने 8 हजार 336 करोड़ का कर्ज लिया. जबकि अप्रैल में 5 हजार करोड़ का कर्ज सूबे की सरकार ने लिया है. मई महीने की बात की जाए तो सरकार अभी तक 2 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है.
हरियाणा पर बढ़ता कर्ज
हरियाणा सरकार ने फरवरी 28 को 1 लाख 42 हजार 343 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. जिसे 31 मार्च के बाद लागू होना था, इससे पहले कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी. ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान अर्थशास्त्र के जानकार विमल अंजुम ने इस स्थिति पर कहा कि हरियाणा सरकार ने करीब 26 फ़ीसदी राजकोषीय घाटे का बजट पेश किया था. उसको रिकवर करना वर्तमान हालात में संभव दिखाई नहीं देता है.
विमल अंजुम के मुताबिक अभी हरियाणा को करीब साढे़ 400 सौ करोड़ के करीब जीएसटी का शेयर मिला है. उसे हम ये नहीं कह सकते की ये राज्य के लिए ज्यादा बहेतर होगा. बता दें किजीएसटी की वजह से भी सूबे की सरकार को काफी नुकसान हुआ है.
हरियाणा सरकार को केंद्र से जीएसटी का 2500 करोड़ रुपया आना था. लॉकडाउन की वजह से ये महज 1 हजार करोड़ रुपये आया है. एक्साइज विभाग से भी हरियाणा सरकार को 1 हजार करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद थी. ये उम्मीद अब महज 100 करोड़ रुपये ही रह गई है. मई महीने में सूबे सरकार के पास 6 हजार 200 करोड़ रुपये का राजस्व आना था, अब इसके 1600 करोड़ रुपये आने की संभावना है
इस संकट से उबरने के लिए हरियाणा सरकार ने हाल ही में शराब पर कोरोना सेस और पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाया गया है. इसके अलावा सरकार ने मार्केट फीस और रोडवेज बसों के किराए में भी बढ़ोतरी की है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल साफ कर चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो और लोन लिया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- हरियाणा में क्रिकेट खेलने पहुंचे दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां
एक्सपर्ट के मुताबिक हरियाणा सरकार का जो अभी राजकोषीय घाटा है वो 26 प्रतिशत के आसपास है. जो वर्तमान हालात को देखते हुए 30 से 32 प्रतिशत को भी पार कर जाएगा. हरियाणा को अपने कर्ज पर आठ से 9 प्रतिशत तक का ब्याज देना है, प्रदेश सरकार की जो इन्वेस्टमेंट है, उस पर उनको 0.17 प्रतिशत ही मिलता है. फिलहाल तो राजकोषीय घाटे में राहत की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही.
हरियाणा 2020-21 बजट का एक्सपेंडिचर
हरियाणा का डेवलपमेन्ट और नॉन डेवलपमेन्ट खर्च के तहत साल 2020-21 के बजट में प्रावधान
- जनरल खर्च 36, 614 करोड़ अनुमानित
- सोशल खर्च 43, 000 करोड़ अनुमानित
- एजुकेशन पर 18000 करोड़ अनुमति
- हेल्थ पर 6000 करोड़ अनुमानित
- सोशल सिक्योरिटी और वेलफेयर पर 10,000 करोड़ अनुमानित
- अन्य खर्चों पर 9000 करोड़ अनुमानित
- ट्रांसपोर्ट पर 3000 करोड़ अनुमानित
- रूलर डेवलपमेन्ट पर 6000 करोड़ अनुमानित
- एग्रीकल्चर पर 6100 करोड़ अनुमानित
- जीएसटी कॉलेक्शन प्लान पर 55,500 करोड़ अनुमानित
- वेट कॉलेक्शन प्लान पर 28 से 30 हजार करोड़ अनुमानित
- सर्विस टैक्स कॉलेक्शन प्लान पर 7000 करोड़ अनुमानित
- एक्ससाइज प्लान पर 7500 करोड़ रुपये अनुमानित
- स्टैम्प ड्यूटी एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ व्हीकल्स पर 3500 करोड़ अनुमानित
- हरियाणा का राजकोषीय घाटा 26.9 प्रतिशत
- सरकार लोन पर 8 से 9 प्रतिशत का ब्याज देती है
- जबकि उसकी इन्वेस्टमेंट पर उसे 0.17 प्रतिशत रिटर्न मिलता है
- कोरोना पीरियड GST लॉस 2000 करोड़ के आसपास है
- वेट और एक्ससाइज का लॉस 1000 करोड़ के आसपास है