जींद: हरियाणा में 900 से अधिक हीमोफीलिया मरीजों की जान खतरे में आ गई है. इस समय हरियाणा में फैक्टर 8 और 9 इंजेक्शन की भारी किल्लत है. जींद, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, महेंद्रगढ़, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, करनाल, चरखी-दादरी सहित कई जिलों के सिविल अस्पतालों में यह इंजेक्शन पूरी तरह समाप्त हो चुका है. मजबूरन हीमोफीलिया मरीजों को लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल दिल्ली का रुख करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां यह इंजेक्शन फ्री उपलब्ध होते हैं. लेकिन वहां आना-जाना मरीजों और उसके परिजनों के लिए आसान नहीं है.
जींद में हैं 42 मरीज:
जनवरी माह से जींद अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीजों के लिए जरूरी फैक्टर आठ और नौ इंजेक्शन खत्म है. अस्पताल के पास कुल 42 मरीज फैक्टर आठ और नौ के रजिस्टर्ड हैं. इनमें फैक्टर आठ के 40 और फैक्टर नौ के दो मरीज हैं. काफी समय बीत जाने के बाद भी फैक्टर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. इस कारण हीमोफीलिया मरीजों की जान पर आ गई है. वहीं, नागरिक अस्पताल प्रशासन द्वारा फैक्टर इंजेक्शन को लेकर उच्च अधिकारियों को डिमांड भेजे जाने की बात कही जा रही है.
प्रभावी फैक्टर उपलब्ध करवाए जाएं:
हीमोफीलिया सोसायटी के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने बताया कि प्रदेशभर में जीवनरक्षक फैक्टर की भारी कमी है. हीमोफीलिया के रोगी दर-दर भटकने को मजबूर हैं लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है. इस बारे में कई बार स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगाई गई है लेकिन सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, समाधान नहीं. बीते वर्षों में जो फैक्टर उपलब्ध कराए गए थे, वे भी अधिकांश मरीजों पर असरदार नहीं रहे. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री आरती राव से मांग की कि जल्द से जल्द उच्च गुणवत्ता वाला फैक्टर उपलब्ध कराया जाए. सस्ते और कम प्रभावी फैक्टर की जगह प्रभावी और मान्यता प्राप्त फैक्टर दिया जाए ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके.
क्यों जरूरी होता है हीमोफीलिया इंजेक्शन:
हीमोफीलिया के मरीज को फैक्टर 8, 9 इंजेक्शन बेहद जरूरी होता हैं. डॉक्टरों के अनुसार अगर ऐसे मरीज को चोट लग जाए तो रक्त के स्त्राव को रोकना बेहद मुश्किल होता है. रक्त के स्त्राव को रोकने के लिए इन मरीजों को फैक्टर 8 और 9 के इंजेक्शन लगाए जाते हैं. सरकारी स्तर पर यह इंजेक्शन मरीजों को मुफ्त लगाए जाते हैं. लेकिन अगर बाजार से यह इंजेक्शन लगाए जाएं तो बहुत महंगे पड़ते हैं.
एक डोज की कीमत है 12 हजार:
सबसे बड़ी बात यह है कि हीमोफीलिया के इन मरीजों में हर समय रक्तस्त्राव का खतरा बना रहता है. कई बार अगर इनके शरीर पर किसी परिजन का कुछ तेज हाथ भी लग जाए, तब भी रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है. ऐसे में इन मरीजों को ये फैक्टर इंजेक्शन की उपलब्धता रहना जरूरी रहता है. बाजार में इंजेक्शन की एक डोज लगभग 12 हजार रुपये में उपलब्ध है. एक डोज में 4 इंजेक्शन होते हैं. इससे एक सप्ताह का काम होता है.
लोकल स्तर पर फैक्टर इंजेक्शन खरीदने के लिए बना रहे बजट:
नागरिक अस्पताल के कार्यवाहक सीएमओ डॉ. पालेराम कटारिया ने बताया कि "हीमोफीलिया के मरीजों के लिए जरूरी फेक्टर आठ और नौ इंजेक्शन की डिमांड को उच्च अधिकारियों से अवगत करा दिया गया है. लोकल स्तर पर भी फैक्टर इंजेक्शन खरीदने के लिए बजट मुहैया कराया जाएगा. हीमोफीलिया के मरीजों को इंजेक्शन के लिए किसी भी स्तर पर कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी."