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Maha Shivaratri 2025: यहां बिन नंदी महाराज के विराजमान हैं महादेव, इस मंदिर में पूजा का है विशेष महत्व - MAHA SHIVARATRI 2025

कुरुक्षेत्र में महादेव का ऐसा मंदिर है जहां नंदी के बिना विराजमान है डमरुधारी, जानें पूरा इतिहास और खास महत्व.

Maha Shivaratri 2025
Maha Shivaratri 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 20, 2025, 12:44 PM IST

Updated : Feb 21, 2025, 11:37 AM IST

कुरुक्षेत्र: हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का फाल्गुन महीना चल रहा है. फाल्गुन महीने में देवों के देव महादेव और इनके भक्तों का सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि भी आता है. महाशिवरात्रि इस बार साल 2025 में 26 फरवरी को मनाई जा रही है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव और माता पार्वती का विवाह उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में हरियाणा समेत पूरे देश में महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह है.

श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा का महत्व (Etv Bharat)

महाशिवरात्रि के दिन महादेव के मंदिर जाने का विशेष महत्व है. जिसके चलते हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर महादेव बिना नंदी के विराजमान है. इस रिपोर्ट में जानते हैं, श्री कालेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास और क्या वजह है कि महादेव बिना नंदी के इस मंदिर में विराजमान हैं.

Maha Shivaratri 2025
कालेश्वर मंदिर में पूजा का है विशेष महत्व (Etv Bharat)

भक्तों का महादेव से होता है सीधा संवाद: कुरुक्षेत्र के प्राचीन श्री महाकालेश्वर महादेव मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोले नाथ बिना नंदी जी के विराजमान हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी राकेश कुमार शास्त्री ने बताया कि यह मंदिर आदिकाल से यहां पर बना हुआ है. इस मंदिर को दिव्य माना जाता है. क्योंकि इस मंदिर में महादेव के साथ नंदी महाराज विराजमान नहीं है. मान्यता है कि इस मंदिर में महादेव के सामने भक्त जो भी प्रार्थना करते हैं, वे सीधे महादेव सुनते हैं और उनका सीधा संवाद महादेव होता है. ऐसे में यहां पर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

Maha Shivaratri 2025
बिन नंदी महाराज के विराजमान हैं महादेव (Etv Bharat)

रावण ने की थी महादेव की अराधना: मंदिर के पुजारी ने बताया कि बिना नंदी के कहीं पर भी महादेव का मंदिर नहीं है. लेकिन यहां पर नंदी महाराज विराजमान नहीं है. इसके पीछे का कारण बताते हुए मुख्य पुजारी बताते हैं कि आदि काल में कुरुक्षेत्र के ऊपर से लंकापति रावण अपने वाहन से सवार होकर आकाशीय मार्ग से होकर गुजर रहे थे. जैसे ही वह मंदिर के ऊपर बिल्कुल सामने आते हैं, तो उनका वाहन डगमगा जाता है. रावण इससे अचंभित हो जाते हैं और विचार करते हैं, कि ऐसी क्या चीज है जिसने रावण के वाहन को बाधित किया है.

Maha Shivaratri 2025
महादेव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना होती है पूर्ण (Etv Bharat)

स्वयंभू शिवलिंग: रावण ने नीचे आकर देखा तो यहां पर उनको शिवलिंग दिखाई दिया. यह शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है. जिसके बाद वह यहां पर कई सालों तक तपस्या करते रहे. भगवान महादेव जब रावण की तपस्या से खुश हो जाते हैं, तो उनके सामने प्रकट हो जाते हैं और उनकी इच्छा जानते हैं और रावण को वरदान देते हैं. उस दौरान रावण ने महादेव से अपनी इच्छा बताई और कहा कि वे कुछ मांगना चाहते हैं.

Maha Shivaratri 2025
अकाल मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति (Etv Bharat)

भक्तों की सुनते हैं महादेव: उस दौरान रावण ने महादेव से कहा कि जो भी इच्छा मैं मांगूंगा, उसका कोई भी साक्षी नहीं होना चाहिए. महादेव ने रावण की बात मानी और नंदी महाराज को कैलाश पर्वत पर छोड़ दिया. जिसके बाद महादेव रावण के सामने अकेले ही प्रकट हो गए. तभी से श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में नंदी महाराज विराजमान नहीं है. मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्त की सीधे ही प्रार्थना सुनते हैं और भक्तों की समस्याओं का निवारण भी करते हैं.

Maha Shivaratri 2025
Maha Shivaratri 2025 (Etv Bharat)

श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा का महत्व: मंदिर के पुजारी ने बताया कि कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने से जहां सभी प्रकार की इच्छा पूरी होती है, तो उसके साथ-साथ यहां काल पर विजय पाने के लिए विशेष तौर पर महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है. अगर किसी के परिवार में अकाल मृत्यु होती है, या फिर किसी की कुंडली में अकाल मृत्यु दोष हो तो यहां पर आकर मात्र एक लोटा जलाभिषेक कर अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिल सकती है. उनके घर में अकाल मृत्यु नहीं होती.

पितरों की आत्मा को मिलती है शांति: पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी यहां पर विशेष तौर से पूजा-अर्चना की जाती है. यहां पर सप्ताह के अलग-अलग दिन अलग-अलग प्रकार की पूजा की जाती है. लेकिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए गुरुवार के दिन यहां पर भगवान भोलेनाथ को जल अभिषेक करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष दूर होता है.

देश ही नहीं विदेश से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु: मंदिर के पुजारी बताते हैं कि महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां दिन और रात दोनों अलग-अलग समय पूजा होती है. सारा दिन श्रद्धालु यहां पर महादेव की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. महाशिवरात्रि के दिन यहां पर भोलेनाथ को शहद, गन्ने का रस, भांग, धतूरा, बेलपत्र और दूध इत्यादि चढ़ाया जाता है. शिवरात्रि के दिन यहां पर ज्यादा भीड़ होती है. लेकिन अगर साल के 12 महीने की बात करें तो यहां भारत के सभी राज्यों के अलावा, विदेश से भी लोग आते हैं. यह मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है.

जानिए क्या कहते हैं श्रद्धालु (Etv Bharat)

क्या कहते हैं श्रद्धालु: मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु प्रजन्न गौर ने कहा, " मैं कुरुक्षेत्र का वासी हूं. ये मंदिर काफी प्राचीन है. खास बात यह है कि मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है. इस मंदिर में नंदीजी विराजमान नहीं हैं. इसके पिछे कई पौराणिक कथाएं है. मेरे पिता भी हर दिन इस मंदिर आते हैं. उनके दिन की शुरुआत इसी मंदिर से होती है. यहां आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है." मंदिर में आए विकास ने कहा, "इस मंदिर में आकर काफी अच्छा महसूस होता है. मन को सुकून मिलता है. यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है." वहीं, शिवजी के दर्शन को पहुंचे रोहित शर्मा ने कहा, "सभी मंदिर में भोलेनाथ के साथ नंदी भी होते हैं. हालांकि यहां शिवजी हैं. नंदीजी नहीं हैं. कहा जाता है कि रावण ने यहीं भोलेनाथ से आशिर्वाद प्राप्त किया था. मैं इस मंदिर में हर दिन सुबह पूजा करने आता हूं. मुझे काफी अच्छा महसूस होता है."

ये भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर इन खास चीजों से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना, होगी हर मनोकामना पूरी, कुंवारी लड़कियां भूलकर भी न करें ये काम

ये भी पढ़ें: जानें कब है विजया एकादशी, शुभ मुहूर्त में इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, शत्रुओं पर होगी विजय

कुरुक्षेत्र: हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का फाल्गुन महीना चल रहा है. फाल्गुन महीने में देवों के देव महादेव और इनके भक्तों का सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि भी आता है. महाशिवरात्रि इस बार साल 2025 में 26 फरवरी को मनाई जा रही है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव और माता पार्वती का विवाह उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में हरियाणा समेत पूरे देश में महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह है.

श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा का महत्व (Etv Bharat)

महाशिवरात्रि के दिन महादेव के मंदिर जाने का विशेष महत्व है. जिसके चलते हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर महादेव बिना नंदी के विराजमान है. इस रिपोर्ट में जानते हैं, श्री कालेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास और क्या वजह है कि महादेव बिना नंदी के इस मंदिर में विराजमान हैं.

Maha Shivaratri 2025
कालेश्वर मंदिर में पूजा का है विशेष महत्व (Etv Bharat)

भक्तों का महादेव से होता है सीधा संवाद: कुरुक्षेत्र के प्राचीन श्री महाकालेश्वर महादेव मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोले नाथ बिना नंदी जी के विराजमान हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी राकेश कुमार शास्त्री ने बताया कि यह मंदिर आदिकाल से यहां पर बना हुआ है. इस मंदिर को दिव्य माना जाता है. क्योंकि इस मंदिर में महादेव के साथ नंदी महाराज विराजमान नहीं है. मान्यता है कि इस मंदिर में महादेव के सामने भक्त जो भी प्रार्थना करते हैं, वे सीधे महादेव सुनते हैं और उनका सीधा संवाद महादेव होता है. ऐसे में यहां पर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

Maha Shivaratri 2025
बिन नंदी महाराज के विराजमान हैं महादेव (Etv Bharat)

रावण ने की थी महादेव की अराधना: मंदिर के पुजारी ने बताया कि बिना नंदी के कहीं पर भी महादेव का मंदिर नहीं है. लेकिन यहां पर नंदी महाराज विराजमान नहीं है. इसके पीछे का कारण बताते हुए मुख्य पुजारी बताते हैं कि आदि काल में कुरुक्षेत्र के ऊपर से लंकापति रावण अपने वाहन से सवार होकर आकाशीय मार्ग से होकर गुजर रहे थे. जैसे ही वह मंदिर के ऊपर बिल्कुल सामने आते हैं, तो उनका वाहन डगमगा जाता है. रावण इससे अचंभित हो जाते हैं और विचार करते हैं, कि ऐसी क्या चीज है जिसने रावण के वाहन को बाधित किया है.

Maha Shivaratri 2025
महादेव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना होती है पूर्ण (Etv Bharat)

स्वयंभू शिवलिंग: रावण ने नीचे आकर देखा तो यहां पर उनको शिवलिंग दिखाई दिया. यह शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है. जिसके बाद वह यहां पर कई सालों तक तपस्या करते रहे. भगवान महादेव जब रावण की तपस्या से खुश हो जाते हैं, तो उनके सामने प्रकट हो जाते हैं और उनकी इच्छा जानते हैं और रावण को वरदान देते हैं. उस दौरान रावण ने महादेव से अपनी इच्छा बताई और कहा कि वे कुछ मांगना चाहते हैं.

Maha Shivaratri 2025
अकाल मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति (Etv Bharat)

भक्तों की सुनते हैं महादेव: उस दौरान रावण ने महादेव से कहा कि जो भी इच्छा मैं मांगूंगा, उसका कोई भी साक्षी नहीं होना चाहिए. महादेव ने रावण की बात मानी और नंदी महाराज को कैलाश पर्वत पर छोड़ दिया. जिसके बाद महादेव रावण के सामने अकेले ही प्रकट हो गए. तभी से श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में नंदी महाराज विराजमान नहीं है. मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्त की सीधे ही प्रार्थना सुनते हैं और भक्तों की समस्याओं का निवारण भी करते हैं.

Maha Shivaratri 2025
Maha Shivaratri 2025 (Etv Bharat)

श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा का महत्व: मंदिर के पुजारी ने बताया कि कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने से जहां सभी प्रकार की इच्छा पूरी होती है, तो उसके साथ-साथ यहां काल पर विजय पाने के लिए विशेष तौर पर महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है. अगर किसी के परिवार में अकाल मृत्यु होती है, या फिर किसी की कुंडली में अकाल मृत्यु दोष हो तो यहां पर आकर मात्र एक लोटा जलाभिषेक कर अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिल सकती है. उनके घर में अकाल मृत्यु नहीं होती.

पितरों की आत्मा को मिलती है शांति: पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी यहां पर विशेष तौर से पूजा-अर्चना की जाती है. यहां पर सप्ताह के अलग-अलग दिन अलग-अलग प्रकार की पूजा की जाती है. लेकिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए गुरुवार के दिन यहां पर भगवान भोलेनाथ को जल अभिषेक करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष दूर होता है.

देश ही नहीं विदेश से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु: मंदिर के पुजारी बताते हैं कि महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां दिन और रात दोनों अलग-अलग समय पूजा होती है. सारा दिन श्रद्धालु यहां पर महादेव की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. महाशिवरात्रि के दिन यहां पर भोलेनाथ को शहद, गन्ने का रस, भांग, धतूरा, बेलपत्र और दूध इत्यादि चढ़ाया जाता है. शिवरात्रि के दिन यहां पर ज्यादा भीड़ होती है. लेकिन अगर साल के 12 महीने की बात करें तो यहां भारत के सभी राज्यों के अलावा, विदेश से भी लोग आते हैं. यह मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है.

जानिए क्या कहते हैं श्रद्धालु (Etv Bharat)

क्या कहते हैं श्रद्धालु: मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु प्रजन्न गौर ने कहा, " मैं कुरुक्षेत्र का वासी हूं. ये मंदिर काफी प्राचीन है. खास बात यह है कि मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है. इस मंदिर में नंदीजी विराजमान नहीं हैं. इसके पिछे कई पौराणिक कथाएं है. मेरे पिता भी हर दिन इस मंदिर आते हैं. उनके दिन की शुरुआत इसी मंदिर से होती है. यहां आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है." मंदिर में आए विकास ने कहा, "इस मंदिर में आकर काफी अच्छा महसूस होता है. मन को सुकून मिलता है. यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है." वहीं, शिवजी के दर्शन को पहुंचे रोहित शर्मा ने कहा, "सभी मंदिर में भोलेनाथ के साथ नंदी भी होते हैं. हालांकि यहां शिवजी हैं. नंदीजी नहीं हैं. कहा जाता है कि रावण ने यहीं भोलेनाथ से आशिर्वाद प्राप्त किया था. मैं इस मंदिर में हर दिन सुबह पूजा करने आता हूं. मुझे काफी अच्छा महसूस होता है."

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Last Updated : Feb 21, 2025, 11:37 AM IST
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