चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन में किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के लिए आदेश जारी कर (cases on farmers withdraw in haryana) दिए है. इस संबंध में राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिख दिया है. जिला उपायुक्तों को लिखे पत्र में राज्य में 9 सितंबर 2020 के बाद किसानों पर दर्ज केस वापस लिए जाने के आदेश जारी किए है. इसके साथ ही पत्र की कॉपी पुलिस विभाग को भी दी गई है.
केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद किसान संगठनों और सरकार में किसानों पर दर्ज केस वापस लेने पर सहमति बनी थी. जिसके बाद किसान दिल्ली बॉर्डर को खाली कर अपने-अपने घरों को लौट आए थे. वहीं हरियाणा सरकार ने किसानों पर दर्ज केस के संबंध में प्रदेश के सभी जिलों के एसपी और डिस्ट्रिक अटॉर्नी को पत्र लिखकर राय मांगी थी. राय आने के बाद अब सरकार ने जिला उपायुक्त को इन केसों को वापस लेने के आदेश दे दिए है.
गौरतलब है कि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में केस वापसी (case on farmers canceled in haryana) की प्रकिया की जानकारी दी थी. किसान आंदोलन के संबंध में विपक्ष ने शून्यकाल में प्रश्न भी किए थे. तब सीएम ने केस और मृतकों के बारे में जानकारी दी थी. हरियाणा में आंदोलन के दौरान कुल 276 केस दर्ज हुए थे, जिनमें चार हत्या-दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों से जुड़े हैं. हत्या व दुष्कर्म से जुड़े मामले वापस नहीं होंगे.
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मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया था कि 178 मामलों में चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी गई है, जबकि 57 अनट्रेस हैं. वर्तमान में आठ केसों की कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. इनमें से चार को कोर्ट में फाइल किया जा चुका. 29 केसों को रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है. सीएम ने कहा था कि मृतकों को मुआवजा देने के लिए अभी किसानों से बातचीत चल रही है. सीआइडी की रिपोर्ट के मुताबिक 46 किसानों का पोस्टमार्टम हुआ है. बातचीत में किसानों द्वारा 73 मृतक किसानों (Cases on farmers in haryana) को हरियाणा का बताया गया है.
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