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बड़ी खबर: हरियाणा सरकार ने नियम 134ए को किया खत्म, अब निजी स्कूलों में नहीं हाेगा फ्री दाखिला

हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए नियम 134ए को खत्म (haryana 134A rule abolished) कर दिया है. अब गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री में दाखिला नहीं मिल सकेगा.

haryana 134A rule abolished
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Published : Mar 30, 2022, 9:54 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने नियम 134ए को खत्म (haryana 134A rule abolished) कर दिया है. अब गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री में दाखिला नहीं मिलेगा. इस नियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को 10 प्रतिशत सीट रिजर्व रखनी होती थी. इस क्रम में विधिवत इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, निजी स्कूल संचालकों ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया है, क्योंकि इसके विरुद्ध आवाज उठाते हुए वे पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट भी गए थे. निजी स्कूल संचालकों ने रुल को लेकर सवाल खड़े करते हुए पहले शिक्षा विभाग के आला-अफसरों की शरण ली थी. बाद में इसके नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

बता दें कि 134ए राइट टू एजूकेशन एक्ट है, जिसमें बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है. वैसे, इस नियम को लेकर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच में भारी खींचतान राज्य के अधिकांश जिलों में चली आ रही थी, परेशान स्कूल संचालकों ने इस संबंध में बैठके करने और अफसरों से गुहार लगाकर उनके सामने खड़ी चुनौती के बारे में बताया था, लेकिन सुनवाई नहीं होने पर वे हाईकोर्ट का रुख कर गए थे. अब अधिसूचना जारी हो जाने के बाद में निजी स्कूल संचालक पहले से पढ़ने वाले बच्चों को लेकर भी स्थिति साफ करने की गुहार अफसरों से लगाने लगे हैं.

haryana 134A rule abolished
इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है

स्कूल संचालकों ने किया फैसले का स्वागत- हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर और बाकी संचालकों का दावा है कि एचपीएससी द्वारा चलाई मुहिम का असर ये है कि इसके लिए सरकार की तरफ से 28 मार्च 2022 को नोटिफिकेशन निकाल दी गई है. उन्हाेंने सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर का धन्यवाद किया है. सौरभ ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सरकार ने रूल को खत्म करते हुए यह तो मान लिया कि इसको जबरन स्कूल संचालकों पर थोपा जा रहा था. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रूल 134ए को खत्म किए जाने के बाद अब स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच चलने वाला गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा.

सौरभ कपूर ने कहा कि सालों से इस नियम के तहत निजी स्कूल संचालकों पर सरकार द्वारा गलत तरीके से मुफ्त एडमिशन देने का दबाव बनाया जाता था. उन्होंने कहा कि एचपीएससी के बैनर तले सभी निजी स्कूलों ने मिलकर विरोध किया. जिसके बाद अब सरकार ने रूल 134ए को खत्म किया है. एचपीएससी ने हमेशा स्कूल संचालकों हितों की बात की है और हाईकोर्ट में भी रूल में कमियों की बात कर करते हुए तय नियमों के अनुसार रिइंबसमेंट मांगी थी, लेकिन सरकार ने नहीं दी.

ये भी पढ़ें- Haryana Board Exam 2022: बारहवीं बोर्ड की परीक्षाएं आज से शुरू, सुरक्षा के कड़े प्रबंध

उन्होंने कहा कि मुफ्त एडमिशन न मिलने पर अभिभावक स्कूलों को दोषी ठहराते थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि सरकार की पॉलिसी गलत थी. अब इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिली है. सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार ने 28 मार्च 2022 से रूल 134ए को खत्म कर दिया है, लेकिन नोटिफिकेशन में कहीं यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से पढ़ रहे स्टूडेंट्स हैं, उन्हें कैसे पढ़ाया जाएगा. सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार तो अब नए सत्र से सभी बच्चों को स्कूल के अनुसार फीस देनी होगी.

बच्चों की पढ़ाई की एवज में सरकार स्कूलों का भुगतान करे- 134ए को समाप्त करने पर प्रतिक्रिया देते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हम कभी भी 134-ए के खिलाफ नहीं थे. हमारा विरोध चयन प्रक्रिया और भुगतान प्रक्रिया को लेकर था. सरकार अगर 12(1)(C) के अनुसार चयन और नियमित रूप से कानून के अनुसार भुगतान करती रहती तो ना तो गरीब अभिभावकों को दिक्कत आती और ना ही खत्म करने की जरूरत पड़ती. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार 134-ए को खत्म कर पुराने भुगतान से बच नहीं सकती उसे तुरंत प्राइवेट स्कूलों का लंबित भुगतान अदा करना चाहिए और उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार यह भी स्पष्ट करें कि 75000 जो विद्यार्थी 134ए के तहत स्कूलों में पढ़ रहे हैं उनका क्या होगा और 9वीं से 12वीं कक्षा में 134ए के तहत पढ़ रहे विद्यार्थियों की भुगतान राशि भी सरकार घोषित करें ताकि उनके भुगतान के लिए भी स्कूल आवेदन कर सकें.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने नियम 134ए को खत्म (haryana 134A rule abolished) कर दिया है. अब गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री में दाखिला नहीं मिलेगा. इस नियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को 10 प्रतिशत सीट रिजर्व रखनी होती थी. इस क्रम में विधिवत इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, निजी स्कूल संचालकों ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया है, क्योंकि इसके विरुद्ध आवाज उठाते हुए वे पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट भी गए थे. निजी स्कूल संचालकों ने रुल को लेकर सवाल खड़े करते हुए पहले शिक्षा विभाग के आला-अफसरों की शरण ली थी. बाद में इसके नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

बता दें कि 134ए राइट टू एजूकेशन एक्ट है, जिसमें बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है. वैसे, इस नियम को लेकर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच में भारी खींचतान राज्य के अधिकांश जिलों में चली आ रही थी, परेशान स्कूल संचालकों ने इस संबंध में बैठके करने और अफसरों से गुहार लगाकर उनके सामने खड़ी चुनौती के बारे में बताया था, लेकिन सुनवाई नहीं होने पर वे हाईकोर्ट का रुख कर गए थे. अब अधिसूचना जारी हो जाने के बाद में निजी स्कूल संचालक पहले से पढ़ने वाले बच्चों को लेकर भी स्थिति साफ करने की गुहार अफसरों से लगाने लगे हैं.

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इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है

स्कूल संचालकों ने किया फैसले का स्वागत- हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर और बाकी संचालकों का दावा है कि एचपीएससी द्वारा चलाई मुहिम का असर ये है कि इसके लिए सरकार की तरफ से 28 मार्च 2022 को नोटिफिकेशन निकाल दी गई है. उन्हाेंने सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर का धन्यवाद किया है. सौरभ ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सरकार ने रूल को खत्म करते हुए यह तो मान लिया कि इसको जबरन स्कूल संचालकों पर थोपा जा रहा था. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रूल 134ए को खत्म किए जाने के बाद अब स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच चलने वाला गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा.

सौरभ कपूर ने कहा कि सालों से इस नियम के तहत निजी स्कूल संचालकों पर सरकार द्वारा गलत तरीके से मुफ्त एडमिशन देने का दबाव बनाया जाता था. उन्होंने कहा कि एचपीएससी के बैनर तले सभी निजी स्कूलों ने मिलकर विरोध किया. जिसके बाद अब सरकार ने रूल 134ए को खत्म किया है. एचपीएससी ने हमेशा स्कूल संचालकों हितों की बात की है और हाईकोर्ट में भी रूल में कमियों की बात कर करते हुए तय नियमों के अनुसार रिइंबसमेंट मांगी थी, लेकिन सरकार ने नहीं दी.

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उन्होंने कहा कि मुफ्त एडमिशन न मिलने पर अभिभावक स्कूलों को दोषी ठहराते थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि सरकार की पॉलिसी गलत थी. अब इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिली है. सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार ने 28 मार्च 2022 से रूल 134ए को खत्म कर दिया है, लेकिन नोटिफिकेशन में कहीं यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से पढ़ रहे स्टूडेंट्स हैं, उन्हें कैसे पढ़ाया जाएगा. सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार तो अब नए सत्र से सभी बच्चों को स्कूल के अनुसार फीस देनी होगी.

बच्चों की पढ़ाई की एवज में सरकार स्कूलों का भुगतान करे- 134ए को समाप्त करने पर प्रतिक्रिया देते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हम कभी भी 134-ए के खिलाफ नहीं थे. हमारा विरोध चयन प्रक्रिया और भुगतान प्रक्रिया को लेकर था. सरकार अगर 12(1)(C) के अनुसार चयन और नियमित रूप से कानून के अनुसार भुगतान करती रहती तो ना तो गरीब अभिभावकों को दिक्कत आती और ना ही खत्म करने की जरूरत पड़ती. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार 134-ए को खत्म कर पुराने भुगतान से बच नहीं सकती उसे तुरंत प्राइवेट स्कूलों का लंबित भुगतान अदा करना चाहिए और उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार यह भी स्पष्ट करें कि 75000 जो विद्यार्थी 134ए के तहत स्कूलों में पढ़ रहे हैं उनका क्या होगा और 9वीं से 12वीं कक्षा में 134ए के तहत पढ़ रहे विद्यार्थियों की भुगतान राशि भी सरकार घोषित करें ताकि उनके भुगतान के लिए भी स्कूल आवेदन कर सकें.

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