चंडीगढ़: किसान आंदोलन का आज यानि 26 नवंबर को एक साल पूरा होने (farmers protest anniversary) पर किसानों ने फिर अंगड़ाई ली और बड़ी संख्या में कुंडली, सिंघु, टिकरी बॉर्डर पर जुटे. हरियाणा के लगभग सभी जिलों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में पहुंचे. इस दौरान महिला किसानों में खासा जोश देखने को मिला. किसानों का इस दौरान साफ कहना था कि भले ही सरकार ने तीन कृषि कानून वापस (farm laws withdrawal) लेने का एलान कर दिया हो, लेकिन जब तक हमारी MSP पर कानून सहित बाकी मांगें पूरी नहीं हो जाती ये आंदोलन जारी रहेगा, और ऐसे ही बड़ी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए आते रहेंगे.
हरियाणा के कई जिलों से किसान गुरुवार को ही दिल्ली के बॉर्डर्स पर जुटने लगे थे. वहीं शुक्रवार को भी हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में पहुंचे. भिवानी जिले की बात करें तो यहां से किसान टिकरी बॉर्डर के लिए रवाना हुए. इस दौरान पुरुषों की बजाय महिला किसानों में खासा जोश देखने को मिला. कुछ महिलाएं तो हरियाणवी वेशभूषा में सज-धजकर नारेबाजी के साथ रवाना हुई.
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वहीं आंदोलन के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में पलवल में भी किसानों द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. पलवल जिले के एनएच-19 स्थित अटोहा चौक पर बड़ी संख्या में किसानों ने इकट्ठा होकर जश्न मनाया. इस दौरान किसानों ने आंदोलन में जान गंवाने वाले 700 किसानों के लिए यज्ञ-हवन का आयोजन किया और उनके लिए मौन भी रखा. कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पलवल, मेवात, हथीन, होडल, फरीदाबाद, हसनपुर इलाके से किसान पहुंचे. धरना स्थल पर हवन यज्ञ के बाद कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.
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दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर भी काफी संख्या में किसान इकट्ठा हुए. इनमें ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान शामिल रहे. किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की सालगिरह और अपनी जीत का जश्न मनाया. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी ग्रुप) के अध्यक्ष और किसान नेता गुरनाम चढूनी भी यहां कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान गुरनाम चढूनी ने कहा कि जब तक सरकार MSP पर कानून और मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा नहीं देती. तब तक किसान आंदोलन वापस नहीं होगा.
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वहीं किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जिन किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हुई थी, उन्हें आज श्रद्धांजलि दी गई. अभी तो आंदोलन चल रहा है. केंद्र सरकार अगर बातचीत करेगी तो आगे का समाधान निकलेगा, वे बात ही नहीं करना चाहते हैं. बिना बात के कैसे समाधान निकलेगा. सरकार MSP पर बात नहीं करना चाहती, उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को कैसे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा होगी.
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बता दें कि, 27 नंवबर को संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक भी होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर के साथ मार्च निकालने का भी ऐलान किया है. इससे पहले संयुक्त मोर्चा द्वारा भी ऐलान किया गया था कि 29 नवंबर को 500 ट्रैक्टरों के साथ संसद का घेराव करेंगे.
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