चंडीगढ़: हरियाणा कौशल रोजगार निगम का गठन आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत ठेकेदारों के माध्यम से लगे कर्मचारियों को शोषण से बचाने के लिए किया गया है. कर्मचारी एवं कर्मचारी संगठनों से प्रदेश सरकार को शिकायतें प्राप्त हुई थी कि ठेकेदार इन कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई इत्यादि का लाभ नहीं दे रहे थे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में एचकेआरएनएल को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि हरियाणा में एचकेआरएनएल के माध्यम से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को यह सभी लाभ मिल रहे हैं. हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक मेवा सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सदन के नेता और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि निगम का गठन एक कल्याणकारी स्कीम के तहत किया गया है. इसके तहत उन परिवारों के युवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जिनकी आय 1.80 लाख रुपये से कम है.
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इसके साथ ही जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी वाला सदस्य नहीं है, उन्हें निगम के माध्यम से दिए जाने वाले रोजगार में प्राथमिकता दी जा रही है. उन्होंने कहा कि निगम के माध्यम से केवल अस्थाई रोजगार दिया जाता है. विभाग की मांग और कर्मचारी के कार्य कौशल के आधार पर इसे बाद में रिन्यू किया जाता है. सभी स्थाई नौकरियां हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग, हरियाणा लोक सेवा आयोग व अन्य विभागीय प्रक्रियाओं के तहत दी जाती हैं.
मुख्यमंत्री ने सदन को जानकारी दी कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम ने विभिन्न विभागों में अनुबंध के आधार पर लगे 1 लाख 6 हजार 464 कर्मचारियों को नियुक्ति पेशकश पत्र जारी किए गए हैं. इनमें से 95 हजार 424 कर्मचारियों ने निगम के पोर्टल पर ज्वाइन किया है. इसके अलावा, 6 हजार 736 उम्मीदवारों को निगम द्वारा विभिन्न विभागों में नियुक्ति के पेशकश पत्र भेजे गये हैं, जिनमें से 4 हजार 380 ने ज्वाइन कर लिया है.
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उम्मीदवार को 15 दिन में ज्वाइन करना होता है. उसके बाद वाले उम्मीदवार को पेशकश पत्र जारी कर दिया जाता है. विधायक जगबीर सिंह मलिक द्वारा भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत लगे 32 कर्मचारियों को निकालने के बारे पूछे गये पूरक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला सरकार के संज्ञान में है और इसमें जांच हुई है. पहले ठेकेदार गलत तरीके से आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत कर्मचारी रख लेते थे, लेकिन अब निगम ने ठेकेदारों से कर्मचारियों के नाम सहित जानकारी मांगी है. ठेकेदारों से रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.