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New Parliament Building: देश के नए संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे पर हरियाणा में भी गरमाई सियासत - मणिपुर विधानसभा भवन का उद्घाटन

नए संसद भवन के उद्धाटन से पहले विपक्ष का विरोध नहीं थम रहा है. जिसके चलते अब हरियाणा में भी सियासत तेज हो गई है. वहीं, संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर रहे विपक्षी नेताओं पर हरियाणा विधानसभा स्पीकर और गृहमंत्री अनिल विज ने विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा है. (New Parliament Building)

Haryana BJP own opposition leader
नए संसद भवन का उद्घाटन
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Published : May 25, 2023, 11:03 PM IST

चंडीगढ़: देश के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने को लेकर देश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बात का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के विरोध में 19 विपक्षी पार्टियों ने इसके समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है. विपक्षी दल लगातार संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर रहा है. इसके साथ ही विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता इस मामले में केंद्र सरकार पर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना भी साध रहे हैं.

इधर हरियाणा में भी इस मामले में प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करने के ऐलान पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस ने अपनी लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है. उन्होंने कहा कि आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. यह वक्त आपस में बंटने का नहीं, बल्कि एकता और देश के लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है. विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है. इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना लोकतंत्र का अपमान है.

वहीं, इस मुद्दे पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि लोकतंत्र रूपी नए मंदिर का जो भी राजनीतिक पार्टियां बहिष्कार कर रही हैं, हर देशभक्त को उन पार्टियों का बहिष्कार कर देना चाहिए. नए संसद भवन पर विपक्षी दलों द्वारा विरोध करने के मसले पर विज ने कहा कि देश की कांग्रेस सहित जो विपक्षी पार्टियां है, उनका अंग्रेज मोह अभी तक नहीं गया. उन्हें अंग्रेजों द्वारा बनाई गई चीजें ज्यादा पसंद है, उनको हमारे देश के कारीगरों द्वारा बनाई चीजें पसंद नहीं है और इसलिए वो विरोध कर रहे हैं. अनिल विज ने कहा कि विपक्ष का विरोध करना जायज है. लेकिन हर अच्छे काम का विरोध करना ठीक नहीं. जैसे असुर किसी भी अच्छे काम या यज्ञ में अड़चन डालते थे. जैसे ताड़का आकर उसमें हड्डियां डाल देती थी, यह बिल्कुल वही काम कर रहे हैं.

वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि यह कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है. विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दुनिया में बढ़ते कद को देखकर परेशान हैं. विपक्ष के पास जब कोई मुद्दा नहीं बच गया है, तो इस प्रकार के मुद्दे उठाकर वह अपने लिए सियासी जमीन तलाश रहा है. वे कहते हैं कि नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल अपना विरोध जता रहे हैं.

उनको यह याद रखना चाहिए कि 1975 में इंदिरा गांधी ने संसद भवन में एनेक्सी का उद्घाटन किया था. 1987 में राजीव गांधी ने संसद भवन की लाइब्रेरी का उद्घाटन किया. सोनिया गांधी ने मणिपुर विधानसभा भवन का उद्घाटन किया. सोनिया और राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का भूमि पूजन किया. उस वक्त कांग्रेस पार्टी को यह सब क्यों याद नहीं आया.

इसके साथ ही वे कहते हैं कि जिस तरीके से ने संसद भवन के अंदर स्पीकर की कुर्सी के साथ नरेंद्र मोदी न्याय के प्रति सेंगोल की स्थापना कर रहे हैं. जोकि भगवान शिव के न्याय का प्रतीक है. यह भी कांग्रेस और विपक्षी दलों को चुभ रहा है. वे कहते हैं कि विपक्ष अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को देखते हुए इस तरह का विरोध कर रहा है.

ये भी पढ़ें: New Parliament Building : 250 सांसद संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का करेंगे विरोध

एक तरफ जहां बीजेपी के प्रवक्ता सीधे-सीधे कांग्रेस और विपक्ष को इस मामले में घेर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति का पद सर्वोपरि होता है. इसलिए नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का होना जरूरी है. वे कहते हैं कि राष्ट्रपति लोकतंत्र में सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन होती हैं. इसलिए उनके द्वारा ही इसका उद्घाटन करवाया जाना चाहिए. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद की छवि को और बड़ा करने के लिए लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी कर रहे हैं. जो कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही नहीं है.

चंडीगढ़: देश के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने को लेकर देश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बात का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के विरोध में 19 विपक्षी पार्टियों ने इसके समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है. विपक्षी दल लगातार संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर रहा है. इसके साथ ही विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता इस मामले में केंद्र सरकार पर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना भी साध रहे हैं.

इधर हरियाणा में भी इस मामले में प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करने के ऐलान पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस ने अपनी लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है. उन्होंने कहा कि आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. यह वक्त आपस में बंटने का नहीं, बल्कि एकता और देश के लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है. विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है. इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना लोकतंत्र का अपमान है.

वहीं, इस मुद्दे पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि लोकतंत्र रूपी नए मंदिर का जो भी राजनीतिक पार्टियां बहिष्कार कर रही हैं, हर देशभक्त को उन पार्टियों का बहिष्कार कर देना चाहिए. नए संसद भवन पर विपक्षी दलों द्वारा विरोध करने के मसले पर विज ने कहा कि देश की कांग्रेस सहित जो विपक्षी पार्टियां है, उनका अंग्रेज मोह अभी तक नहीं गया. उन्हें अंग्रेजों द्वारा बनाई गई चीजें ज्यादा पसंद है, उनको हमारे देश के कारीगरों द्वारा बनाई चीजें पसंद नहीं है और इसलिए वो विरोध कर रहे हैं. अनिल विज ने कहा कि विपक्ष का विरोध करना जायज है. लेकिन हर अच्छे काम का विरोध करना ठीक नहीं. जैसे असुर किसी भी अच्छे काम या यज्ञ में अड़चन डालते थे. जैसे ताड़का आकर उसमें हड्डियां डाल देती थी, यह बिल्कुल वही काम कर रहे हैं.

वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि यह कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है. विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दुनिया में बढ़ते कद को देखकर परेशान हैं. विपक्ष के पास जब कोई मुद्दा नहीं बच गया है, तो इस प्रकार के मुद्दे उठाकर वह अपने लिए सियासी जमीन तलाश रहा है. वे कहते हैं कि नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल अपना विरोध जता रहे हैं.

उनको यह याद रखना चाहिए कि 1975 में इंदिरा गांधी ने संसद भवन में एनेक्सी का उद्घाटन किया था. 1987 में राजीव गांधी ने संसद भवन की लाइब्रेरी का उद्घाटन किया. सोनिया गांधी ने मणिपुर विधानसभा भवन का उद्घाटन किया. सोनिया और राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का भूमि पूजन किया. उस वक्त कांग्रेस पार्टी को यह सब क्यों याद नहीं आया.

इसके साथ ही वे कहते हैं कि जिस तरीके से ने संसद भवन के अंदर स्पीकर की कुर्सी के साथ नरेंद्र मोदी न्याय के प्रति सेंगोल की स्थापना कर रहे हैं. जोकि भगवान शिव के न्याय का प्रतीक है. यह भी कांग्रेस और विपक्षी दलों को चुभ रहा है. वे कहते हैं कि विपक्ष अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को देखते हुए इस तरह का विरोध कर रहा है.

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एक तरफ जहां बीजेपी के प्रवक्ता सीधे-सीधे कांग्रेस और विपक्ष को इस मामले में घेर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति का पद सर्वोपरि होता है. इसलिए नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का होना जरूरी है. वे कहते हैं कि राष्ट्रपति लोकतंत्र में सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन होती हैं. इसलिए उनके द्वारा ही इसका उद्घाटन करवाया जाना चाहिए. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद की छवि को और बड़ा करने के लिए लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी कर रहे हैं. जो कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही नहीं है.

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