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संयुक्त संघर्ष पार्टी ने पंजाब चुनाव के लिए उतारे अपने 9 उम्मीदवार, गुरनाम चढूनी ने बताया क्या रहेगी रणनीति

संयुक्त संघर्ष पार्टी (Samyukt sangharsh party) ने पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए 9 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. पंजाब को लेकर संयुक्त संघर्ष पार्टी की क्या रणनीति रहेगी इसको लेकर हमने संयुक्त संघर्ष पार्टी के सुप्रीमो गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam charuni) से बात की.

gurnam charuni
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Published : Jan 19, 2022, 8:05 PM IST

चंडीगढ़: संयुक्त संघर्ष पार्टी (Samyukt sangharsh party) ने पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए सयुंक्त समाज मोर्चा के साथ गठबंधन करने के बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. संयुक्त संघर्ष पार्टी के हिस्से में 10 उम्मीदवार आए हैं. जिनमें से आज पार्टी ने 9 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. जबकि एक उम्मीदवार का ऐलान होना अभी बाकी है. पंजाब को लेकर संयुक्त संघर्ष पार्टी की क्या रणनीति रहेगी और किस तरीके से पंजाब के लोगों के मुद्दों को पार्टी उठाएगी. इसको लेकर हमने संयुक्त संघर्ष पार्टी के सुप्रीमो गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam charuni) से बात की.

ईटीवी भारत ने जब गुरनाम सिंह चढूनी से सवाल किया कि वह हमेशा राजनीति में किसानों के आने की बात करते रहते थे, और अन्य किसान संगठन इसका विरोध करते थे. अब वह भी खुद चुनाव में उतर गए हैं तो इसको लेकर वह कहते हैं. इसको लेकर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि इसके लिए मुझे एक बार किसान मोर्चा से भी निकाल दिया गया था. अच्छा है कि अब उन्होंने मेरी बात को मान लिया है और वे चुनावी मैदान में उतर गए. बेशक हम से अलग होकर ही चुनाव लड़ रहे हैं. लोगों की भावना को देखते हुए हमने इकट्ठे लड़ने का फैसला कर लिया है. बेशक हमारे खाते में 10 सीटें आई हैं और हम कम पर भी सब्र कर लेंगे. क्योंकि हम अपने लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए लड़ रहे हैं.

संयुक्त संघर्ष पार्टी ने पंजाब चुनाव के लिए उतारे अपने 9 उम्मीदवार, गुरनाम चढूनी ने बताया क्या रहेगी रणनीति

किसानों के राजनीति में आने से ऐसी बातें की जा रही हैं कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा, आम आदमी पार्टी को फायदा होगा यानि नफे नुकसान का जो आकलन हो रहा है उसको लेकर वे क्या सोचते हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि यह सब लोगों को कंफ्यूज करने के लिए हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम किसी के नफा नुकसान के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि हम तो किसानों के हक के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं. आम जनता के फायदे के लिए लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- राकेश टिकैत बोले- 'चुनाव लड़ने वाले किसान संघ से होंगे बाहर, सरकार को भी 1 फरवरी का अल्टीमेटम'

उन्होंने कहा कि मुद्दे तो बहुत सारे हैं, लेकिन कुल मिलाकर जो नतीजा है वह यह है कि जनता जो है पूंजीपतियों का भोजन बनकर रह गई है. गरीब और गरीब हो रहा है और अमीर और अमीर हो रहा है. किसान कर्जे में दबा जा रहा है और बेरोजगारी लगातार पांव पसार रही है, और युवा वर्ग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है. लोग इलाज ना करवा पाने की वजह से काल के गाल में समा रहे हैं. ऐसे में आदमी को जिंदा रहने के लिए जो मूल सुविधाएं हैं वह तो उसे मिलनी ही चाहिए. अगर आम लोगों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती तो उसके लिए हम संघर्ष कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह पार्टियां क्या मॉडल दे रही हैं मेरे पास तो इसपर बोलने को लेकर भी कोई शब्द नहीं है. जो पार्टियां पंजाब में सत्ता में रही चुकी हैं वह भी कह रही हैं कि जब उनका राज आएगा तो पंजाब को सोने की चिड़िया बना देंगे, और जिसने कभी राज नहीं किया वह भी कह रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे देश की राजनीति गंदी हो गई है. किसी को भी देश से कोई लेना देना नहीं है. देश में जाति के नाम पर राजनीति हो रही है, धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है, क्षेत्रवाद की राजनीति हो रही है. हजारों कत्ल हो जाएं तो भी राजनीति करते हैं. हर आदमी अपने लिए राजनीति कर रहा है, देश के लिए नहीं, नेता देश का उपयोग अपने लिए कर रहे हैं. जबकि चाहिए यह था कि अपना उपयोग में देश के लिए करते.

ये भी पढ़ें- पंजाब में 'आप' की सरकार बनी तो कच्चे सफाईकर्मी किए जाएंगे पक्के : केजरीवाल

वहीं प्रेस वार्ता के दौरान एक किसान द्वारा हंगामा किए जाने और पैसे लेकर टिकट दिए जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि मैं उसे नहीं जानता हूं कि वह कौन था, ना ही उसे कभी मिला हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर इसको नहीं टिकट देते उसको देते हैं तो वह भी आरोप लगाता यानि यह आरोप प्रत्यारोप की बातें हैं. इससे उनका कोई भी लेना देना नहीं है. बड़ी बात यह है कि उस आदमी ने तो अप्लाई भी नहीं किया था.

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चंडीगढ़: संयुक्त संघर्ष पार्टी (Samyukt sangharsh party) ने पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए सयुंक्त समाज मोर्चा के साथ गठबंधन करने के बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. संयुक्त संघर्ष पार्टी के हिस्से में 10 उम्मीदवार आए हैं. जिनमें से आज पार्टी ने 9 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. जबकि एक उम्मीदवार का ऐलान होना अभी बाकी है. पंजाब को लेकर संयुक्त संघर्ष पार्टी की क्या रणनीति रहेगी और किस तरीके से पंजाब के लोगों के मुद्दों को पार्टी उठाएगी. इसको लेकर हमने संयुक्त संघर्ष पार्टी के सुप्रीमो गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam charuni) से बात की.

ईटीवी भारत ने जब गुरनाम सिंह चढूनी से सवाल किया कि वह हमेशा राजनीति में किसानों के आने की बात करते रहते थे, और अन्य किसान संगठन इसका विरोध करते थे. अब वह भी खुद चुनाव में उतर गए हैं तो इसको लेकर वह कहते हैं. इसको लेकर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि इसके लिए मुझे एक बार किसान मोर्चा से भी निकाल दिया गया था. अच्छा है कि अब उन्होंने मेरी बात को मान लिया है और वे चुनावी मैदान में उतर गए. बेशक हम से अलग होकर ही चुनाव लड़ रहे हैं. लोगों की भावना को देखते हुए हमने इकट्ठे लड़ने का फैसला कर लिया है. बेशक हमारे खाते में 10 सीटें आई हैं और हम कम पर भी सब्र कर लेंगे. क्योंकि हम अपने लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए लड़ रहे हैं.

संयुक्त संघर्ष पार्टी ने पंजाब चुनाव के लिए उतारे अपने 9 उम्मीदवार, गुरनाम चढूनी ने बताया क्या रहेगी रणनीति

किसानों के राजनीति में आने से ऐसी बातें की जा रही हैं कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा, आम आदमी पार्टी को फायदा होगा यानि नफे नुकसान का जो आकलन हो रहा है उसको लेकर वे क्या सोचते हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि यह सब लोगों को कंफ्यूज करने के लिए हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम किसी के नफा नुकसान के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि हम तो किसानों के हक के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं. आम जनता के फायदे के लिए लड़ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि मुद्दे तो बहुत सारे हैं, लेकिन कुल मिलाकर जो नतीजा है वह यह है कि जनता जो है पूंजीपतियों का भोजन बनकर रह गई है. गरीब और गरीब हो रहा है और अमीर और अमीर हो रहा है. किसान कर्जे में दबा जा रहा है और बेरोजगारी लगातार पांव पसार रही है, और युवा वर्ग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है. लोग इलाज ना करवा पाने की वजह से काल के गाल में समा रहे हैं. ऐसे में आदमी को जिंदा रहने के लिए जो मूल सुविधाएं हैं वह तो उसे मिलनी ही चाहिए. अगर आम लोगों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती तो उसके लिए हम संघर्ष कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह पार्टियां क्या मॉडल दे रही हैं मेरे पास तो इसपर बोलने को लेकर भी कोई शब्द नहीं है. जो पार्टियां पंजाब में सत्ता में रही चुकी हैं वह भी कह रही हैं कि जब उनका राज आएगा तो पंजाब को सोने की चिड़िया बना देंगे, और जिसने कभी राज नहीं किया वह भी कह रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे देश की राजनीति गंदी हो गई है. किसी को भी देश से कोई लेना देना नहीं है. देश में जाति के नाम पर राजनीति हो रही है, धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है, क्षेत्रवाद की राजनीति हो रही है. हजारों कत्ल हो जाएं तो भी राजनीति करते हैं. हर आदमी अपने लिए राजनीति कर रहा है, देश के लिए नहीं, नेता देश का उपयोग अपने लिए कर रहे हैं. जबकि चाहिए यह था कि अपना उपयोग में देश के लिए करते.

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वहीं प्रेस वार्ता के दौरान एक किसान द्वारा हंगामा किए जाने और पैसे लेकर टिकट दिए जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि मैं उसे नहीं जानता हूं कि वह कौन था, ना ही उसे कभी मिला हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर इसको नहीं टिकट देते उसको देते हैं तो वह भी आरोप लगाता यानि यह आरोप प्रत्यारोप की बातें हैं. इससे उनका कोई भी लेना देना नहीं है. बड़ी बात यह है कि उस आदमी ने तो अप्लाई भी नहीं किया था.

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