चंडीगढ़: हरियाणा के अंतरराष्ट्रीय मूकबधिर खिलाड़ी वीरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने डेफ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. इसकी जानकारी वीरेंद्र सिंह ने खुद ट्वीट कर दी है. साथ ही गूंगा पहलवान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पैरा खिलाड़ियों के लिए जो धनराशि जारी की जाती है, उसकी भी मांग (Goonga Pehelwan Sought money from CM Manohar Lal) की है. गूंगा पहलवान डेफ ओलंपिक में क्वालीफाई करने के साथ ही ये ट्वीट करने की वजह से फिर से चर्चा में आ गए हैं.
गूंगा पहलवान ने ट्वीट में लिखा है (Goonga Pehelwan tweet) कि 'उनके साथ उनके जैसे कई अन्य खिलाड़ियों ने डेफ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. इसीलिए हरियाणा सरकार की ओर से खेल की तैयारियों के लिए जो धनराशि पैरा खिलाड़ियों को दी जाती है, वह राशि उन्हें भी दी जाए ताकि वह इस प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर सकें'. बता दें कि उनके साथ हरियाणा के 14 अन्य खिलाड़ियों ने भी डेफ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है. इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि पैरा खिलाड़ियों और अन्य खिलाड़ियों को क्वालीफाई करने पर जो राशि दी जाती है, उन्हें भी वह राशि दी जाए ताकि वे अच्छी तैयारी कर सकें और इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर सकें.
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय खेलों में उनकी उपलब्धियों को लेकर उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही खिलाड़ियों को दी जाने वाली इनामी राशि को लेकर भी गूंगा पहलवान पिछले दिनों काफी चर्चा में रहे थे. जब उन्होंने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कहा था कि वह अन्य खिलाड़ियों की तरह कब मूकबधिर खिलाड़ियों को सम्मान देंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री को यह तक कह दिया था कि क्या मैं पाकिस्तान से हूं , जो मेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, आखिर मैंने भी देश के लिए अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं. साथ ही गूंगा पहलवान कई बार चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना भी दे चुके हैं.
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हालांकि उस समय उनकी मांगे पूरी करने की बात कही गई थी, लेकिन वह मानी नहीं गई. वहीं हरियाणा के खेल निदेशक पंकज नैन ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए कहा था कि गूंगा पहलवान को हरियाणा सरकार की ओर से 1 करोड़ 20 लाख रुपए की नगद राशि दी जा चुकी है. जो देश में सबसे ज्यादा है. पंकज नैन ने ट्वीट में लिखा कि वह हरियाणा खेल विभाग में कार्यरत भी हैं. इसके अलावा उन्हें पैरालंपिक के समान ग्रुप डी की नौकरी की पेशकश भी की थी जिससे लेने से इनकार कर दिया था.
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