चंडीगढ़: गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए डॉक्टर अकसर फ्रूट खाने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर फल ही स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए और फिर से डॉक्टर के पास पहुंचा दे तो किसी के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है. गर्मी बढ़ते ही बाजार में तरबूज, आम और अन्य फल सीजन से पहले ही ढेर लगे हुए नजर आते हैं. जोकि रास्ते में जाते हुए हर किसी को अपनी तरफ खींचते हैं, लेकिन इन फलों को पक्के हुए रंग में लाने और मिठास पैदा करने के लिए कई तरह के तरीके अपनाये जाते हैं. जिसमें, सबसे अधिक स्तर पर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. पहले का समय था जब केमिकल फलों के ऊपर गिराते हुए पकाया जाता था, लेकिन अब इन फलों में इंजेक्शन लगाया जाता है. यह टीके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकते हैं.
ऐसे तरबूज सेहत के लिए घातक: डॉक्टरों के मुताबिक तरबूज और आम में कई औषधि गुण होते हैं, लेकिन फ्रूट बेचने वाले थोड़े से मुनाफे के लिए इसमें जहर भरते जा रहे हैं. फ्रूट विक्रेता तरबूज को बीच से चमकदार सुर्ख बनाने के लिए इसमें कपड़े रंगने वाले लाल रंग का इंजेक्शन लगा रहे हैं. इससे तरबूज की रंगत तो लाल हो जाती है लेकिन यही रंग सेहत के लिए खासा घातक होता है. यही नहीं तरबूज को मीठा करने के लिए भी इंजेक्शन लगाया जाता है.
आम पकाने के लिए जहरीले इंजेक्शन का इस्तेमाल: वहीं, आम की मांग बढ़ने की वजह से उन्हें जल्दी पकाने के लिए कुछ व्यापारी जहरीले केमिकल के इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं. जब बात हेल्थ की हो तो हमें हर मोड़ पर सावधान रहने की जरूरत होती है. ऐसे में चंडीगढ़ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर रमणीक सिंह बेदी से इसके बारे में विशेष बातचीत की गई.
जहरीले रंग से पेट में अल्सर होने का खतरा: डॉक्टर रमणीक सिंह बेदी ने बताया कि कई फलों के रंग को बदलने के लिए कपड़े रंगने वाला जहरीला रंग इस्तेमाल किया जाता है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इससे पेट में अल्सर होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. समय पर इलाज न कराया जाए तो यह कैंसर भी बन सकता है. रंगों वाले तरबूज खाने से गले की बीमारियां, सांस लेने में तकलीफ आदि हो सकती है. खासकर बच्चों के शरीर पर इसका घातक परिणाम हो सकता है. इंजेक्शन लगा तरबूज ज्यादा दिन तक न बिके तो यह जहरीला हो जाता है. कोई भी स्वास्थ्य संस्थान इस मामले में कुछ भी नहीं कर पाया है.
फलों के साइज बढ़ाने के लिए भी इंजेक्शन का इस्तेमाल: उन्होंने बताया कि कुछ फल, खास कर केला, पपीता, अमरूद और आम इसी तरह पकाए जा रहे हैं और पूरे शहर में बेचे जा रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि टहनियों और फलों में इंजेक्शन लगाकर सबसे पहले इसका साइज बढ़ाया जा रहा है. 15 दिन में आकार लेने वाला फल इन इंजेक्शनों से तीन-चार दिन में पूरे साइज का हो रहा है, तब इसे कच्चा ही तोड़ा जाता है. इसके बाद कारोबारी इसे केमिकल से पकाकर बाजार में उतार रहे हैं. पिछले दिनों कुछ दुकानों में केमिकल से फल पकाने का भंडाफोड़ करने वाली टीम का दावा है कि राजधानी समेत राज्य की बड़ी फल मंडियों से जितने भी इस तरह के फल बाजार में बेचे जा रहे हैं, ज्यादातर इसी तरह पकाए जा रहे हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि अंगूर की लच्छियां भी कच्ची तोड़कर उन्हें इसी तरह से पकाया जाने लगा है.
बाजार में मौसमी फलों के आने में समय: उन्होंने बताया कि भले ही गर्मी शुरू हो गई है, लेकिन अभी भी मौसमी फलों को आने में समय है. क्योंकि कुछ फल तेज गर्मी में पकते हैं, इनमें तरबूज और आम मुख्य फल है. वहीं, आजकल जो फल देखे जा रहे हैं इनमें तरबूज की अगर बात की जाए तो उसमें रंग डालने का इंजेक्शन और मीठा करने के लिए जहरीला इंजेक्शन लगाया जाता है.
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