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Father's Day Special: हरियाणा में पिता की सियासी विरासत बखूबी संभाल रहे ये बेटे

फादर्स डे के मौके पर आज हम आपको हरियाणा के ऐसे तीन 'लाडलों' के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें सियासत ना सिर्फ अपने पिता से विरासत में मिली है बल्कि उन्होंने इस 'सियासी विरासत' को बखूबी संभाला है.

fathers day 2021
हरियाणा में पिता की सियासी विरासत बखूबी संभाल रहे ये बेटे
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Published : Jun 19, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 10:27 AM IST

चंडीगढ़: हर साल जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे (Father's Day 2021) मनाया जाता है. इस बार ये खास दिन 20 जून को पड़ रहा है. पिता के प्रेम, त्याग और करुणा का आभार व्यक्त करने के लिए फादर्स डे मनाया जाता है. वैसे तो इस दिन को लोग अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आपको हरियाणा के उन तीन लाडलों के बारे में बताने जा रहा है, जिन्होंने पिता की 'सियासी विरासत' को बखूबी संभाला है.

सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (dushyant chautala) की. जो हरियाणा के कद्दावर सियासी परिवार के वारिस हैं और उन्हें सियासत विरासत में मिली है. दुष्यंत चौटाला पूर्व सांसद अजय चौटाला के बेटे और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के पोते हैं. उनके परदादा और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ताऊ के नाम से चर्चित थे.

dushyant chautala political family
पिता अजय चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला

चुनाव से पहले दुष्यंत की पार्टी जेजेपी को विपक्षियों ने हल्के में लिया था, लेकिन चंद महीनों में ही दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में ऐसी पकड़ बनाई कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद दुष्यंत हरियाणा की राजनीति के किंगमेकर साबित हुए.

ये भी पढ़िए: डिप्टी सीएम पर चाचा अभय चौटाला का तंज, 'किसान नहीं दुष्यंत सही रास्ते से भटक गया'

बता दें कि दुष्यंत चौटाला जेजेपी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं. वो 16वीं लोकसभा में हिसार निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई पर जीत हासिल की थी. ऐसा करके उन्होंने सबसे युवा सांसद का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था और उनका नाम 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ था.

ये भी पढ़िए: ...जब चौधरी देवीलाल ने सबके सामने राजभवन में राज्यपाल को जड़ दिया थप्पड़, सन्न रह गए थे लोग

हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह राजनीति में आने से पहले एक आईएएस अफसर थे और जिनका सियासी सफर बुलंद करने के लिए बृजेंद्र के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. यही नहीं एक इंटरव्यू के दौरान बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा था कि उन्हें अपने दादा और पिता की विरासत संभालनी है, इसीलिए उन्होंने राजनीति ज्वॉइन की है.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी हरियाणा की राजनीति पुराना नाम हैं. दीपेंद्र अक्टूबर 2005 में रोहतक उपचुनाव जीतने के बाद पहली बार राजनीति में आए थे. उन्हें भी दुष्यंत और बृजेंद्र की तरह सियासत विरासत में मिली है. उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की राजनीति के पुराने और माहिर नेता हैं.

deepender singh hooda political family
भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा की पिता-पुत्र की जोड़ी

ये भी पढ़िए: बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में गरीबों का तेल निकाल रही सरकार- दीपेंद्र हुड्डा

भूपेंद्र हुड्डा मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं. अक्टूबर 2009 में कांग्रेस के दोबारा जीतने पर उन्होनें दूसरी पारी की शुरुआत की जो कि हरियाणा के इतिहास में 1972 के बाद पहली बार था. 2014 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद 19 अक्टूबर 2014 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसके अलावा ये भी बता दें कि दीपेंद्र हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा का भी राजनीति से नाता रहा है. वो एक स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के सदस्य और पंजाब में मंत्री थे, इसलिए ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि दीपेंद्र हुड्डा को सियासी विरासत अपने पिता और दादा से विरासत में मिली है.

चंडीगढ़: हर साल जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे (Father's Day 2021) मनाया जाता है. इस बार ये खास दिन 20 जून को पड़ रहा है. पिता के प्रेम, त्याग और करुणा का आभार व्यक्त करने के लिए फादर्स डे मनाया जाता है. वैसे तो इस दिन को लोग अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आपको हरियाणा के उन तीन लाडलों के बारे में बताने जा रहा है, जिन्होंने पिता की 'सियासी विरासत' को बखूबी संभाला है.

सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (dushyant chautala) की. जो हरियाणा के कद्दावर सियासी परिवार के वारिस हैं और उन्हें सियासत विरासत में मिली है. दुष्यंत चौटाला पूर्व सांसद अजय चौटाला के बेटे और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के पोते हैं. उनके परदादा और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ताऊ के नाम से चर्चित थे.

dushyant chautala political family
पिता अजय चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला

चुनाव से पहले दुष्यंत की पार्टी जेजेपी को विपक्षियों ने हल्के में लिया था, लेकिन चंद महीनों में ही दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में ऐसी पकड़ बनाई कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद दुष्यंत हरियाणा की राजनीति के किंगमेकर साबित हुए.

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बता दें कि दुष्यंत चौटाला जेजेपी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं. वो 16वीं लोकसभा में हिसार निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई पर जीत हासिल की थी. ऐसा करके उन्होंने सबसे युवा सांसद का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था और उनका नाम 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ था.

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हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह राजनीति में आने से पहले एक आईएएस अफसर थे और जिनका सियासी सफर बुलंद करने के लिए बृजेंद्र के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. यही नहीं एक इंटरव्यू के दौरान बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा था कि उन्हें अपने दादा और पिता की विरासत संभालनी है, इसीलिए उन्होंने राजनीति ज्वॉइन की है.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी हरियाणा की राजनीति पुराना नाम हैं. दीपेंद्र अक्टूबर 2005 में रोहतक उपचुनाव जीतने के बाद पहली बार राजनीति में आए थे. उन्हें भी दुष्यंत और बृजेंद्र की तरह सियासत विरासत में मिली है. उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की राजनीति के पुराने और माहिर नेता हैं.

deepender singh hooda political family
भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा की पिता-पुत्र की जोड़ी

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भूपेंद्र हुड्डा मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं. अक्टूबर 2009 में कांग्रेस के दोबारा जीतने पर उन्होनें दूसरी पारी की शुरुआत की जो कि हरियाणा के इतिहास में 1972 के बाद पहली बार था. 2014 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद 19 अक्टूबर 2014 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसके अलावा ये भी बता दें कि दीपेंद्र हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा का भी राजनीति से नाता रहा है. वो एक स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के सदस्य और पंजाब में मंत्री थे, इसलिए ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि दीपेंद्र हुड्डा को सियासी विरासत अपने पिता और दादा से विरासत में मिली है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 10:27 AM IST
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