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12 साल से बेटे की मर्डर मिस्ट्री अपने बूते सुलझाने में जुटा बुजुर्ग पिता, पुलिस ने बंद की फाइल

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Published : Sep 3, 2021, 1:06 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 2:50 PM IST

चंडीगढ़ में मर्डर मिस्ट्री का एक ऐसा केस है. जो 12 साल से सुलझ नहीं पा रहा. मृतक के पिता को यकीन नहीं कि ये आत्महत्या है. वहीं पुलिस ने अपनी तरफ से इस केस की फाइल बंद कर दी.

Father solving son murder mystery
Father solving son murder mystery

चंडीगढ़: 3 मई 2009 यही वो तारीख थी जब सेक्टर-51 ईएसआई सोसायटी (Sector-51 ESI Society) के मकान में करण गोयल नाम के शख्स का शव (Karan goel death case) मिला. जब पुलिस जांच के लिए आई तो कमरा बाहर से लॉक था. जब दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर गई तो करण के गले में फंदा लगा मिला. हालांकि उसके पैर जमीन पर टिके थे और कमर के नीचे का हिस्सा मेज पर टिका था. करण के पास से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला था.

इसके बादवजूद चंडीगढ़ पुलिस (Chandigarh Police Karan Goel Death Case) ने इसे आत्महत्या करार दे दिया. करण गोयल के पिता पुलिस का कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे. करण के पिता चंद्रमोहन गोयल ने इसे आत्महत्या मानने से इंकार किया. करण के पिता चंद्रमोहन ने कहा कि इस पूरे मामले में चंडीगढ़ पुलिस (Chandigarh Police Karan Goel Death Case) की कार्रवाई संतोषजनक नहीं रही. इस पूरे मामले में पुलिस ने बस लीपापोती की है. पुलिस ने इस मामले को सिर्फ आत्महत्या का मामला मान कर डीडीआर काट दी और मामला बंद कर दिया.

चंद्रमोहन के मुताबिक इस केस में उन्होंने पुलिस अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. यहां तक कि जिस फ्लैट में ये कांड हुआ, उसका पोजेशन रितिका नामक एक लड़की को बिना उनकी सहमति के दे दिया गया. जब चंद्रमोहन ने इसका विरोध किया तो पुलिस विभाग ने फोटोग्राफर को बुला कर फ्लैट में पड़े हुए सामान की तस्वीरें जरूर खींचवाई.

चंद्रमोहन के मुताबिक करण गोयल की हत्या के पीछे उसकी महिला मित्र और दोस्त नवदीप धीर का हाथ है. उनके शक जताने के बावजूद इन लोगों से पुलिस ने कोई पूछताछ करने की जहमत तक नहीं उठाई. चंद्रमोहन गोयल ने जून 2015 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की. पुलिस कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त करते हुए चंद्रमोहन ने याचिका डाली थी. जिस पर अदालत ने तत्कालीन डीजीपी को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक एसआईटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए थे, जिस पर तब के डीएसपी ने सेक्टर-34 के एसएचओ और क्राइम ब्रांच के एसएचओ की एक एसआईटी बना दी.

ये भी पढ़ें- रोहतक मर्डर केसः गे है हत्यारोपी बेटा, लड़के से शादी करना चाहता था! ये है खौफनाक कदम के पीछे की कहानी

एसएचओ ने चंद्रमोहन के बयान भी ले लिए, लेकिन जांच पड़ताल में क्या सामने आया. इस बारे में आज तक कुछ भी पता नहीं चला. चंद्रमोहन के मुताबिक उन्हें एक अधिकारी से दूसरे के पास भेजा जाता रहा. इस बीच अधिकारियों का तबादला होता रहा. वो धक्के खाते रहे. बस यही पता चला कि पुलिस विभाग फोरेंसिक की रिपोर्ट हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है. पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई से आहत होकर चंद्रमोहन खुद ही इस केस की जांच में जुट गए. उन्होंने अपने बूते पर ही फोरेंसिक रिपोर्ट हासिल कर ली. अब देखना होगा मामला में चंडीगढ़ पुलिस क्या कार्रवाई करती है.

चंडीगढ़: 3 मई 2009 यही वो तारीख थी जब सेक्टर-51 ईएसआई सोसायटी (Sector-51 ESI Society) के मकान में करण गोयल नाम के शख्स का शव (Karan goel death case) मिला. जब पुलिस जांच के लिए आई तो कमरा बाहर से लॉक था. जब दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर गई तो करण के गले में फंदा लगा मिला. हालांकि उसके पैर जमीन पर टिके थे और कमर के नीचे का हिस्सा मेज पर टिका था. करण के पास से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला था.

इसके बादवजूद चंडीगढ़ पुलिस (Chandigarh Police Karan Goel Death Case) ने इसे आत्महत्या करार दे दिया. करण गोयल के पिता पुलिस का कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे. करण के पिता चंद्रमोहन गोयल ने इसे आत्महत्या मानने से इंकार किया. करण के पिता चंद्रमोहन ने कहा कि इस पूरे मामले में चंडीगढ़ पुलिस (Chandigarh Police Karan Goel Death Case) की कार्रवाई संतोषजनक नहीं रही. इस पूरे मामले में पुलिस ने बस लीपापोती की है. पुलिस ने इस मामले को सिर्फ आत्महत्या का मामला मान कर डीडीआर काट दी और मामला बंद कर दिया.

चंद्रमोहन के मुताबिक इस केस में उन्होंने पुलिस अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. यहां तक कि जिस फ्लैट में ये कांड हुआ, उसका पोजेशन रितिका नामक एक लड़की को बिना उनकी सहमति के दे दिया गया. जब चंद्रमोहन ने इसका विरोध किया तो पुलिस विभाग ने फोटोग्राफर को बुला कर फ्लैट में पड़े हुए सामान की तस्वीरें जरूर खींचवाई.

चंद्रमोहन के मुताबिक करण गोयल की हत्या के पीछे उसकी महिला मित्र और दोस्त नवदीप धीर का हाथ है. उनके शक जताने के बावजूद इन लोगों से पुलिस ने कोई पूछताछ करने की जहमत तक नहीं उठाई. चंद्रमोहन गोयल ने जून 2015 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की. पुलिस कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त करते हुए चंद्रमोहन ने याचिका डाली थी. जिस पर अदालत ने तत्कालीन डीजीपी को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक एसआईटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए थे, जिस पर तब के डीएसपी ने सेक्टर-34 के एसएचओ और क्राइम ब्रांच के एसएचओ की एक एसआईटी बना दी.

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एसएचओ ने चंद्रमोहन के बयान भी ले लिए, लेकिन जांच पड़ताल में क्या सामने आया. इस बारे में आज तक कुछ भी पता नहीं चला. चंद्रमोहन के मुताबिक उन्हें एक अधिकारी से दूसरे के पास भेजा जाता रहा. इस बीच अधिकारियों का तबादला होता रहा. वो धक्के खाते रहे. बस यही पता चला कि पुलिस विभाग फोरेंसिक की रिपोर्ट हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है. पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई से आहत होकर चंद्रमोहन खुद ही इस केस की जांच में जुट गए. उन्होंने अपने बूते पर ही फोरेंसिक रिपोर्ट हासिल कर ली. अब देखना होगा मामला में चंडीगढ़ पुलिस क्या कार्रवाई करती है.

Last Updated : Sep 3, 2021, 2:50 PM IST
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