चंडीगढ़: पंजाब के संगरूर में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरकर हुए मासूम फतेहवीर सिंह की मौत का केस हाई कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच सोमवार को सुनवाई करेगी. याचिका कर्ता ने आरोप लगाया है कि यह मामला पूर्ण तौर पर लापरवाही का है. अगर स्थानीय प्रशासन नियमों के अनुसार काम करता था न तो बच्चा बोरवेल में गिरता और न बच्चे की जान जाती.
याचिकाकर्ता का ये भी आरोप लगाया कि बच्चों को बचाने के लिए भी सही ढंग से काम नहीं किया गया. इस मामले की सही जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए और परिवार को उचित मुआवजा भी दिया जाए. याचिका में बताया गया कि बोरवेल बारे सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश जारी किए थे. जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में बोरवेल/ट्यूबवेल के खुदाई के कार्य की निगरानी सम्बन्धित सरपंच और कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा की जाएगी. वहीं शहरी क्षेत्र में यह कार्य भू-जल विभाग तथा जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता व अभियंता तथा नगर परिषद की तरफ से किया जाएगा.
बोरवेल और ट्यूबवेल लगाने वाले मालिक को अपने क्षेत्र में लगाए बोरवेल एवं ट्यूबवैल के पास सूचना पट्टी भी लगवाना जरूरी है. इस सूचना पट्टी पर बोरवेल की खुदाई करने वाली एजेंसी, उसका पूरा पता, बोरवेल/ट्यूबवेल के उपयोग कर्त्ता और इसके मालिक का नाम और पता भी लिखवाना अनिवार्य है. इसके अतिरिक्त कुएं की खुदाई करने वाली एजेंसी का जिला प्रशासन के पास पंजीकृत होना भी अनिवार्य है.