चंडीगढ़: हरियाणा सरकार खुद को किसान हितैषी बताने के लिए कई अभियान चला रही है. वहीं दूसरी तरफ किसान संगठन लगातार अध्यादेश के विरोध में उतर रहे हैं. बुधवार को भारतीय किसान यूनियन ने बैठक कर सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाए जाने को लेकर चर्चा की गई.
सरकार को 10 सितंबर तक अल्टिमेटम
भारतीय किसान यूनियन ने तय किया है कि 15 अगस्त को हरियाणा के सभी जिला मुख्यालयों पर अध्यदेशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और तीनों अध्यदेशों की प्रतियां जलाई जाएंगी. इसी के साथ किसान यूनियन ने 10 सितंबर तक का सरकार को अल्टीमेटम दिया है. 10 सितंबर को बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है.
ईटीवी भारत से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से लाए जा रहे अध्यादेश एमएसपी और मंडियों को तोड़ने वाले हैं. उन्होंने इसे किसान विरोधी करार देते हुए किसी भी हाल में लागू नहीं होने देने की चेतावनी भी दी. हालांकि गुरनाम सिंह चढूनी यह भी कहते नजर आए कि अध्यदेशों के साथ अगर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य का एक और कानून बनाती है तो वह विरोध बंद कर देंगे.
'खुले मंच पर सरकार से बात करने के लिए तैयार हूं'
हरियाणा सरकार जहां अन्य देशों के लागू होने के बाद किसानों के सीधे व्यापार करने के रास्ते खुलने की बात कर रही है. वहीं इसमें किसान संगठन क्यों खिलाफत कर रहे हैं. इस सवाल पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि वो किसी भी खुले मंच पर सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. मंडियों से बाहर खरीद पर टैक्स में छूट है जबकि मंडियों में खरीद पर टैक्स है. ऐसे में व्यापारी मंडी में क्यों खरीदने आएंगे, उन्होंने कहा इन अध्यक्षों के आने से एमएसपी टूटेगी और मंडिया भी टूटेगी.
'इस कानून का फायदा पूंजीपतियों को मिल रहा है'
गुरनाम सिंह ने कहा कि इसका फायदा पूंजीपतियों के हक में जाएगा, क्योंकि पहले एग्रीमेंट होने के बाद में अगर दाम कम होते हैं, तो कंपनियां किसान की फसल में कमियां निकालकर एग्रिमेंट तोड़ सकती है, जबकि एग्रीमेंट तोड़ने के बाद किसान कोर्ट भी नहीं जा सकता. वहीं दूसरी तरफ अगर किसी कंपनी से पहले एग्रीमेंट होने पर बाद में दाम बढ़ जाते हैं तो किसान एग्रीमेंट नहीं तोड़ सकता. गुरनाम सिंह ने कहा कि सरकार बड़े व्यापारियों और पूंजीपतियों को लाभ देना चाहती है जबकि देश में स्टॉक सीमा को खत्म करना चाहती है.
गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन ने सीधे तौर पर 15 अगस्त को जिला मुख्यालय पर अध्यादेशोx के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया है. वहीं 10 सितंबर को भी पड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी है. ऐसे में हरियाणा सरकार अध्यदेशों की खूबियां गिना रही है. वहीं विपक्षी दलों और किसान संगठन अध्यक्ष देशों के खिलाफ आ गए हैं जो आने वाले समय में सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी अध्यदेश लाए जाने की मांग की जा रही है.
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