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#LOCKDOWN से कैसे उभरेंगे हरियाणा के किसान और उद्योग? जानें अर्थशास्त्री की राय

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Published : Apr 5, 2020, 6:17 PM IST

Updated : Apr 6, 2020, 11:14 AM IST

देश इस वक्त कोरोना की महामारी से जूझ रहा है. आने वाले दिनों में हरियाणा की अर्थव्यवस्था कैसी रहेगी, राजकोषीय घाटा हो या फिर रोजगार या किसान और उद्योग, इन सभी क्षेत्रों के लिए हालात आने वाले समय में कैसे होंगे. इन्हीं सभी मुद्दों पर हमने विशेष बातचीत की अर्थव्यवस्था के जानकार बिमल अंजुम से. विस्तार से पढ़ें.

expert review about recovery of farmers industries and unemployment crises in haryana
#LOCKDOWN से कैसे उभरेंगे हरियाणा के किसान और उद्योग?

चंडीगढ़: पूरे देश के बाजार कोरोना वायरस की वजह से ठप पड़ चुके हैं. ना कमाई हो रही है, ना मेन्यूफेक्चरिंग. उद्योग धंधों के साथ-साथ तमाम इनकम सोर्सेस पर लॉक डाउन का असर पड़ चुका है. हरियाणा का स्पाइनल कोर्ड बन चुका सर्विस सेक्टर भी कमजोर पड़ चुका है. इस 21 दिन के लॉकडाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर पर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ में अर्थशास्त्री बिमल अंजुम से कुछ अहम सवालों के आसान भाषा में जवाब दिए.

ये रिपोर्ट देखिए-

कैसे उभरेंगे हरियाणा के किसान और उद्योग? जानें एक्सपर्ट की राय

1. सवाल- आने वाले समय में मौजूदा हालात का क्या पड़ेगा प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर?

जवाब- अर्थव्यवस्था के जानकार बिमल अंजुम से जब हमने यह सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है. हालांकि पिछले कुछ सालों से हरियाणा कृषि से हटकर अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ा है. उनके मुताबिक प्रदेश की जीडीपी में सर्विस सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान है. जो करीब 51 फ़ीसदी है. जिसकी वजह से हरियाणा देश का अग्रणी राज्य बना हुआ है. जबकि कृषि का हिस्सा 16 फ़ीसदी है.

कृषि के हिसाब से देखें तो यह समय भारी मुश्किलों वाला है. वर्तमान हालात में हरियाणा को भारी नुकसान होगा. राज्य के हिसाब से 1 महीने में प्रदेश को 6 से 7000 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. जबकि जीडीपी के हिसाब से हरियाणा को 70 से 80000 करोड़ का नुकसान होगा. रोजगार के हिसाब से उनका मानना है कि अगर सामान्य तौर पर देखें तो आठ लाख के करीब रोजगारी का आंकड़ा बताया जाता है, कि प्रदेश में 25 फ़ीसदी वर्कफोर्स बेरोजगार है. जबकि प्रदेश का रोजगार पूरी तरह से ही कृषि पर निर्भर है, लेकिन इसके भी दो हिस्से हैं जो एक कृषि पर आधारित है और दूसरा पोट्री फॉर्म पर निर्भर है.

आज के हालात में पॉलीफॉर्म का व्यापार शत-प्रतिशत नुकसान झेल रहा है. उनका मानना है कि कृषि क्षेत्र के लोगों को केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद नुकसान उठाना पड़ेगा. और आनेवाले वाले 5 से 6 महीने किसान के लिए अच्छे नहीं होंगे.

2. सवाल- कर्मचारी वर्ग और रोजगार पर इन हालातों का क्या होगा असर?

जवाब- बिमल अंजुम का मानना है कि जो हालात अभी बने हुए हैं वह किसी के लिए भी सामान्य नहीं है. इन हालातों का सीधा असर आने वाले दिनों में रोजगार पर भी पड़ेगा, क्योंकि जिस तरह की सरकार ने अभी घोषणाएं की हैं, वह आगे चलकर उद्योग जगत हो या अन्य क्षेत्र उनको उसकी भरपाई करने में वक्त लगेगा. जिसकी वजह से सरकारी क्षेत्र हो या निजी संस्थान उनको रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए समय लगेगा. क्योंकि उद्योग को भी अपनी हालात बेहतर बनाने के लिए समय चाहिए होगा जिसका सीधा असर यह होगा कि किसी को भी रोजगार उपलब्ध करवाने में दिक्कतें आएंगी. यानी कह सकते हैं कि रोजगार के अवसर आने वाले दिनों में कम ही होंगे.

3. सवाल- उद्योग जगत पर क्या होगा आने वाले समय में वर्तमान हालातों का असर?

जवाब- बिमल अंजुम की माने तो कम से कम 1 साल उद्योग जगत का ग्रोथ साइकल आज के हालात की वजह से गिरेगा. उनके मुताबिक हरियाणा परकैपिटा इनकम में पांचवें स्थान पर है. जबकि देश की ग्रोथ में प्रदेश का हिस्सा 4% है. साथ ही हरियाणा के ज्यादातर लोग एनसीआर क्षेत्र में आते हैं. इस लक्ष्मण रेखा से निकलने में वक्त लगेगा. जहां तक उद्योगों के हालात का सवाल है उनको सुधारने में करीब 1 साल का समय लग सकता है.

चंडीगढ़: पूरे देश के बाजार कोरोना वायरस की वजह से ठप पड़ चुके हैं. ना कमाई हो रही है, ना मेन्यूफेक्चरिंग. उद्योग धंधों के साथ-साथ तमाम इनकम सोर्सेस पर लॉक डाउन का असर पड़ चुका है. हरियाणा का स्पाइनल कोर्ड बन चुका सर्विस सेक्टर भी कमजोर पड़ चुका है. इस 21 दिन के लॉकडाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर पर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ में अर्थशास्त्री बिमल अंजुम से कुछ अहम सवालों के आसान भाषा में जवाब दिए.

ये रिपोर्ट देखिए-

कैसे उभरेंगे हरियाणा के किसान और उद्योग? जानें एक्सपर्ट की राय

1. सवाल- आने वाले समय में मौजूदा हालात का क्या पड़ेगा प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर?

जवाब- अर्थव्यवस्था के जानकार बिमल अंजुम से जब हमने यह सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है. हालांकि पिछले कुछ सालों से हरियाणा कृषि से हटकर अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ा है. उनके मुताबिक प्रदेश की जीडीपी में सर्विस सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान है. जो करीब 51 फ़ीसदी है. जिसकी वजह से हरियाणा देश का अग्रणी राज्य बना हुआ है. जबकि कृषि का हिस्सा 16 फ़ीसदी है.

कृषि के हिसाब से देखें तो यह समय भारी मुश्किलों वाला है. वर्तमान हालात में हरियाणा को भारी नुकसान होगा. राज्य के हिसाब से 1 महीने में प्रदेश को 6 से 7000 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. जबकि जीडीपी के हिसाब से हरियाणा को 70 से 80000 करोड़ का नुकसान होगा. रोजगार के हिसाब से उनका मानना है कि अगर सामान्य तौर पर देखें तो आठ लाख के करीब रोजगारी का आंकड़ा बताया जाता है, कि प्रदेश में 25 फ़ीसदी वर्कफोर्स बेरोजगार है. जबकि प्रदेश का रोजगार पूरी तरह से ही कृषि पर निर्भर है, लेकिन इसके भी दो हिस्से हैं जो एक कृषि पर आधारित है और दूसरा पोट्री फॉर्म पर निर्भर है.

आज के हालात में पॉलीफॉर्म का व्यापार शत-प्रतिशत नुकसान झेल रहा है. उनका मानना है कि कृषि क्षेत्र के लोगों को केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद नुकसान उठाना पड़ेगा. और आनेवाले वाले 5 से 6 महीने किसान के लिए अच्छे नहीं होंगे.

2. सवाल- कर्मचारी वर्ग और रोजगार पर इन हालातों का क्या होगा असर?

जवाब- बिमल अंजुम का मानना है कि जो हालात अभी बने हुए हैं वह किसी के लिए भी सामान्य नहीं है. इन हालातों का सीधा असर आने वाले दिनों में रोजगार पर भी पड़ेगा, क्योंकि जिस तरह की सरकार ने अभी घोषणाएं की हैं, वह आगे चलकर उद्योग जगत हो या अन्य क्षेत्र उनको उसकी भरपाई करने में वक्त लगेगा. जिसकी वजह से सरकारी क्षेत्र हो या निजी संस्थान उनको रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए समय लगेगा. क्योंकि उद्योग को भी अपनी हालात बेहतर बनाने के लिए समय चाहिए होगा जिसका सीधा असर यह होगा कि किसी को भी रोजगार उपलब्ध करवाने में दिक्कतें आएंगी. यानी कह सकते हैं कि रोजगार के अवसर आने वाले दिनों में कम ही होंगे.

3. सवाल- उद्योग जगत पर क्या होगा आने वाले समय में वर्तमान हालातों का असर?

जवाब- बिमल अंजुम की माने तो कम से कम 1 साल उद्योग जगत का ग्रोथ साइकल आज के हालात की वजह से गिरेगा. उनके मुताबिक हरियाणा परकैपिटा इनकम में पांचवें स्थान पर है. जबकि देश की ग्रोथ में प्रदेश का हिस्सा 4% है. साथ ही हरियाणा के ज्यादातर लोग एनसीआर क्षेत्र में आते हैं. इस लक्ष्मण रेखा से निकलने में वक्त लगेगा. जहां तक उद्योगों के हालात का सवाल है उनको सुधारने में करीब 1 साल का समय लग सकता है.

Last Updated : Apr 6, 2020, 11:14 AM IST
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