चंडीगढ़: लॉकडाउन ने इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी परेशानी में डाल दिया है. इंसान तो मदद के लिए शासन-प्रशासन से मदद मांग सकता है, लेकिन बेजुबान जानवर ना किसी से कुछ कह सकते हैं और ना ही किसी से मदद मांग सकते हैं. लॉकडाउन की वजह से जानवर अपना पेट भरने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. वहीं कई पशु समय पर इलाज और चारा न मिलने की वजह से मर भी रहे हैं. इन कठिन दिनों में चंडीगढ़ में जानवरों का क्या हाल है? ये जानने की कोशिश ईटीवी भारत की टीम ने की.
ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ के बाहरी सेक्टर में पहुंची तो वहां कुत्तों का झुंड मिला, जिन्हें कबाड़ का काम करने वाला सूरज नाम का शख्स खाना खिला रहा था. सूरज ने बताया कि वो रोज 15 कुत्तों को खाना खिलाता है. लॉकडाउन की वजह से काम हो रहा है. ऐसे में वो भी बड़ी मुश्किल से कुत्तों का पेट भर पा रहा है.
वहीं शादियों में घोड़ी देने का काम करने वाले राजेश नाम के पशु पालक ने बताया कि लॉकडाउन से उसके धंधे को चौपट कर दिया है. शादियां नहीं हो रही है. ऐसे में उसकी घोड़ियां भूखी मर रही है. राजेश ने बताया कि वो कई सालों से ये काम कर रहा है, इस से पहले ऐसी स्थिति कभी नही देखी थी.
राजेश ने बताया लॉकडाउन की वजह से चारे और चने की गाड़ियां घर तक नहीं आ रही है. ऐसे में घोड़ियों को हरी घास पर ही गुजारा करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि सही खुराक नहीं मिलने की वजह से उसकी दो घोड़ियों की मौत भी हो चुकी है. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि लॉकडाउन की वजह से भूख की वजह से बीमार पड़े जानवरों को देखने के लिए भी डॉक्टर घर नहीं आ रहे हैं.
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लॉकडाउन सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि जानवरों पर भी कहर बरपा रहा है. कई जानवर भूखे मर रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक हरियाणा में करीब डेढ़ लाख आवारा पशु हैं. कुछ लोग जानवरों को खाना खिलाने आगे तो आ रहे हैं, लेकिन आवारा पशुओं की ज्यादा तादाद होने की वजह से ये मदद नाकाफी साबित हो रही, इसलिए ये जरूरी है कि सरकार इंसानों के साथ इन आवारा जानवरों पर भी ध्यान दे.