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हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगार, अर्थशास्त्री बोले- 2 महीनों में और बिगड़ सकते हैं हालात

औद्योगिक हब कहा जाने वाला हरियाणा पूरे देश में इस वक्त सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा है. हाल ही में पेश हुई सीएमआईई की रिपोर्ट ने ये बात साबित की है. वहीं विशेषज्ञों का भी कहना है कि हरियाणा में ये स्थिति आने वाले कुछ महीनों तक रह सकती है.

economist bimal anjum review on cmie report of unemployment in haryana
देश में हरियाणवी सबसे ज्यादा बेरोजगार
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Published : Jul 9, 2020, 10:53 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 4:03 PM IST

चंडीगढ़: सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा बेरोज़गारी के मामले में पूरे देश में टॉप पर है. हरियाणा के 33.6 प्रतिशत लोग आज बेरोज़गारी का सामना कर रहे हैं. ये देश के बेरोजगारी औसत 11 प्रतिशत का 3 गुना है. चिंता बढ़ाने वाली बात है कि हरियाणा बेरोजगारी दर में यूपी-बिहार जैसे राज्यों से भी आगे निकल गया है.

सीएमआईई की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के बाद 21.3 फीसदी बेरोजगारी के साथ त्रिपुरा दूसरे स्थान पर है जबकि उसका पड़ोसी असम अच्छी नीतियों के साथ बेरोजगारी दर में सबसे नीचे है. वहीं अचंभे की बात यह भी है कि बेरोजगारी में हरियाणा बिहार से फिसड्डी निकला है.

सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट पर सुनिए अर्थशास्त्री बिमल अंजुम की प्रतिक्रिया.

विशेषज्ञों का तर्क

हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी दर को लेकर अर्थशास्त्री डॉ. बिमल अंजुम ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के पीछे दो कारण रहे एग्रीकल्चर बेस्ड लेबर की जरूरत थी वह हाल के दिनों में नहीं है. जो लेबर की रिक्वायरमेंट है उसकी डिमांड को पूरा करने के लिए हरियाणा के लोग सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए हम बिहार और यूपी पर डिपेंड करते हैं. उन्होंने कहा कि क्योंकि यहां से माइग्रेंट लेबर चला गया है उससे दिक्कतें बढ़ी हैं. दूसरा इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट अभी डाउन है. जब तक इंडस्ट्री पूरी तरह से खुली नहीं है.

उन्होंने कहा कि जब तक इंडस्ट्री ग्रो नही करेगी रोजगार के पैरामीटर जो हैं उसमें हरियाणा नीचे आएगा. एनसीआर जो कि पूरा इंडस्ट्रियल हब है, वो पूरी तरह से नहीं खुल पाया है. 100% स्टाफ को बुलाया नहीं जा सका है. जब तक रोजगार पूरी तरह से नहीं खुल पाएगा बेरोजगारी दर बढ़ने वाली है, उन्होंने कहा कि आने वाले 2 महीनों में अगर यह 50% से ऊपर चला जाए तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है.

मौजूदा कोरोना काल में इंडस्ट्री पहले ही नुकसान में चली गई है और उसे कोरोना काल से पहले वाली स्थिति में भी दोबारा लौटने के लिए कम से कम 6 महीने से 1 साल लगेगा. हालांकि ऐसा तभी संभव है जबकि प्रदेश में कोरोना की स्थिति को कंट्रोल किया जाए. लेकिन मौजूदा स्थिति में बची हुई नौकरियों को ही बचा पाना मुश्किल हो रहा है.

मनरेगा से घटेगी बेरोजगारी दर?

मनरेगा स्कीम को लेकर उन्होंने कहा कि मनरेगा स्कीम घटिया स्कीम है. अगर इसका इमानदारी से ऑडिट करवाया जाए तो पता लगेगा कि एक काम को करवाने के लिए बीडीओ और डीसी दोनों की तरफ से भी पैसा जारी कर दिया जाता है. मनरेगा में शुरू से ही गड़बड़ी देखी गई. ऐसे में बेरोजगारी दूर होना मुश्किल है, जो बजट रखा गया है वह 2 से 3 महीने से ज्यादा चलने वाला नहीं है. ज्यादा से ज्यादा नवंबर तक इसे खींचा जा सकता है.

75% आरक्षण के फैसले से कितनी घटेगी बेरोजगारी दर?

बता दें कि हाल के दिनों में भाजपा-जजपा सरकार ने प्रदेश के प्राइवेट संस्थानों में 75 फीसदी हरियाणा वासियों को नौकरियां दिए जाने के फैसले को कैबिनेट में मंजूरी दी थी, जिसके बाद राजनैतिक तौर पर इस मामले पर खूब बयान-बाजी हुई है, लेकिन वहीं विशेषज्ञों के अनुसार यदि सरकार सही मंशा से इस फैसले को लागू करती है और इस बाबत कानून लाया जाता है तो भी प्रदेश में बेरोजगारी दर को सही करने क लिए कम से कम अगले 5 साल लगेंगे.

डॉ. बिमल अंजुम ने कहा कि बेरोजगारी दर कम करने के लिए स्किल्ड फुल होना जरूरी है. हरियाणा का युवा एजुकेटेड है मगर स्किलडफुल नहीं है, हरियाणा में 20 से 25% युवा स्किल स्किलडफुल मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को मनरेगा की स्कीम में पैसा बांटने की जगह ऐसे लोगों को स्किल में बेहतर बनाने की जरूरत है. जो आने वाले समय में ट्रेनिंग के माध्यम से अलग-अलग जगह काम कर सकें. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत तालाब खोदे जाने जैसे काम किए जा रहे हैं. इन कामों को रोजगार नहीं कहा जा सकता. सरकार को एमएसएमई को प्रमोट करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 75% हरियाणा के युवाओं को रोजगार देने की जो शर्त लगाई गई है वह गैर जरूरी है.

विपक्ष का वार

विपक्ष की तरफ से, खासकर कांग्रेस की तरफ से लगातार गठबंधन सरकार को प्रदेश में बढ़ते बेरोजगारी दर को लेकर घेरा जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि हरियाणा सरकार एक तरफ प्राइवेट सेक्टर की नई नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का ढोंग पीट रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां हैं ही नहीं. सैलजा ने कहा कि प्रदेश में उद्योग-धंधे चौपट हैं, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है.

बुधवार को कैथल में रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से सवाल किया कि प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर में नई नौकरियां है ही नहीं तो नहीं युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा. आज हालात यह बन चुके हैं कि वर्षों से कार्यरत कर्मियों की ही नौकरियां जा रही हैं. सीएमआईई के ताजा आंकड़े इस बात के गवाह हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में 50 हजार रुपये प्रति माह वेतन से ऊपर वाली नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं दिया जाएगा.

economist bimal anjum review on cmie report of unemployment in haryana
ग्राफिक्स- सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक

सीएमआईई की रिपोर्ट पर हरियाणा सरकार का बयान

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी दर बढ़ने का सर्वे उन्होंने सुना हमारे पास रजिस्टर एंपलॉयर्स करीब 27 से 28 लाख हैं. जबकि सरकार की तरफ से जो परमिशन दी गई है. वह 35 लाख के आसपास है. इसका मतलब ऐसे बहुत से कर्मचारी हैं जो रजिस्टर ही नहीं हुए थे. दुष्यंत ने कहा कि जो हमारा रोजगार रोजगार पोर्टल के माध्यम से हरियाणा के युवा अगर जॉब करने के काबिल हैं, तो इंडस्ट्री में डाइवर्ट किया जाएगा.

ये भी पढ़िए: नौकरियों में 75% आरक्षण: भूपेंद्र हुड्डा बोले- हमने 2011 में ही पारित कर दिया था फैसला

चंडीगढ़: सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा बेरोज़गारी के मामले में पूरे देश में टॉप पर है. हरियाणा के 33.6 प्रतिशत लोग आज बेरोज़गारी का सामना कर रहे हैं. ये देश के बेरोजगारी औसत 11 प्रतिशत का 3 गुना है. चिंता बढ़ाने वाली बात है कि हरियाणा बेरोजगारी दर में यूपी-बिहार जैसे राज्यों से भी आगे निकल गया है.

सीएमआईई की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के बाद 21.3 फीसदी बेरोजगारी के साथ त्रिपुरा दूसरे स्थान पर है जबकि उसका पड़ोसी असम अच्छी नीतियों के साथ बेरोजगारी दर में सबसे नीचे है. वहीं अचंभे की बात यह भी है कि बेरोजगारी में हरियाणा बिहार से फिसड्डी निकला है.

सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट पर सुनिए अर्थशास्त्री बिमल अंजुम की प्रतिक्रिया.

विशेषज्ञों का तर्क

हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी दर को लेकर अर्थशास्त्री डॉ. बिमल अंजुम ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के पीछे दो कारण रहे एग्रीकल्चर बेस्ड लेबर की जरूरत थी वह हाल के दिनों में नहीं है. जो लेबर की रिक्वायरमेंट है उसकी डिमांड को पूरा करने के लिए हरियाणा के लोग सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए हम बिहार और यूपी पर डिपेंड करते हैं. उन्होंने कहा कि क्योंकि यहां से माइग्रेंट लेबर चला गया है उससे दिक्कतें बढ़ी हैं. दूसरा इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट अभी डाउन है. जब तक इंडस्ट्री पूरी तरह से खुली नहीं है.

उन्होंने कहा कि जब तक इंडस्ट्री ग्रो नही करेगी रोजगार के पैरामीटर जो हैं उसमें हरियाणा नीचे आएगा. एनसीआर जो कि पूरा इंडस्ट्रियल हब है, वो पूरी तरह से नहीं खुल पाया है. 100% स्टाफ को बुलाया नहीं जा सका है. जब तक रोजगार पूरी तरह से नहीं खुल पाएगा बेरोजगारी दर बढ़ने वाली है, उन्होंने कहा कि आने वाले 2 महीनों में अगर यह 50% से ऊपर चला जाए तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है.

मौजूदा कोरोना काल में इंडस्ट्री पहले ही नुकसान में चली गई है और उसे कोरोना काल से पहले वाली स्थिति में भी दोबारा लौटने के लिए कम से कम 6 महीने से 1 साल लगेगा. हालांकि ऐसा तभी संभव है जबकि प्रदेश में कोरोना की स्थिति को कंट्रोल किया जाए. लेकिन मौजूदा स्थिति में बची हुई नौकरियों को ही बचा पाना मुश्किल हो रहा है.

मनरेगा से घटेगी बेरोजगारी दर?

मनरेगा स्कीम को लेकर उन्होंने कहा कि मनरेगा स्कीम घटिया स्कीम है. अगर इसका इमानदारी से ऑडिट करवाया जाए तो पता लगेगा कि एक काम को करवाने के लिए बीडीओ और डीसी दोनों की तरफ से भी पैसा जारी कर दिया जाता है. मनरेगा में शुरू से ही गड़बड़ी देखी गई. ऐसे में बेरोजगारी दूर होना मुश्किल है, जो बजट रखा गया है वह 2 से 3 महीने से ज्यादा चलने वाला नहीं है. ज्यादा से ज्यादा नवंबर तक इसे खींचा जा सकता है.

75% आरक्षण के फैसले से कितनी घटेगी बेरोजगारी दर?

बता दें कि हाल के दिनों में भाजपा-जजपा सरकार ने प्रदेश के प्राइवेट संस्थानों में 75 फीसदी हरियाणा वासियों को नौकरियां दिए जाने के फैसले को कैबिनेट में मंजूरी दी थी, जिसके बाद राजनैतिक तौर पर इस मामले पर खूब बयान-बाजी हुई है, लेकिन वहीं विशेषज्ञों के अनुसार यदि सरकार सही मंशा से इस फैसले को लागू करती है और इस बाबत कानून लाया जाता है तो भी प्रदेश में बेरोजगारी दर को सही करने क लिए कम से कम अगले 5 साल लगेंगे.

डॉ. बिमल अंजुम ने कहा कि बेरोजगारी दर कम करने के लिए स्किल्ड फुल होना जरूरी है. हरियाणा का युवा एजुकेटेड है मगर स्किलडफुल नहीं है, हरियाणा में 20 से 25% युवा स्किल स्किलडफुल मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को मनरेगा की स्कीम में पैसा बांटने की जगह ऐसे लोगों को स्किल में बेहतर बनाने की जरूरत है. जो आने वाले समय में ट्रेनिंग के माध्यम से अलग-अलग जगह काम कर सकें. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत तालाब खोदे जाने जैसे काम किए जा रहे हैं. इन कामों को रोजगार नहीं कहा जा सकता. सरकार को एमएसएमई को प्रमोट करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 75% हरियाणा के युवाओं को रोजगार देने की जो शर्त लगाई गई है वह गैर जरूरी है.

विपक्ष का वार

विपक्ष की तरफ से, खासकर कांग्रेस की तरफ से लगातार गठबंधन सरकार को प्रदेश में बढ़ते बेरोजगारी दर को लेकर घेरा जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि हरियाणा सरकार एक तरफ प्राइवेट सेक्टर की नई नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का ढोंग पीट रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां हैं ही नहीं. सैलजा ने कहा कि प्रदेश में उद्योग-धंधे चौपट हैं, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है.

बुधवार को कैथल में रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से सवाल किया कि प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर में नई नौकरियां है ही नहीं तो नहीं युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा. आज हालात यह बन चुके हैं कि वर्षों से कार्यरत कर्मियों की ही नौकरियां जा रही हैं. सीएमआईई के ताजा आंकड़े इस बात के गवाह हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में 50 हजार रुपये प्रति माह वेतन से ऊपर वाली नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं दिया जाएगा.

economist bimal anjum review on cmie report of unemployment in haryana
ग्राफिक्स- सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक

सीएमआईई की रिपोर्ट पर हरियाणा सरकार का बयान

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी दर बढ़ने का सर्वे उन्होंने सुना हमारे पास रजिस्टर एंपलॉयर्स करीब 27 से 28 लाख हैं. जबकि सरकार की तरफ से जो परमिशन दी गई है. वह 35 लाख के आसपास है. इसका मतलब ऐसे बहुत से कर्मचारी हैं जो रजिस्टर ही नहीं हुए थे. दुष्यंत ने कहा कि जो हमारा रोजगार रोजगार पोर्टल के माध्यम से हरियाणा के युवा अगर जॉब करने के काबिल हैं, तो इंडस्ट्री में डाइवर्ट किया जाएगा.

ये भी पढ़िए: नौकरियों में 75% आरक्षण: भूपेंद्र हुड्डा बोले- हमने 2011 में ही पारित कर दिया था फैसला

Last Updated : Jul 10, 2020, 4:03 PM IST
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