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चंडीगढ़ में प्रशासन की मंजूरी ना मिलने पर लोगों ने अपने स्तर पर किया रावण दहन - रावण दहन चंडीगढ़

प्रशासन की ओर से अनुमति ना मिलने पर चंडीगढ़ में इस बार रावण दहन कार्यक्रम नहीं किए गए, लेकिन स्थानीय लोगों ने अपने स्तर पर रावण बनाकर दहन किया.

due to lack of approval from chandigarh administration people burnt ravan
चंडीगढ़ में प्रशासन की मंजूरी ना मिलने पर लोगों ने अपने स्तर पर किया रावण दहन
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Published : Oct 25, 2020, 7:37 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना महामारी के चलते चंडीगढ़ में दशहरे के मौके पर रावण दहन की अनुमति नहीं दी गई. जिसके चलते कहीं पर भी प्रशासन की ओर से रावण का पुतला दहन नहीं किया गया, लेकिन कुछ जगहों पर स्थानीय लोगों ने खुद बनाकर रावण दहन किया.

चंडीगढ़ में हर साल रामलीला कमेटियों की तरफ से कई जगह रावण दहन के कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से रामलीला कमेटी को अनुमति ना मिलने के चलते कहीं पर भी रावण दहन नहीं किया.

चंडीगढ़ में प्रशासन की मंजूरी ना मिलने पर लोगों ने अपने स्तर पर किया रावण दहन

हालांकि चंडीगढ़ में एक दो जगह स्थानीय लोगों की ओर से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए और उनका दहन किया गया. लोगों का कहना है कि इस साल चंडीगढ़ में रावण दहन के इतने बड़े कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए. जितने हर साल किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें:-भिवानी: कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों को पुलिस ने किया गिरफ्तार

लोगों का कह ना है कि दशहरे का त्योहार हमारी संस्कृति का हिस्सा है और ऐसे हर हाल में हमें त्योहार मनाना चाहिए. चाहे छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन जो संस्कृति चली आ रही है. उसका पालन करना जरूरी है. इसलिए हमने छोटे स्तर पर रावण दहन का कार्यक्रम किया है. ताकि हजारों सालों से चली आ रही रीति को बरकरार रखा जा सके.

चंडीगढ़: कोरोना महामारी के चलते चंडीगढ़ में दशहरे के मौके पर रावण दहन की अनुमति नहीं दी गई. जिसके चलते कहीं पर भी प्रशासन की ओर से रावण का पुतला दहन नहीं किया गया, लेकिन कुछ जगहों पर स्थानीय लोगों ने खुद बनाकर रावण दहन किया.

चंडीगढ़ में हर साल रामलीला कमेटियों की तरफ से कई जगह रावण दहन के कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से रामलीला कमेटी को अनुमति ना मिलने के चलते कहीं पर भी रावण दहन नहीं किया.

चंडीगढ़ में प्रशासन की मंजूरी ना मिलने पर लोगों ने अपने स्तर पर किया रावण दहन

हालांकि चंडीगढ़ में एक दो जगह स्थानीय लोगों की ओर से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए और उनका दहन किया गया. लोगों का कहना है कि इस साल चंडीगढ़ में रावण दहन के इतने बड़े कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए. जितने हर साल किए जाते हैं.

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लोगों का कह ना है कि दशहरे का त्योहार हमारी संस्कृति का हिस्सा है और ऐसे हर हाल में हमें त्योहार मनाना चाहिए. चाहे छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन जो संस्कृति चली आ रही है. उसका पालन करना जरूरी है. इसलिए हमने छोटे स्तर पर रावण दहन का कार्यक्रम किया है. ताकि हजारों सालों से चली आ रही रीति को बरकरार रखा जा सके.

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