चंडीगढ़: कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रदेश में कोरोना की स्थिति को लेकर राज्य सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा की मौजूदा स्थिति भयावह है. हरियाणा में कल कोरोना के सर्वाधिक 11,854 मामले सामने आए. बेड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, दवाओं की भारी किल्लत है. कालाबाजारी और मुनाफाखोरी चरम पर है.
गरीबों की हो रही है दुर्गति
दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग की है कि सरकार मुनाफाखोरी, कालाबाजारी पर अंकुश लगाए. उन्होंने कहा कि लोगों को अस्पतालों के चक्कर काट-काट कर बेड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, दवाओं आदि के लिए जूझना पड़ रहा है. पैसे वाले तो तीन-चार गुना अधिक कीमत चुका लेंगे, लेकिन गरीब की दुर्गति की सोचिए, संसाधनों पर हर व्यक्ति का हक बराबर है.
अस्पतालों में नहीं मिल रहे बेड
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश भर से लोग फोन कर के बता रहे हैं कि अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहा, तो कहीं ऑक्सीजन नहीं मिल रही, गंभीर हालत में मरीज को अगर रेमडेसिविर चाहिए तो 30,000-70,000 रुपये तक चुकाना पड़ रहा है. इतना सब करके भी जान बचना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि कोरोना रोकथाम के लिये तुरंत युद्ध स्तर पर ठोस उपाय किये जाएं और इलाज के लिये इंतजामों को बढ़ाया जाए. इलाज के अभाव में एक जान भी नहीं जानी चाहिए.
रेमडेसिविर की है भारी किल्लत
प्रदेश में रेमडेसिविर की भारी किल्लत पर दीपेन्द्र हुड्डा ने असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि रोहतक में कल 350 डोज की जरूरत थी, पर मिली केवल 25 डोज. अन्य जिलों में भी यही स्थिति है. हरियाणा सरकार ने रेमडेसिविर वितरण पर निर्णय लेने लिए हर जिले में डॉक्टरों की कमेटी गठित की है. अब ये कमेटी मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टरों की मांग पर अस्पताल को ये दवा अलॉट करेंगी.
दीपेंद्र ने कोरोना से ठीक हुए लोगों से की अपील
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में हम चाहकर भी इस दवा को दिलाने में सभी की मदद नहीं कर पा रहे, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे अपने वालंटियर्स की टीम के साथ इस प्रक्रिया में लोगों की मदद के लिये उपलब्ध रहेंगे. उन्होंने हरियाणावासियों का आह्वान किया कि जो लोग भी पिछले 3 महीने में कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, वो प्लाज्मा डोनेट करने के लिये आगे आएं. उनका प्लाज्मा किसी की जान बचा सकता है.
सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश भर में हो रही मौतें अंदर तक हिला रही हैं, ये जानें बचायी जा सकती थी. अब ये न्यायसंगत है कि जिम्मेदारी तय हो. देश और प्रदेश सरकारों में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को जवाब देना होगा.
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