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सीमा पर सीनाजोरी के साथ भारत पर साइबर अटैक कर रहा चीन, एक्सपर्ट से जानिए कितनी मजबूत है भारत की साइबर सुरक्षा?

पिछले 4 से 5 दिनों में भारत पर साइबर अटैक की संख्या में 200% की बढोत्तरी हुई है. ज्यादतर साइबर अटैक चीन के चेंग्दू क्षेत्र से हुए हैं. क्या भारत साइबर स्पेस में भी अपने दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है? इस रिपोर्ट में पढ़िए-

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Published : Jun 25, 2020, 8:19 PM IST

cyber crime expert reaction on hacking and cyber attacks from china
कितनी मजबूत है भारत की साइबर सुरक्षा?

चंडीगढ़: गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है. इस बीच अब चीन ने दूसरा पैतरा अजमाते हुए भारतीय साइबर स्पेस पर हमला करना शुरू कर दिया है. देश में पिछले कुछ दिनों में साइबर हमलों की संख्या में 200 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. ज्यादातर साइबर हमलों के पीछे चीन का हाथ माना जा रहा है. पिछले 4 से 5 दिनों में भारत में 40 हजार से ज्यादा साइबर अटैक हुए हैं. ये सभी अटैक चीन और पाकिस्तान की ओर से किए गए हैं.

महाराष्ट्र राज्य की साइबर सेल ने जो जानकारी जुटाई है, उसके मुताबिक ये ज्यादतर साइबर अटैक चीन के चेंग्दू क्षेत्र से हुए हैं. ऐसे में भारत के लिए ये बेहद जरूरी हो जाता है कि वो अपना डाटा ना सिर्फ सुरक्षित रखे बल्कि अपने दुश्मन देश को साइबर स्पेस में भी मुंह तोड़ जवाब दे.

एक्सपर्ट से जानिए कितनी मजबूत है भारत की साइबर सुरक्षा?

ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर साइबर अटैक क्या होता है? अगर कोई देश भारत पर साइबर अटैक करता है तो क्या हम उस हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं? इसके अलावा भारत दूसरे देशों की तुलना में इस क्षेत्र में कितना पीछे है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) के साइबर सिक्योरिटी विभाग की चेयरपर्सन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डॉ. दिव्या बंसल से खास बातचीत की.

सवाल: आखिर साइबर क्राइम क्या होता है?

जवाब: जैसा की 'साइबर क्राइम' शब्द से ही समझ आ रहा है. वो हर एक क्राइम जो इंटरनेट, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या फिर नेटवर्क के इस्तेमाल से किया जाता है उसे साइबर क्राइम कहते हैं. आज शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो साइबर से जुड़ा नहीं होगा. आज हम सब बहुत से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग हमारे लिए सामान्य बात हो चली है. जो लोग इनका इस्तेमाल करते हैं वो सभी लोग साइबर क्राइम की जद में आते हैं, क्योंकि इन लोगों की सारी जानकारी विदेशी कंपनियों के पास पहुंच रही है. विदेशी कंपनियां लोगों का डाटा बेच रही हैं और पैसे कमा रही हैं.

सवाल: साइबर अटैक का देश की सुरक्षा पर कैसे और कितना असर होता है?

जवाब: आज सभी देश साइबर अटैक या साइबर क्राइम के निशाने पर हैं. आम युद्ध लड़ने के लिए हर देश के पास तीन सेनाएं होती हैं. जैसे आर्मी, एयरफोर्स और नेवी, लेकिन इन तीनों सेनाओं पर बहुत ज्यादा खर्च होता है. जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल सकता है, लेकिन साइबर अटैक एक ऐसा युद्ध है. जो किसी भी देश को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. इसे लड़ने के लिए दूसरे युद्ध की तरह पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती. इसके जरिए दूसरे देश की महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारी चुराकर उसे उस देश के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है.

सवाल: साइबर सुरक्षा के मामले में दूसरे देशों के मुकाबले कहां खड़ा है भारत?

जवाब: भारत इस क्षेत्र में दूसरे एडवांस देशों से थोड़ा पीछे है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इंटरनेट सर्वर, मोबाइल, एप्स, सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम सब कुछ दूसरे देशों की ओर से तैयार किए जाते हैं. हम सालों से उन्हीं उपकरणों और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके इस्तेमाल से हमारी सारी जानकारी दूसरे देशों के पास जा रही है और वो इसे आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं.

आज सब लोग गूगल, फेसबुक,व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं. इन सॉफ्टवेयर में हमारी सारी जानकारी होती है. गौर कीजिए ये सभी एप दूसरे देशों के हैं. ऐसे में हम जब इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तो हम ना चाहते हुए भी अपनी सभी जानकारियां शेयर कर देते हैं. अगर साइबर कंपनियां चाहे तो वो हमारा डाटा बेच भी सकती है और हम उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकते, क्योंकि इन कंपनियों की पॉलिसी के अनुसार हम इन्हें खुद ऐसा करने की इजाजत दे देते हैं.

ये भी पढ़िए: मोबाइल बैंकिंग में हो रहे फ्रॉड, सुनिए क्या कहते हैं Paytm के वाइस प्रेसिडेंट

सवाल: एक देश दूसरे देश की जानकारी क्यों जुटाता है? क्यों ये हैकिंग की जाती है?

जवाब: हर एक देश खुद को शक्तिशाली साबित करना चाहता है. इसके अलावा दूसरे देश की गुप्त जानकारी पाने के लिए भी हैकिंग की जाती है. उदाहरण के तौर पर 26 मार्च, 2020 को रूस के एक हैकर ने भारत के इनकम टैक्स विभाग का 800 जीबी डाटा हैक किया था, जिसे हैकर ने बेचने की कोशिश भी की थी. ऐसा करके खुद की ताकत दिखाने की कोशिश की जाती है. ये जताने की कोशिश की जाती है कि हम आपकी गुप्त जानकारियों पर सेंध लगा सकते हैं. इसके अलावा हैकिंग इसलिए भी की जाती है कि देश हमे ये बताने की कोशिश करता है कि हमारे पास आपसे अच्छी टैक्नॉलोजी है. आप हमारे साथ काम कीजिए. इसे आप काम करने के लिए एक ओपन इनविटेशन भी मान सकते हैं.

ये भी पढ़िए: 10वीं पास व्हाट्सएप हैकर्स दो साल से छात्राओं को बना रहे थे शिकार, पुलिस ने किया गिरफ्तार

सवाल:साइबर अटैक से कैसे बचेगा देश ?

जवाब: दूसरे देशों ने 30 साल पहले साइबर की शक्ति को पहचान लिया था और उन्होंने तभी से इसके विकास के लिए काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत इस बात को नहीं पहचान पाया. जिस वजह से हमारा देश आज दूसरे देशों पर ज्यादा निर्भर है. हमारे पास अपना डाटा बचाने के लिए कोई कानून नहीं है. अगर हमे खुद को साइबर अटैक से बचाना है तो सबसे पहले हमे डाटा प्राइवेसी लॉ मजबूत करना होगा, क्योंकि इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर में डाटा प्राइवेसी को लेकर उसी देश का कानून लागू होता है. जिस देश में डाटा को प्रोसेस किया जाता है.

उदाहरण के लिए गूगल एक अमेरिकी कंपनी है, लेकिन अगर उसका डाटा बांग्लादेश में प्रोसेस किया जा रहा है तो डाटा पर बांग्लादेश का कानून ही लागू होगा. हमारे देश में कोई मजबूत डाटा प्राइवेसी लॉ नहीं है, जिस वजह से हम अपने डाटा को दूसरे देश में जाने से नहीं बचा पा रहे हैं.

ये भी पढ़िए: ग्लोबल साइबर हैकिंग के मामलों में हरियाणा पुलिस कैसे करती है जांच? जानें डीसीपी पंचकूला से

इसके अलावा जब तक हमारा देश इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के सेक्टर में आत्मनिर्भर नहीं होगा. तब तक देश साइबर सिक्योरिटी के मामले में भी मजबूत नहीं हो पाएगा. हमें मोबाइल एप्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर आदि का अपने देश में ही निर्माण करना होगा, ताकि दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके और हम अपने डाटा को सुरक्षित रख सकें.

चंडीगढ़: गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है. इस बीच अब चीन ने दूसरा पैतरा अजमाते हुए भारतीय साइबर स्पेस पर हमला करना शुरू कर दिया है. देश में पिछले कुछ दिनों में साइबर हमलों की संख्या में 200 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. ज्यादातर साइबर हमलों के पीछे चीन का हाथ माना जा रहा है. पिछले 4 से 5 दिनों में भारत में 40 हजार से ज्यादा साइबर अटैक हुए हैं. ये सभी अटैक चीन और पाकिस्तान की ओर से किए गए हैं.

महाराष्ट्र राज्य की साइबर सेल ने जो जानकारी जुटाई है, उसके मुताबिक ये ज्यादतर साइबर अटैक चीन के चेंग्दू क्षेत्र से हुए हैं. ऐसे में भारत के लिए ये बेहद जरूरी हो जाता है कि वो अपना डाटा ना सिर्फ सुरक्षित रखे बल्कि अपने दुश्मन देश को साइबर स्पेस में भी मुंह तोड़ जवाब दे.

एक्सपर्ट से जानिए कितनी मजबूत है भारत की साइबर सुरक्षा?

ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर साइबर अटैक क्या होता है? अगर कोई देश भारत पर साइबर अटैक करता है तो क्या हम उस हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं? इसके अलावा भारत दूसरे देशों की तुलना में इस क्षेत्र में कितना पीछे है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) के साइबर सिक्योरिटी विभाग की चेयरपर्सन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डॉ. दिव्या बंसल से खास बातचीत की.

सवाल: आखिर साइबर क्राइम क्या होता है?

जवाब: जैसा की 'साइबर क्राइम' शब्द से ही समझ आ रहा है. वो हर एक क्राइम जो इंटरनेट, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या फिर नेटवर्क के इस्तेमाल से किया जाता है उसे साइबर क्राइम कहते हैं. आज शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो साइबर से जुड़ा नहीं होगा. आज हम सब बहुत से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग हमारे लिए सामान्य बात हो चली है. जो लोग इनका इस्तेमाल करते हैं वो सभी लोग साइबर क्राइम की जद में आते हैं, क्योंकि इन लोगों की सारी जानकारी विदेशी कंपनियों के पास पहुंच रही है. विदेशी कंपनियां लोगों का डाटा बेच रही हैं और पैसे कमा रही हैं.

सवाल: साइबर अटैक का देश की सुरक्षा पर कैसे और कितना असर होता है?

जवाब: आज सभी देश साइबर अटैक या साइबर क्राइम के निशाने पर हैं. आम युद्ध लड़ने के लिए हर देश के पास तीन सेनाएं होती हैं. जैसे आर्मी, एयरफोर्स और नेवी, लेकिन इन तीनों सेनाओं पर बहुत ज्यादा खर्च होता है. जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल सकता है, लेकिन साइबर अटैक एक ऐसा युद्ध है. जो किसी भी देश को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. इसे लड़ने के लिए दूसरे युद्ध की तरह पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती. इसके जरिए दूसरे देश की महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारी चुराकर उसे उस देश के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है.

सवाल: साइबर सुरक्षा के मामले में दूसरे देशों के मुकाबले कहां खड़ा है भारत?

जवाब: भारत इस क्षेत्र में दूसरे एडवांस देशों से थोड़ा पीछे है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इंटरनेट सर्वर, मोबाइल, एप्स, सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम सब कुछ दूसरे देशों की ओर से तैयार किए जाते हैं. हम सालों से उन्हीं उपकरणों और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके इस्तेमाल से हमारी सारी जानकारी दूसरे देशों के पास जा रही है और वो इसे आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं.

आज सब लोग गूगल, फेसबुक,व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं. इन सॉफ्टवेयर में हमारी सारी जानकारी होती है. गौर कीजिए ये सभी एप दूसरे देशों के हैं. ऐसे में हम जब इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तो हम ना चाहते हुए भी अपनी सभी जानकारियां शेयर कर देते हैं. अगर साइबर कंपनियां चाहे तो वो हमारा डाटा बेच भी सकती है और हम उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकते, क्योंकि इन कंपनियों की पॉलिसी के अनुसार हम इन्हें खुद ऐसा करने की इजाजत दे देते हैं.

ये भी पढ़िए: मोबाइल बैंकिंग में हो रहे फ्रॉड, सुनिए क्या कहते हैं Paytm के वाइस प्रेसिडेंट

सवाल: एक देश दूसरे देश की जानकारी क्यों जुटाता है? क्यों ये हैकिंग की जाती है?

जवाब: हर एक देश खुद को शक्तिशाली साबित करना चाहता है. इसके अलावा दूसरे देश की गुप्त जानकारी पाने के लिए भी हैकिंग की जाती है. उदाहरण के तौर पर 26 मार्च, 2020 को रूस के एक हैकर ने भारत के इनकम टैक्स विभाग का 800 जीबी डाटा हैक किया था, जिसे हैकर ने बेचने की कोशिश भी की थी. ऐसा करके खुद की ताकत दिखाने की कोशिश की जाती है. ये जताने की कोशिश की जाती है कि हम आपकी गुप्त जानकारियों पर सेंध लगा सकते हैं. इसके अलावा हैकिंग इसलिए भी की जाती है कि देश हमे ये बताने की कोशिश करता है कि हमारे पास आपसे अच्छी टैक्नॉलोजी है. आप हमारे साथ काम कीजिए. इसे आप काम करने के लिए एक ओपन इनविटेशन भी मान सकते हैं.

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सवाल:साइबर अटैक से कैसे बचेगा देश ?

जवाब: दूसरे देशों ने 30 साल पहले साइबर की शक्ति को पहचान लिया था और उन्होंने तभी से इसके विकास के लिए काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत इस बात को नहीं पहचान पाया. जिस वजह से हमारा देश आज दूसरे देशों पर ज्यादा निर्भर है. हमारे पास अपना डाटा बचाने के लिए कोई कानून नहीं है. अगर हमे खुद को साइबर अटैक से बचाना है तो सबसे पहले हमे डाटा प्राइवेसी लॉ मजबूत करना होगा, क्योंकि इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर में डाटा प्राइवेसी को लेकर उसी देश का कानून लागू होता है. जिस देश में डाटा को प्रोसेस किया जाता है.

उदाहरण के लिए गूगल एक अमेरिकी कंपनी है, लेकिन अगर उसका डाटा बांग्लादेश में प्रोसेस किया जा रहा है तो डाटा पर बांग्लादेश का कानून ही लागू होगा. हमारे देश में कोई मजबूत डाटा प्राइवेसी लॉ नहीं है, जिस वजह से हम अपने डाटा को दूसरे देश में जाने से नहीं बचा पा रहे हैं.

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इसके अलावा जब तक हमारा देश इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के सेक्टर में आत्मनिर्भर नहीं होगा. तब तक देश साइबर सिक्योरिटी के मामले में भी मजबूत नहीं हो पाएगा. हमें मोबाइल एप्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर आदि का अपने देश में ही निर्माण करना होगा, ताकि दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके और हम अपने डाटा को सुरक्षित रख सकें.

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