चंडीगढ़: लॉकडाउन के बाद से देश के सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं. छात्रों की पढ़ाई प्रभावित ना हो. इसके लिए सरकार और प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई, लेकिन ये ऑनलाइन एजुकेशन छात्रों के लिए फायदेमंद कम और हानिकारक ज्यादा साबित हो रही हैं.
फायदेमंद कम, हानिकारक ऑनलाइन क्लास!
घंटों स्मार्ट फोन पर पढ़ने की वजह से एक तरफ छात्र आखों में जलन और सिर दर्द की शिकायत कर रहे हैं. तो दूसरी तरफ वो अब मोबाइल की लत का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से बच्चे घर से बाहर नहीं जा रहे. पूरा दिन घर में रहने की वजह से उनका ज्यादातर वक्त स्मार्ट फोन पर बीत रहा है. जिसकी वजह से बच्चे वीडियो गेम्स और सोशल मीडिया पर ज्यादातर वक्त बिता रहे हैं. जो अब अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
बच्चों में बढ़ रही मोबाइल की लत
बच्चे पूरा दिन मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए अभिभावक हर वक्त भी उनपर नजर नहीं रख पाते. जिससे ये पता चलना मुश्किल होता है कि वो गेम खेल रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं. इस दौरान बच्चों का पोर्न वेबसाइट पर जाना भी काफी बढ़ गया है. साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रवीण कुमार जंजुआ ने भी माना कि बच्चों और युवाओं का बढ़ता स्क्रीन टाइम चिंता की बात है.
बच्चों की फोन की लत को दूर करने के तरीके-
- टाइम लिमिट सेट करें: बच्चे जिस फोन से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, उस फोन पर टाइम लिमिट सेट कर दें. यानी कि रात को सोते समय फोन को लॉक रहने दें.
- गैर-जरूरी एप्स को ब्लॉक करें: नॉन-एजुकेशनल और जिनकी जरूरत नहीं हैं उन एप्स को ब्लॉक कर दें. जैसे कि व्हॉट्सएप, स्नैपचैट, इंस्टाग्राम और प्ले स्टोर. इन सभी एप्स को सिर्फ जरूरत के समय ही यूज करने दें. हालांकि अगर बच्चा ज्यादा जिद करता है, तो एप्स एक्सेस करने की एक लिमिट तय कर दें.
- फोन की हिस्ट्री हमेशा चेक करें: वेब फिल्टर और सेफ ब्राउजर की मदद से ब्राउजिंग हिस्ट्री चेक की जा सेती है. इसके जरिए ये पता लगाया जा सकता है, आपका बच्चा कौन-कौन वेबसाइट एक्सेस कर रहा है?
- पॉर्न और एडल्ट साइट भी ब्लॉक करें: अगर बच्चा कोई गलत साइट या एडल्ट साइट देख रहा है तो उसे ब्लॉक कर दें. अभिभावक वेब फिल्टर फंक्शन की मदद से ऐसी वेबसाइट्स को ब्लॉक कर सकते हैं.
इसके बारे में चंडीगढ़ पीजीआई के मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टर अभिषेक घोष ने कहा कि बच्चों और अभिभावकों में बातचीत बहुत कम हो गई हैं. ऐसे में अभिभावकों को बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करनी चाहिए ताकि बच्चों को फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने का वक्त नहीं मिले.
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ज्यातार बच्चे पबजी, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसी सोशल साइट पर वक्त बिता रहे हैं. जिसका असर उनकी मानसिकता पर पड़ रहा है. नतीजा ये है कि बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ती जा रही है. खाली वक्त में भी बच्चे मोबाइल चलाना पसंद कर रहे हैं. जो कि उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए ठीक नहीं हैं.